राजस्थान

मेवाड़ में माप- तौल का प्रचलन

अमितेश कुमार


मेवाड़ राज्य में परंपरागत परिमापन- प्रणाली का प्रचलन था। गहराई मापने के लिए साधारणतः व्यक्ति के अंगुल, घुटने, आदमी की लंबाई, हाथी की ऊँचाई आदि की अनुमानित प्रणाली प्रयोग में लायी जाती थी। इनसे जुड़े प्रचलित सूत्र इस प्रकार थे--

१ अंगुल = ३ बिस्वा
५ अंगुल
= १ बालिस्त
५ बालिस्त
= १ घोड़ा
२ घोड़ा
= १ आदमी
२ आदमी
= १ हाथी
२८ अंगुल
= १ हाथ
२८ हाथ
= १ डोरी
५० डोरी
= १ कोस (२ मील)

२० वीं सदी में भू- बंदोबस्त में प्रचलित भू- माप के अनुसार १ डोरी का अलग- अलग नाम प्रचलित था। खालसा में १३२ फुट, जागीर में ५२ १/२ फुट तथा माफी में १६२ १/२ फुट का माप प्रचलित था। इसके अतिरिक्त बीघा से इसका संबंध इस प्रकार था--

२० बिस्वांसी = १ बिस्वा
२० बिस्वा
= १ डोरी
१ हल
= ५० बीघा

दूरी मापने की छोटी इकाई "पावण्डा' थी। पावण्डा व अंगुल का अंतर स्पष्ट रुप से ज्ञात नहीं है।

सूक्ष्म या बहुमूल्य एवं औषधियों को तोलने के लिए मूँग, रत्ति, माशा व तोले का प्रचलन था। इनका अंकन इस संबंधों के आधार पर किया जाता था--

५ मूँग = १ रत्ति
८ रत्ति
= १ माशा
१२ माशा
= १ तोला
८० तोला
= १ छटाक पक्का बंगाली
१०० तोला
= १ छटांक कच्चा

पक्के तोल का अर्थ ब्रिटिश भारत सरकार का मानक था तथा कच्चा तोल मेवाड़ राज्य की मानक तोल को कहा जाता था। इसके पूर्व कच्चा सेर ५४ रुपया चित्तौड़ी तथा पक्का १०८ रुपये चित्तौड़ी से आंका जाता था।

भारी वजन तौलने के लिए कच्चे तोल के अनुसार इन परिमापनों का प्रयोग किया जाता था --

२० छटांक कच्चा = १ पाव = १०० तोला
(१६ छटांक बंगाली
= १ पाव = ८० तोला)
२ पाव
= एक अधसेर
२ अधसेर
= १ सेर
५ सेर
= १ धड़ी (ताकड़ी)
४ धरी
= १ मन कच्चा
१२ मन
= १ माणी
५० सेर
= १ मन
(४० सेर पक्का) = १ मन

 

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