राजस्थान

 

मारवाड़ की व्यावसायिक जातियाँ

प्रेम कुमार


क्र.सं.

जाति

व्यवसाय

दर्जी

कपड़ों की सिलाई का कार्य करने वाले

सोनार

सोने/ चाँदी की धड़ाई का धंधा करने वाले

नाई

बाल काटने का कार्य करने वाले

नीलगर

रंगरेज, जो नील की रंगाई प्रधान रुप से करते थे।

सिकलगर

लोहे के औजारों पर पॉलिश करने व धार लगाने वाले

खेलवार

नमक बनाने का व्यवसाय करने वाले

तंबोली

पान, सुपारी बेचने का धंधा करने वाले

खाती

लकड़ी की वस्तुओं का निर्माण करने वाले

साबणगर

साबुन बनाने का धंधा करने वाले

१०

कुम्हार

मिट्टी के बरतन बनाने वाले

११

गाछा

टोकेरियाँ बनाने का धंधा करने वाले

१२

सिलावट

मकान पर शिलायें चढ़ाने कार्य करने वाले

१३

धोबी

कपड़े धोने का कार्य करने वाले

१४

नालबंध

बंदूक की नाल तैयार करने वाले

१५

जुलाहा

कपड़ा बुनने का व्यवसाय करने वाले

१६

कुंजड़ा

फल बंचने का धंधा करने वाले

१७

चितारे

रंगसाजी एवं चित्रकारी से मकान सुसज्जित करने वाले

१८

तेली

खाद्यान्न तेल निकालने का कार्य करने वाले

१९

माली 

सब्जियाँ बोने व उपलब्ध कराने वाले

२०

कलाल

शराब बनाने व बेचने का धंधा करने वाले

२१

छीपा

कपड़े पर छपाई का कार्य करने वाले

२२

कहार

पालकी उठाने व पानी भरने का कार्य करने वाले

२३

लोहार

कृषि व घरेलू लोहे के उपकरणों का निर्माण करने वाले

२४

घोसी

दुधारु पशुओं का पालन करने व दूध बेचने वाले

२५

मोची

चमड़े की वस्तुएँ बनाने वाले

२६

जटीया- वणगर

ऊँट, बकरी आदि पशुओं के बालों की बुनाई करने वाले

२७

भड़भूंजा

अनाज को भाड़ में भूनने वाले

२८

तीरगर

तीर बनाने का कार्य करने वाले

२९

लखारा

लाख की चूड़ियाँ बनाने व बेचने का धंधा करने वाले

३०

पिंजारा

रुई धुनने, खोलने व साफ करने का धंधा करने वाले

३१

खटीक

पशुओं के चमड़े को पकाने का कार्य करने वाले

३२

सरगरा

औड़ियां बनाने का धंधा करने वाले

इनके अलावा बाजदार भरावा, कसाबगर, खराधी, मुलताणी, हमाल, बाबर नाई, डाकोत, आचारज खपण खेसा, भड़ीहार, बलाई आदि कई जातियाँ विद्यमान थी।

 

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