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शब्द |
शब्दार्थ |
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अमाणा |
वर्षा पर आश्रित
भूमि |
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आण |
शपथ |
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आघण |
गाँव के परकोटों के अंदर
वाली कृषि- भूमि |
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आकड़ा |
कूड़ा गहरा कुँआ |
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आटा हाट |
विवाह विनिमय की एक प्रथा |
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इनामिया,
माफी |
पुरस्कार
स्वरुप प्रदत्त राज मुक्त भूमि |
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उद्दरणक |
भू- ग्रहिता |
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उपत |
उत्पादन |
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ओल |
पंक्ति |
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कलेवा |
कृषि
उत्पादन पर लिया जाने वाला प्रथम
शुल्क |
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कटका |
बटका खेत की क्यारी की इकाई |
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कालबेलिया |
सपेरे की जाति |
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कूड़ निवाण |
बैलों से सिचाई किये जाने
वाला कुँआ |
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कूतां बराड़ |
कूतां करने
वाले राज्य कर्मचारी को देय उपहारठठ |
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कुवर मटका |
द्रव्य उत्पादन पर
लिया जाने वाला राज्योतरा अधिकारी हेतु
शुल्क |
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केल खू |
घर तथा पशु गणना
में प्रयुक्त इकाई |
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कैद |
जागीरदार की
मृत्योपरांत नवीन उत्तराधिकारी को
मान्यता प्रदान करने के समयांतर जागीर की स्थिति |
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कोथल बरड़ा |
व्यापारियों
से लिया जाने वाला राजकीय शुल्क |
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कृपा |
फसल पकने पर खड़ी
फसल पर लिया जाने वाला राजकीय उपहार |
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खड़ लाकड़ |
ईंधन का
शुल्क |
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खालसा |
केंद्राधीन
भू- क्षेत्र |
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खंडणी |
समझौते के
अनुसार समयोपरांत मुक्त कराधन पर अतिरिक्त कर |
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खिराज |
ब्रिटिश सरकार को दिया जाने
वाला राज्य के राज का हिस्सा |
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खुंची |
फसल पकने पर लिया जाने
वाला उपहार |
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ग्रास |
१.
मातृ- भाग के रुप में प्राप्त भूमि
२.
मेवाड़ राज्य के दक्षिणी- पश्चिमी पर्वतीय
भाग में राज्य प्रदत्त जागीर भूमि |
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ग्रासीया |
ग्रास- धारक |
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घुगरी |
अन्न- उत्पादन का अंश, जो
राज्य कर्मचारियों द्वारा कमीशन के
रुप में लिया जाता
था |
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गोल के
सरदार |
तृतीय
श्रेणी के राजपूत सामंत एवं शासक की स्थायी
सेना के सैनिक सरदार |
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गोरमा |
गाँव के पास वाली भूमि |
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घोड़ा |
बराड़ राजकीय घोड़ों की
रसद- खर्च हेतु लिया जाने वाला
शुल्क |
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चर्णोट |
चरागाह के
लिए प्रयुक्त भूमि |
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चंदावल |
सेना का अंतिम (रक्षक)
भाग |
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चाकरी |
सैनिक सेवा |
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चाकराना-
माफी |
राज्य सेवा निमित्त प्रदान की गई
राज मुक्त जमीन |
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चाही |
तालाब और कुंओं
से सिंचित भूमि |
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चौथ |
उपज का १/२
भाग |
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छटूंद |
भू- राज का १/६
भाग (समयानुसार यह भाग घटता-
बढ़ता रहा था, किंतु यह परंपराई- व्यवहार
में छटूंद ही कहलाता रहा था) |
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जब्रित |
जब्त करना, जागीर
भूमि को खालसा के अंतर्गत करने की प्रक्रिया |
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जागीर |
राज्य प्रदत्त
भूमि क्षेत्र तथा वंशानुगत धृति |
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जागेरी |
शासक के पत्नी, पुत्र,
माता की निजी भूमि |
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जुहार |
कुशल- क्षेम |
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टांका |
राज के
सूक्ष्म अंश को कर के रुप में प्राप्त करने की प्रक्रिया |
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ठाठ |
राज्य प्रबंध |
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ठीकाना |
