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देवनारायण
बगड़ावत देवनारायण गाथा राजस्थान की एक महान लोकगाथा है जिसका सदियों से राजस्थान के लोक-जीवन में मौखिक प्रचलन रहा है। लोकगाथा एक विशिष्ट लोक काव्य होता है जिसकी उत्पत्ति सामान्यतः किसी प्रेरणादायक अथवा प्रसिद्ध घटना से होती है। किसी घटना और उसके प्रमुख पात्रों के जीवन, उनकी समस्याएं, उनके प्रेम, क्रोध, संकट, संघर्ष, बलिदान, पराक्रम और मार्मिक भावनाओं के वर्णन से बढ़ते-बढ़ते वह रोचक कथा एक भाव प्रधान गाथा बन जाती है। लोकगाथा का रचयिता कोई एक व्यक्ति नहीं होता। कथाकारों और श्रोताओं दोनों के हाथों में ढलते-ढलते गाथा में अनेक अंश जुड़ते जाते हैं और वह निखरती जाती है। इस रूप में लोकगाथा का रचयिता लोक ही होता है।लोकगाथा चूंकि अपने जमाने की मानवीय घटनाओं और जन भावनाओं को सरल और सहज रूप से व्यक्त करने वाला साहित्य है इसलिये वह लोकप्रिय होती है।
बगड़ावत देवनारायण लोकगाथा उस समय के सामाजिक अन्तर्द्वन्दों और उनमें उपस्थित समस्याओं तथा संघर्ष का एक अत्यन्त रोमांचक, भावपूर्ण और हृदयस्पर्शी विवरण प्रस्तुत करती है। देवनारायण की कथा फड़ पर उकेरी जाती है जिसे भोपा रात्रि जागरण में गायन और कथावाचन के माध्यम से लोगों के सामने प्रस्तुत करते हैं। प्रेम, वात्सल्य, वीरता एवं बलिदान मनुष्य जाति की सर्वमान्य भावनाएँ हैं, लेकिन लोकगाथा के पात्रों के माध्यम से इन्हें जिस विशेष रूप से प्रदर्शित किया जाता है उनमें ये केवल वैचारिक मान्यताएं न रहकर वास्तविक जीवन की अनुभूतियाँ बन जाती हैं।
उन्हीं अनुभूतियों को इस डीवीडी में बगड़ावत देवनारायण की कथानक, पात्र, स्थान, प्रयोग में आने वाली वाद्ययंत्र, फड़ चित्रशैली, रंग बनाने की विधि के साथ-साथ भोपाओं के प्रस्तुति के कुछ अंशों को कम्प्यूटर के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
डॉ. आदित्य मलिक एवं पद्मश्री श्रीलाल जोशी जी के सहयोग से सम्पादित इस परियोजना का लोकार्पण 10 नवम्बर 2017 को श्रीमती सुजाता प्रसाद, अतिरिक्त सचिव, संस्कृति मंत्रालय एवं डॉ. दया प्रकाश सिन्हा, न्यासी के द्वारा किया गया।
DVD on DevNarayan Released on 19-NOv-2017
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