देवनारायण फड़ परम्परा  Devnarayan Phad Tradition

चौबीस बगड़ावतों की कथा

दारु का रिसकर पाताल में जाना और राजा बासक का नाराज होना


बगड़ावत नौलखा बाग से वापस आते समय मेघला पर्वत पर पातु द्वारा दिया गया दारु का बीड़ा खोलते हैं। उसमें से इतनी दारु बहती है कि धोबी उसमें अपने कपड़े धोने लगते है।

बगड़ावत वहां काफी मात्रा में शराब गिराते है और उससे कुल्ले करते हैं। वह शराब इतनी मात्रा में जमीन पर उण्डेलते है कि शराब रिस कर पाताल लोक में जाने लगती है जो पृथ्वी को अपने शीश पर धारण करने वाले राजा बासक के सिर पर जाकर टपकती हैं, उससे शेषनाग कुपित हो जाते है।

गुस्सा होते हुए राजा बासक तीनों लोकों के स्वामी भगवान विष्णु के पास जाकर बगड़ावतों की शिकायत करते हैं और कहते हैं कि हे नारायण बगड़ावतों को सजा देनी होगी। उन्होनेे मेरा धर्म भ्रष्ट कर दिया है। आप कुछ करिये भगवान।

 

 
 

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