राजस्थान |
अलवर राज्य की भौगोलिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि राहुल तोन्गारिया |
भौगोलिक स्थिति अठाहरवीं सदी में राजस्तान में पश्चिमोतरीय भाग में सूर्यवंशी कछवाहा क्षत्रियों की नरुका शाका का अलवर एक राज्य था, जो पूर्वोत्तरी हिस्से में २७.५ अंश ५ कला से २८ अंश १५ कला उत्तर अक्षांश और ७६.१० (अंश कला) पश्चिमी देशान्तर से ७७ अंश १७ कला पूर्वी देशान्तर तक विस्तृत था। इस राज्य के उत्तर में पंजाब प्रान्त का गुड़गाँव जिला, नाभा, राज्य की बावल और जयपुर राज्य का कोटकासिम परगना था। इस राज्य के पूर्व में भरतपुर राज्य गुड़गांव और दक्षिण में जयपुर राज्य, पश्चिम में जयपुर राज्य की कोटपुतली रियासत, नाभा व पटियाला से घिरा हुआ है। सम्पूर्ण राज्य की स्थापना के बाद इस राज्य की लम्बाई उत्तर से दक्षिण ८० मील तथा चौड़ाई पूर्व से पश्चिम ६५ मील व इसका क्षेत्रफल ३१८५ वर्ग मील था। जिसमें से २६२७ वर्ग मील समतल भूमि एवं शेष १/५ भाग पहाड़ियाँ थी। भौगोगिल दृष्टि से समस्त अलवर राज्य निम्नांकित ७ भागों में विभाजित था। (१) नरुका खण्ड (नरुका) - इसी शाखा में अलवर राजवंश था। नरुका क्षत्रियों के बसने के कारण इस भूमि का नाम नरु खण्ड पड़ गया। इसका क्षेत्रफल लगभग ७५५ वर्ग मील था। (२) राजावाटी - अलवर राज्य का दक्षिण-पश्चिम भाग राजावटी कहलाता था। कछवाहा वंश की राजावत शाखा के क्षत्रियों की निवास भूमि होने के कारण यह क्षेत्र राजावाटी कहलाया। इसका क्षेत्रफल लगभग ३६५ वर्ग मील था। (३) बाला - (छोटी पहाड़ी क्षेत्र) - यह राज्य की पश्चिमी सीमा से लम्बी नदी तक के भू-भाग को जो शेखावटी क्षत्रियों की निवास भूमि था, उसको बाला कहते थे। इसका क्षेत्रफल लगभग २२६ वर्ग मील था। (४) राठ - चौहान क्षत्रियों से बसी हुई भूमि अर्थात् राज्य का मध्य पहाड़ियों के पूरे पूर्वोत्तर वाली भूमि को राठ प्रदेश कहते हैं। इसका क्षेत्रफल लगभग ५६३ वर्ग मील था। (५) मेवात - इसमें मुख्य मेव लोग रहते थे। अलवर नगर इसी क्षेत्र में स्थित था। मेवात में अलवर राज्य का लगभग १/३ भाग रुपरिल नदी से लेकर पूर्व में भरतपुर राज्य की सीमा डीग निजामत और उत्तर में गुडगाँव जिले के रेवाड़ी परगने की सीमा तक अलवर राज्य में था। (६) काठेड़ - कठूम्बर परगने का पूर्वी भाग काठेड़ कहलाता था। (७) नेहड़ा - थानागाजी के पार्श्व भाग को नेहड़ा कहते थे। प्राकृति क विभाजन प्राकृतिक विभाजन की दृष्टि से अलवर राज्य में तीन भागों में बँटा हुआ है। (१) पर्वतीय भाग -ंचे समस्त राज्य में उत्तर से दक्षिण तक कई पर्वत श्रेणियां तथा अलवर राज्य के पहाड़ी स्थान समुद्र तल से १०० फीट से लेकर २५५० फीट तक हैं। (२) पठारी भाग - अलवर राज्य के दक्षिण में पठारी भाग है जिसका ढाल पूर्व की ओर है। पानी का बहाव पूर्व की ओर होने के कारण वहाँ की भूमि बहुत उपजाऊ है। (३) रेतीला भाग - अलवर राज्य के पश्चिम में रेतीला भाग है। रेतीला प्रदेश बहरोड़, बान्सूर तथा मन्डावर क्षेत्र में अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। नदि याँ तथा नाले यहाँ की प्रमुख नदियाँ साबी, रुपारेल और चूहड़ सिन्ध हैं तथा अजबगढ़, प्रतापगढ़, लिड़वा आदि छोटे नाले बहते हैं।
पत्थर व धातु अलवर राज्य में संगमरमर, ताँबा, सीसा आदि पदार्थ बहुतायत मात्रा में पाए जाते हैं। (१) संगमरमर - राज्य की समस्त पहाड़ियों में सफेद पत्थर और अभ्रक आदि की घाटियाँ थी। अलवर के पश्चिम में थानागाजी तहसील में झिरी में सफेद और चिकना संगमरमर का पत्थर निकलता था जो मकराने के पत्थर से कड़ा व उत्तम होता था। (२) ताँवा - अलवर राज्य की थानागाजी तहसील के दरीबा के पहाड़ी क्षेत्र में ताँबा प्रचुर मात्रा में पाया जाता था। (३) सीसा - थानागाजी तहसील के जोधावास गाँव के समीप सीसे की खान थी। राज्य में पाँच बड़े भू-भाग थे। उनमें प्राय: मेवात में मेवाती, राठ में राठी, गाल और राजावाटी में राजावाटी तथा इसी के अन्तर्गत नहड़ी भाषा बोली जाती थी। नरुखण्ड में राजावटी व मेवाती मिश्रित भाषा बोलते थे। इसके अन्तर्गत काठेड़ में ब्रजभाषा बोली जाती थी। राज्य में पढ़े लिखे लोगों की भाषा हिन्दी व उर्दू थी। जनसंख् या तत्कालीन जनसंख्या के बारे में कोई प्रमाणिक साधन प्राप्त नहीं होते। १९६१ की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या १०,९०,०२६ थी, जिसमें से ५१३,१९२ स्रियां व ५,७६,२३४ पुरुष थे। अलवर राज्य की प्रथम जनगणना १० अप्रेल १८७२ में की गई थी, तब यहां की जनसंख्या ७,७८,५९६ थी एवं २६० व्यक्ति प्रति वर्गमील का औसत था।
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