भरतपुर का क्षेत्र कुषाण एवं गुप्तकालीन पुरातात्विक अवशेषों का प्राप्ति स्थान होने के कारण महत्वपूर्ण है। बयाना तथा कामां से प्राप्त कई अभिलेखों से इस क्षेत्र पर शूरसेन वंश के राजाओं का आधिपत्य प्रारंभिक मध्य काल में प्रमाणिक होता है। इन अभिलेखों में कामां तथा बयाना का काम्यक वन तथा भादानक नामों से उल्लेख मिलता है। शूरसेन राजाओं का क्षेत्र भरतपुर, अलवर तथा मथुरा का कुछ भाग था।
लंबे समय तक भरतपुर मुस्लिम सत्ता के आधीन रहा। परिणामस्वरुप बयाना, कामां के
हिंदू मंदिर भग्न हो गये अथवा तोड़कर मस्जिदों में परिवर्तित कर दिये गये। गामड़ी, अघापुर, चौमा- बण्डपुरा आदि भरतपुर के ग्रामों से अनेक शिव लिंगों की प्राप्ति से इस क्षेत्र में शैव धर्म की लोकप्रियता का प्रमाण मिलता है। सतवास से प्राप्त सूर्य मंदिर के अवशेषों से कुछ क्षेत्रों में सूर्यपूजा के प्रचलन का भी ज्ञान होता है।
कामां के
मंदिर
कामां में भी एक चौरासी खम्भा नामक मस्जिद हिंदू मंदिर के ध्वंसावशेषों से निर्मित जान पड़ती है। मस्जिद के स्तंभ घट- पल्लव के अलंकरण तथा प्रतिमाओं से युक्त हैं। इन प्रतिमाओं से ही यह निश्चयपूर्वक कहा जा सकता है कि ये स्तंभ वैष्णव और शैव मंदिरों के सभा मण्डप के अंग थे। एक स्तंभ पर अंकित ""नमः शिवाय'' अभिलेख इस तथ्य की पुष्टि करता है। अभिलेख के लिपि के अनुसार यह मंदिर आठवीं शताब्दी ईस्वी का प्रतीत होता है। इसके अतिरिक्त एक अन्य अभिलेख युक्त स्तंभ से विष्णु मंदिर के निर्माण का पता चलता है। शूरसेन वंश के दुर्गगण की पत्नी ""विच्छिका'' ने एक विष्णु मंदिर बनवाया था।
एक अन्य अभिलेख कामां में काम्यकेश्वर नाम से प्रख्यात शिवायतन का उल्लेख करता है। इस दान अभिलेख से यह भी ज्ञात होता है कि इस मंदिर में शिव के साथ- साथ विष्णु एवं चामुण्डा आदि देवताओं की पूजा भी होती थी। यहाँ से प्राप्त चतुर्मुख शिवलिंग के चारों ओर उत्कीर्ण प्रमुख देवों की प्रतिमाएँ भी इसी तथ्य की पुष्टि करते हैं। काम्यकेश्वर मंदिर में ७८६ और ८९६ ई. के बीच के काल में ही शिव- पार्वती और विष्णु की प्रतिमाएँ प्रस्थापित कर दी गई थीं। शूरसेन राजाओं के आश्रम में कामां में चामुण्डा, शिव और विष्णु के मंदिरों के साथ श्वेताम्बर संप्रदाय के काम्यक गच्छ के जैन मंदिरों के निर्माण का भी उल्लेख मिलता है।
बयाना के मंदिर
बयाना का प्राचीन नाम ""श्रीपदा'' था। यहाँ एक विष्णु मंदिर था, जो जन सामान्य में ऊखामंदिर अथवा उषामंदिर नाम से जाना जाता है। मुस्लिम सत्ता के कार्यकाल में यहाँ के कई हिंदू स्मारक मस्जिदों में परिवर्तित कर दिये गये। बयाना के भीतरी बाहरी मोहल्ले की मस्जिद के एक स्तंभ से प्राप्त अभिलेख से यह ज्ञात होता है कि यह स्तंभ मूलतः विष्णु मंदिर का था।
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