निश्चित क्षेत्र का
मुख्य स्थान |
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डंडोत |
दण्डवत् प्रणाम |
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ढाणी |
ं] पालक "रेबारी' जाति के गाँव की
भूमि |
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ताजिम |
सम्मान |
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तीजा |
उपज का २/३
भाग |
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तेल- पाली |
तेल उत्पादन करने की घाणी का
शुल्क |
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दसूंध |
उपज का १/१०
भाग |
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दस्तक |
राज्याज्ञा की पूर्ति हेतु दबाव पर किये गये
व्यय की क्षतिपूर्ति |
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दाण |
चुंगी |
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दांतणी- चबेणी |
कृषि पर लिया जाने
वाला आंशिक शुल्क |
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दीवाण |
राज्य का प्रधान,
मेवाड़ के शासक राणा की उपाधि |
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धनक |
भू- प्रदाता |
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धणी |
स्वामी |
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धारण |
राज्याज्ञा को पालन करने का एक प्रशासनिक उपाय |
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धाबाइ |
धाय-
भाई |
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धौंस |
राज्याज्ञा पालनार्थ
राज्य का आर्थिक- दबाव |
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न |
भेंट |
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नाल |
दो पर्वतों के
मध्य तंग प्राकृतिक मार्ग |
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नाता- कांगली |
पुनर्विवाह पर लिया जाने
वाला राज्योपहार |
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नंत |
उत्तरदायित्व निर्वाह हेतु
लिया- दिया जाने वाला द्रव्य |
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नेग |
परंपरागत
लिया- दिया जाने वाला द्रव्य |
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पड़त |
बं भूमि |
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पहरावणी |
पहिनने के
वस्र, सामाजिक संस्कारों पर लिया- दिया जाने
वाला परिधान |
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पंद्रही |
जाति-
व्यवसाय पर लिया जाने वाला मराठी कर, (इन्हीं करों के अंतर्गत "बराड़' दृष्टव्य है ) |
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पीवल |
तालाब
अथवा कुओं से सिंचित भूमि |
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पूंछी |
उपज का १/५
भाग |
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पेशकसी |
अग्रिम
राशि मुक्ति की प्रक्रिया |
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पेटीया |
खाने का कच्चा
सामान |
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पेडी- बराड़ |
साहूकारी कार्य पर लिया जाने
वाला शुल्क |
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पोटी |
भारवाहक
बैल पर रखा हुआ भार |
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फलां |
वन्य- बस्तियाँ,
भीलों का निवास |
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फहरिस्त |
सूचि |
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फाड़ा |
विभाजन
(घर या खेत का पारस्परिक बंटवारा ) |
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फौज खर्च |
विदेशी
फौजों की महमाननवाजी हेतु दिया गया द्रव्य |
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फौज बराड़ |
फौज व्यवस्था हेतु
लिया जाने वाला शुल्क |
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बस्सी |
राजपूत-
मुखिया के भाई- बांधव के गाँव की
भूमि |
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बराड़ |
मराठा कालीन कराधन (शुल्क) |
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बत्तीस के
सरदार |
द्वितीय
श्रेणी के सामंत |
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बरानी |
वर्षा पर आश्रित
भूमि (अमाणा) |
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बाडी |
बागवानी हेतु प्रयुक्त
भूमि (वाडी) |
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बापी |
पैतृक
भूमि |
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बालद |
बैलों का झुण्ड |
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बालदीया |
बैल पालने
वाली एक जाति, जो कच्चे मार्गों पर
माल- यातायात करती थी। |
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बीड़ |
घास-
उत्पादन हेतु प्रयुक्त भूमि |
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बिस्वा |
एक बीघे का १/२०
भाग |
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बीगोड़ी |
प्रति
बीघा लिया जाने वाला नकद राज |
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बेजारा |
मिश्रित (हाख)
फसल |
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बैठ- बैगार |
शारीरिक-
सेवा के रुप में लिया जाने वाला
