देवनारायण फड़ परम्परा  Devnarayan Phad Tradition

पाँचों भाईयों की फौज और रावजी से बदला

पाँचों भाई देवनारायण की कचहरी में |  


पांचो भाई जब एकत्रित हो जाते हैं तो गोठां में भगवान देवनारायण का आसन पाट लगता है, जहां बासक नाग आकर सेवा में खड़े होते हैं। आस-पास बिच्छु होते। अजगर बेसवा में होता है। काला गोरा भैरु अपने वाहनों के साथ सेवा में खड़े होते हैं। अब भगवान देवनारायण छोछू भाट से पूछते हैं कि अपना सभी लूटा हुआ सामान तो इकट्ठा कर लिया और दूसरे सभी बैर भी ले लिए। अब राण के राजा रावजी से बैर लेना शेष रहा है जो कैसे लिया जाए ?

छोछू भाट ने टीटोड़ियां समन्द उलीचियो भाई परिवारों के पाल वाला दोहा सुना कर पांचो भाइयों को समझाया कि अगर सभी भाई एक साथ मिल कर चलें तो रावजी को हराना मुश्किल नहीं होगा।

फिर यह तय रहा कि अपनी गायों के द्वारा रावजी के क्षेत्र में नुक्सान करेगें ताकि वहां के किसान परेशान होकर रावजी से शिकायत करे और रावजी खुद ही लड़ाई छेड़े। नापा ग्वाल को बुलाते हैं और कहते हैं नापाजी अपनी गायों को गुदलियां तालाब पर लेकर जाओ और अपनी गायों को घेरकर राण के खेतों में चराओं। जब रावजी को समाचार मिलेगा वो लड़ने के लिये खुद ही आ जायेगें। नापाजी कहने लगे पहले हम सभी ग्वालों को बींद बनाओ और गायों का श्रृंगार कराओ तब हम जायेगें। नापाजी की बात सुन देवनारायण सा माता को कहते हैं माताजी गायों का गहणा कहां रखा है। सब निकालो और गायों को पहनाओं। माता साडू गायों का और ग्वालो का गहना और कपड़ा सब निकाल कर ग्वालों को दे देती हैं। १४४४ ग्वाल और १,८०,००० हजार गायों को सोने का गहना पहनाकर सारे ग्वाल बींद बनकर गायों को लेकर राण के खेतो में जाकर छोड़ देते हैं।

 

गायें राण के खेतो में चारों ओर उजाड़ कर देती हैं। वहीं गांव के पटेल रायमल पटेल और बीजा पटेल दोनो आकर देखते हैं कि गायों ने सारे खेत उजाड़ दिये हैं। वह दोनों रावजी के पास शिकायत करने के लिये जाते है। दरबार में रावजी और सभी मीर और उमराव बैठे हैं और दोनों पटेल देवनारायण की गायों की शिकायत करते हैं और कहते हैं कि गायों ने सारे खेत उजाड़ दिये हैं और फसल चौपट कर दी है। रावजी दियाजी और कालूमीर को सेना लेकर गायों को घेर कर लाने का हुकम देते हैं।

दियाजी और मीरजी सेना लेकर गुदलिया तालाब की ओर चल पड़ते हैं। रास्ते में उन्हें कपूरी धोबन मिलती है। कपूरी धोबन पूछती है की आज सवारी कहां जा रही है ? दियाजी कहते है कि देव की गायों को घेरने जा रहे है और ग्वालों को भी पकड़ कर लायेगें। कपूरी धोबन कहती है कि दरबार आपके घोड़े देखकर ही ग्वाले भाग जायेगें, आप किसको पकड़ कर लाओगे। ये काम तो मैं ही कर दूंगी। ग्वाले तो रोज मेरा काम करते हैं। मैं तो वहां पेड़ के नीचे आराम से बैठी रहती हूं और सारे कपड़े ग्वालों से धुलवाती हूं। मीर और उमराव कपूरी धोबन की बात सुनकर उसे अपने साथ लेकर रावजी के दरबार में वापस आ जाते हैं। रावजी कहते है वापस कैसे आ गये ? तो दियाजी बताते हैं ये कपूरी धोबन है, जो कहती है कि ये काम तो मैं ही कर दूंगी। रावजी कपूरी धोबन को अपने सामने बुलवाते हैं और कहते हैं कि अगर ये काम तू कर देगी तो मैं १० गांव तेरे नाम कर दूंगा।

कपूरी धोबन रावजी से कहती है कि शहर के सारे धोबियों को मेरे अधीन कर दो और गुदलिया तालाब पर मेरे लिये तम्बू लगवा दो, आपका काम हो जायेगा। गांव के सभी धोबियों को इकट्ठा करके कपूरी धोबन को सोंप देते हैं और उसके लिये गुदलिया तालाब पर तम्बू लगवा देते है। सारे धोबियों से कहते हैं कि आज से इसे कपूरी धोबन कोई नहीं कहेगा, सब इसे कपूरी काकी के नाम से पुकारेगें।
 

 

 
 

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