प्रोजेक्ट मौसम
प्रोजेक्ट ‘मौसम’ संस्कृति मंत्रालय की एक परियोजना है जहाँ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली को नोडल एजेन्सी तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए), नई दिल्ली को अनुसंधान एकक के रूप में रखा गया है। आरंभिक विचार के रूप में इस परियोजना का प्रस्ताव श्री रविंद्र सिंह, सचिव, संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया गया और अब इसे यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में एक अंतर्राष्ट्रीय अभिलेख के रूप में इसके नामांकन की भूमिका के तौर पर अपनाया गया है।
‘मौसम’ अथवा अरबी ‘मावसिम’ उस ऋतु को संदर्भित करता है जब समुद्री जहाज सुरक्षित ढंग से सफर कर सकते हैं। हिंदी महासागर क्षेत्र की यह विशिष्ट पवन-प्रणाली एक नियमित पैटर्न का अनुसरण करती है: मई से सितंबर तक दक्षिणी पश्चिमी; और नवंबर से मार्च तक उत्तर पूर्व। अंग्रेजी शब्द ‘मॉनसून’ पुर्तगाली ‘मोनसाव’, स्पष्ट रूप से अरबी ‘मावसिम’ से उत्पन्न हुआ। इस शब्द की उत्पत्ति अनेक समु्द्री यात्रियों के लिए इस ऋतु का महत्व निर्दिष्ट करती है। प्राकृतिक घटनाओं जैसे कि मानसून पवनों तथा जिस तरह से इनका उपयोग ऐतिहासिक रूप से सांस्कृतिक नेटवर्क बनाने के लिए किया गया, का पारस्परिक सम्मिश्रिण ‘मौसम’ प्रोजेक्ट के मूलभूत अंग का निर्माण करता है।
‘मौसम’ प्रोजेक्ट का प्रयास अपने आप को दो रूपों पर स्थापित करना है: वृहत स्तर पर इसका लक्ष्य हिंद महासागरीय जगत के देशों के बीच संप्रेषणों को पुन:संयोजित और पुन:स्थापित करना है जिससे सांस्कृतिक मूल्यों तथा सरोकारों की बेहतर समझ पैदा होगी जबकि सूक्ष्म स्तर पर इसका बल राष्ट्रीय संस्कृतियों को इनके क्षेत्रीय समुद्री वातावरण में समझने पर है।
मुख्य विषयवस्तुएं जो ‘मौसम’ प्रोजेक्ट को एकजुट रखती हैं, के सांस्कृतिक मार्गों तथा समुद्री भूदृश्यों की विषयवस्तुएं हैं जिसमें न केवल हिंदी महासागर के तट के विभिन्न भाग जुड़े वरन इसमें तटवर्ती केंद्र अपने पश्चप्रदेशों से भी संयोजित हुए। और भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि सहभाजित जानकारी प्रणालियों तथा विचार इन मार्गों से होकर प्रसारित हुए और इनसे तटवर्ती केंद्रों और पर्यावरण के तहत भागों पर भी प्रभाव पड़ा।
‘मौसम’ परियोजना एक रोमांचकारी, बहु-विषयक परियोजना है जो हिंद महासागर के क्षेत्र के राष्ट्रों के बीच लंबे समय से लुप्त संबंधों को पुन: प्रज्वलित करती है और सहयोग तथा विनिमय के नए अवसरों का निर्माण करती है। सदस्य-राज्यों की सहभागिता से भारत द्वारा शुरू की गई परियोजना से अफ्रीकी, अरब तथा एशियाई जगत के परिदृश्यों से विश्व इतिहास की महत्वपूर्ण अवस्था को अभिलिखित और प्रशंसित करने में एक महत्वपूर्ण कदम सार्थक हेगा ।
संपर्क ब्यौरा: श्री अजित कुमार, परियोजना निदेशक ईमेल: gov.ajitkumar@gmail.com मोबाइल: 8448929459
Other Links
- दोहा, कतर में यूनेस्को विश्व विरासत सत्र के 38वें सत्र में प्रोजेक्ट मौसम का उद्घाटन
- शोध पत्र
- हिंद महासागर से समुद्री व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान: भारत और श्रीलंका ओस्मंड बोपियरच्ची, सीएनआरएस-पेरिस द्वारा-प्रस्तुति (पीडीएफ रूपांतर)
- हिंद महासागर जगत में आरंभिक वैश्वीकरण: पूर्वी अफ्रीकी परिदृश्य डा. अब्दुल वाई लोधी द्वारा प्रस्तुति ।
- Cunningham’s ‘Lost’ Treasures by Dr. Sanjay Garg
- Malabar Coast in the pre-modern period by Prof. K.S.Mathew