बाधित शुल्क, जो प्राचीनकाल में "विस्टी' के
रुप में प्रचलित रहा था |
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ब्याह चंवरी |
शादी पर लिया जाने
वाला उपहार |
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भदर |
बहिस्कृत |
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भांजगड़ |
मुख्य परामर्शदाता |
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भाग |
राज हिस्सा, जो
राजपूत कृषकों से लिया जाता था |
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भूम |
वंशानुगत
भूमि (बपौती) |
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भोग |
राजस्व, जो प्रजा
से लिया जाता था |
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भौमिया |
भौम धारक
लोग |
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भौम |
बलिदान निमित्त प्राप्त
भूमि |
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भौम- बराड़ |
भौम जागीर पर लिया जाने
वाला शुल्क |
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भौई-
बराड़ |
माली जाति
से लिया जाने वाला व्यावसायिक
शुल्क |
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मजमानी |
महमानदारी
शुल्क |
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मगरा |
पहाड़ी स्थान
या भूमि |
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माल |
मैदानी भूमि (मालेटी) |
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मापा |
पदार्थ के परिमाण पर लिया जाने
वाला शुल्क |
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मापला |
मरहठावों द्वारा
लिया जाने वाला "कर' |
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माफी |
राज मुक्त
भूमि |
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मुजरा |
प्रणाम |
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मुण्डकटी |
उत्सर्ग हेतु प्रदत्त
भूमि (भौम) |
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मुत्सद्दी खर्च |
कार्यालय खर्च |
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मैर मरजाद |
जातिगत
मर्यादा |
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मोटी बड़ी |
(मोटी- लौड़ी) |
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रखवाली |
संपत्ति सुरक्षार्थ
लिया जाने वाला "कर' |
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रसाला |
कच्ची
फसल पर लिया जाने वाला उपहार |
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राहदारी |
चुंगी,
नागरिक कर |
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रावली |
शासक पत्नी, पुत्र
अथवा माता की निजी भूमि |
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राहमरजाद |
पथ नियम के अंतर्गत
लिया जाने वाला शुल्क |
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रांकड़- कांकड़ |
बं पथरीली
भूमि |
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रेख |
जागीर की वार्षिक आय पर
राज्य निर्धारित सैन्य शुल्क |
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रोजाना |
रसद की माँग |
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लागत |
लिया जाने
वाला निश्चित द्रव्य |
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लाग- बाग |
परंपारई
सामाजिक- आर्थिक उपहार |
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लिलवा |
हरे चने |
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लोड़ी |
छोटी |
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लौड़ी |
मोटी |
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वेश |
कपड़ा,
सामाजिक- संस्कारों पर दिया जाने
वाला परिधान |
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शरणा |
राज्य में
विशेष अधिकार के रुप में "संरक्षण' |
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षट्- दर्शन |
धार्मिक
संस्थाओं को प्रदत्त भूमि- अनुदान |
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सही |
राज्य के आदेशों पर
लगाई जाने वाली स्वीकृति |
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सरदार |
सम्मान हेतु प्रयुक्त
उद्बोधन, जाति- विशेष |
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सहरी |
गली |
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सुरह |
धार्मिक प्रशस्ति |
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सेरण |
एक मन पर एक
सेर का राज |
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सोलह के
सरदार |
प्रथम श्रेणी के
सरदार |
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हलौटी- सिगोंटी |
हल- बैल पर लिया जाने
वाला शुल्क |
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हवाला- धाबाई |
गुर्जर जाति के गाँव की
भूमि |
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हरावल |
सेना का अग्रिम
भाग |
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हाटा |
बाजार |
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हाली |
खेतीहर
मजदूर |
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हां (सां ) ठा |
गन्ना |
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हे (से )
र |
पानी की नाली |