हजारीप्रसाद
द्विवेदी के पत्र |
प्रथम खंड |
संख्या - 100 |
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IV/
A-2095
काशी
दिनांकः 21.8.51
श्रध्देय
पंडित जी,
कृपापत्र मिला।
अभी तक श्री मंगल स्वरुप जी का कोई
पत्र नहीं आया है। आएगा तो यथाशक्ति उनकी
सहायता कर दूँगा।
आपने बनारस
आने का मेरा निमंत्रण स्वीकार किया
है। घर के सब लोग कह रहे हैं कि
अब तगादा करने की जरुरत है। कब आ
रहे हैं। अक्टूबर के आधे पक्ष में मैं
बाहर रहूँगा। द्वितीय पक्ष में क्या आ
सeेंगे? आइए जरुर। आपका वात रोग अब
कम हुआ होगा। यहाँ एकाध अच्छे वैद
परिचित हैं उनसे दिखा लिया जाएगा ताकि
फिर उभरने न पाए। आपको जाड़े के मौसम
में चलने में असुविधा हो तो मैं अक्तूबर
के प्रथम पक्ष में भी यहाँ रह जा सकता
हूँ। बहुत दिनों से दर्शन नहीं हुए।
मिलने की बड़ी इच्छा है।
शेष कुशल
है। आशा है आप स्वस्थ व प्रसन्न हैं।
आपका
हजारी
प्रसाद द्विवेदी
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© इंदिरा
गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला
संस्करण: १९९४
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प्रकाशक
: इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला
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