झारखण्ड

झारखण्ड राज्य की व्यवस्थापिका

पूनम मिश्र


झारखण्ड विधानसभा
विधानसभा सदस्य निर्वाचित होने के लिए योग्यता
विधानसभा की सदस्यता समाप्ति
विधानसभा के पदाधिकारी
विधानसभा के कार्य एवं अघिकार

 

झारखण्ड प्रदेश में एक सदनीय व्यवस्था को अपनाया गया है, अर्थात् यहाँ केवल विधानसभा होती है और विधानपरिषद का कोइ प्रावधान नहीं है।

झारखण्ड विधानसभा

३२४ सदस्यी अविभाजित बिहार विधानसभा के ८१ सदस्यों से मिलकर झारखण्ड विधानसभा का गठन हुआ। झारखण्ड विधानसभा की कुल सदस्य संख्या ८२ है जिसमें राज्य के २२ जनपदों में विस्तृत ८१ निवार्चन क्षेत्रों से चुने गये ८१ सदस्य होते हैं तथा एक सदस्य मनोनित होता है।

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विधानसभा सदस्य निर्वाचित होने के लिए योग्यता

निम्नलिखित योग्यता वाले व्यक्ति ही विधानसभा के सदस्य हो सकते हैं -

(क) जो कम से कम २५ वर्ष की आयु पुरी कर चुका हो
(ख) भारत का नागरिक हो
(ग) दिवालिया घोषित न हुआ हो
(घ) केन्द्र अथवा राज्य के किसी लाभ के पद पर नहीं हो
(च) पागल न हो
(छ) किसी न्यायालय द्वारा अयोग्य घोषित नहीं हुआ हो।

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विधानसभा की सदस्यता समाप्ति

निम्नलिखित आधार पर विधानसभा के किसी भी सदस्य की सदस्यता समाप्त करने का प्रावधान है -

(क) विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देने पर
(ख) विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति के बगैर लगातार ६० दिनों तक सदन की कार्यवाही से अनुपस्थित रहे
(ग) दल बदल कानून के अन्तर्गत दोषी करार दिया जाय
(घ) कोई अन्य कारण जो असंवैधानिक हो

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विधानसभा के पदाधिकारी

विधानसभा के सदस्य अपने बीच से एक अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। अध्यक्ष विधानसभा की कार्यवाही सुचारु रुप से चलाने के निए जिम्मेदार होता है। विधानसभा के सदस्य अध्यक्ष के अनुमति से ही अपना भाषण देते हैं। अध्यक्ष को सामान्य परिस्थतियों में मत देने का अधिकार प्राप्त होता है। अध्यक्ष के रुप में निर्वाचित होने के बाद उससे यह अपेक्षा की जाती है कि वह दल की नीतियों से ऊपर उठकर निष्पक्ष रुप से सदन की कार्यवाही का संचालन करे।

झारखण्ड विधानसभा में एक उपाध्यक्ष के पद का भी प्रावधान है।

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विधानसभा के कार्य एवं अघिकार

झारखण्ड में विधानपरिषद नहीं होने के कारण सभी तरह के विधेयक विधानसभा में ही प्रस्तुत किए जाते हैं। जहाँपर विस्तारपुर्वक उनपर बहस की जाती है। यदि कोई विधेयक विधानसभा द्वारा पारित हो जाता है तो उसे राज्यपाल के पास निम्नलिखित तीन विकल्प होते हैं -

(क) राज्यपाल समबन्धित विधेयक को अपनी स्वीकृति प्रदान करता है।
(ख) राज्यपाल को यह भी अधिकार है कि वह पुनर्विचार हेतु विधानसभा को वापस कर दे।
(ग) या फिर राज्यपाल उसे राष्ट्रपति के विचार हेतु प्रेषित कर दे।

 

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