झारखण्ड |
राज्य मन्त्रिपरिषद पूनम मिश्र |
भारत के संविधान के अनुच्छेद १६३ के अनुसार राज्यपाल को उसके कर्तव्यों के निर्वाहन में परामर्श करने तथा सहायता प्रदान करने हेतु मन्त्रिपरिषद की व्यवस्था की गयी है। अन्य भारतीय प्रदेशों की तरह झारखण्ड में भी मन्त्रिपरिषद का सर्वेसर्वा या मुखिया राज्य का मुख्यमन्त्री होता है जिसकी नियुक्ति राज्यपाल करता है। इतना ही नहीं मुख्यमन्त्री की सलाह पर राज्यपाल अन्य मन्त्रियों की भी नियुक्ति करता है। परम्परा से राज्यपाल उसी व्यक्ति को मुख्यमन्त्री के पद पर नियुक्त करता है जो राज्य विधानसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता हो। यदि राज्य विधानसभा में किसी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हो तो ऐसी परिस्थती में राज्यपाल अपने स्वयं के विवेक का प्रयोग करते हुए ऐसे व्यक्ति को मुख्यमन्त्री नियुक्त करता है जिसके विषय में उसे प्रतीत हो कि वह विधानसभा में बहुमत सिद्ध कर सकता है। राज्यपाल का उत्तरदायित्व यहीं समाप्त नहीं होता, वह मन्त्रियों के बीच विभागों का वितरण एवं उन्हें सपथ ग्रहण भी मुख्यमन्त्री की अनुसंशा पर करता है। संसदीय शासन पद्धति के होने के कारण राज्य की समस्त कार्यपालिका शक्तियों का वास्तविक प्रयोग मन्त्रीपरिषद ही करती है। मन्त्रीपरिषद अपने कार्यों के लिए सामूहिक रुप से राज्य विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है तथा विधानसभा के विधान पर्यन्त ही अस्तित्व में रहती है। मुख्यमन्त्री अथवा मन्त्रिपरिषद पर नियुक्ति हेतु अन्य अहर्ताएँ वही होती हैं जो राज्य विधानसभा का सदस्य होने के लिए अनिवार्य है। राज्य मन्त्रिपरिषद का प्रधान होने के नाते मुख्यमन्त्री अपने सहयोगी मन्त्रियों के बीच कार्य एवं विभागों का वितरण करता है। उनके कार्यों का अवलोकन तथा समन्वय भी करता है। मन्त्री बनने के लिए राज्य विधानसभा का सदस्य होना आवश्यक है। यदि कोई मन्त्री विधानसभा का सदस्य न हो तो उसे मन्त्रीपद की सपथ लेने के छै महिने के अन्दर विधानसभा की सदस्यता प्राप्त करनी पड़ती है। अन्यथा उसे अपने पद से हटना पड़ता है। मुख्यमन्त्री सदन का नेता होता है। वह सरकार की नीतियों तथा निर्णयों की घोषणा करता है। राज्य सरकार द्वारा किए गए निर्णयों की घोषणा सदन में करता है। राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे सभी प्रकार के कार्यों तथा निर्णयों के लिए मन्त्रिपरिषद विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। मुख्यमन्त्री मन्त्रिमण्डल की सहमति से राज्य विधानसभा को भंग करने की सिफारिश कर सकता है। दूसरी ओर विधानसभा अविश्वास प्रस्ताव पारित कर मन्त्री परिषद को हटा सकती है। मुख्यमन्त्री के प्रमुख कार्यों में अपने मन्त्रीपरिषद का गठन, मन्त्रियों के बीच पद एवं कार्यों का बँटवारा तथा उनके कार्यों की देख-रेख तथा विभिन्न विभागों के बीच समन्वय बनाये रखना प्रमुख है। मुख्यमन्त्री अपने मन्त्रिमण्डल का पुनर्गठन भी कर सकता है। वह राज्यपाल और मन्त्रिपरिषद के मध्य कड़ी का कार्य करता है। राज्य मन्त्रिमण्डल द्वारा लिए गए सभी निर्णयों की सूचना मुख्यमन्त्री राज्यपाल को देता है। मुख्यमन्त्री राज्यपाल को सभी शासन समबन्धी कार्यों में परामर्श देता है जिसके अनुसार ही राज्यपाल कार्य करता है। शासन से समबन्धित लगभग तमाम कार्य वास्तविक रुप से मुख्यमन्त्री के द्वारा ही सम्पन्न होता है। इसीलिए राज्य मन्त्रिपरिषद को मुख्यमन्त्री के नाम से यथा - मराण्डी मन्त्रिमण्डल, मुण्डा मन्त्रि मण्डल, मराण्डी सरकार, मुण्डा सरकार,से पुकारते हैं। झारखण्ड प्रदेश में निम्नलिखित १४ संसदीय निर्वाचन क्षेत्र हैं -
झारखण्ड विधानसभा में कुल मिलाकर ८२सीट है, जिसमें ८१ सदस्य चुनाव जीतकर आते हैं एवं एक सदस्य ऐंग्लो इंडियन समुदाय से मनोनित होते हैं। झारखण्ड झारखण्ड विधानसभा के ८२ झारखण्ड विधानसभा क्षेत्रों का नाम नीचे दिया जा रहा -
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