राजस्थान |
हुंडी तथा टीप प्रथा अमितेश कुमार |
व्यापार में लेन- देन का आधार मुद्रा तथा वस्तुओं का विनिमय था। इसके स्थान पर हुंडी और टीप द्वारा भी व्यापारिक सौदे किये जाते थे। १८ वीं शताब्दी में ऐसी हुंडिया राज्य की जमानत पर भुगतान की जाती थी। मराठा अतिक्रमण काल में तो राज्य की देनदारियों को हुंडियों के द्वारा चुकाया जाता रहा था। कई संपन्न व्यक्ति हुंडी का रुपया राज्य और व्यक्ति की जमीन - जायदाद गिरवी रखकर भुगतान करते थे। इसी प्रकार राज्य के आंतरिक लेन- देन में "टीप' पर रुपया लिया और दिया जाता था। प्रायः स्थानीय सेठ- साहूकार, राज्य की दुकानों व मंदिर के धर्मार्थकारियों के पास रुपया जमा करने तथा निकालने की व्यवस्था प्रचलित थी। जमाकर्ता ऐसी जमा की टीप लिख देता था। टीपों में रकम के प्रयोजन की चर्चा रहती थी।
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