गीत गोविंद

महाकवि जयदेवरचित (12वीं शताब्दी) गीत-गोविंद गीतिकाव्य की मल्टीमीडिया प्रस्तुति दर्शकों को भारतीय संगीत, नृत्य, ललितकला तथा उनके अंतर्संबंधों से परिचित कराने के उद्देश्य से किया गया। गीतगोविन्द एक गीति काव्य है जिसमें एक ओर तो प्रत्यक्ष रूप से कृष्ण और राधा की प्रेम लीलाओं का नाटकीय प्रस्तुतिकरण किया गया है लेकिन साथ ही गहराई में जाने पर यह परमात्मा के साक्षात्कार के लिए आत्मा की विकलता और अंततः स्वयं को परमात्मा की सेवा में लीन कर देने का भाव बन जाता है। यह भाव ईश्वर साक्षात्कार और श्रृंगार दोनो ही दिशाओं में प्रवाहित होता है और गीतगोविन्द के गीत दोनों ही अर्थों में सटीक बैठते हैं।

 

गीतगोविन्द की रचना विशेष तौर पर भगवान जगन्नाथ के रात्रि पूजन के दौरान किए जाने वाले नृत्य प्रस्तुति के लिए की गई थी, इसलिए इसकी रचना इस दक्षता के साथ की गई कि इसे नृत्य कलाकारों के पैरों की ताल के साथ गाया जा सके। काव्य के अन्त में कवि ने कहा है कि इस काव्य की रचना भगवान विष्णु की भक्ति के एक माध्यम के रूप में की गई है और इसे कृष्ण में लीन कवि जयदेव पंडित द्वारा श्रृंगार रस के आवरण में लपेट दिया गया है। यह काव्य इतना लोकप्रिय हुआ कि एक शताब्दी से भी कम समय में ही सम्पूर्ण भारतवर्ष में इसे नृत्य, संगीत, चित्रकला की विधाओं में ढालने के साथ-साथ मंदिरों की पूजन प्रक्रिया में भी इसका व्यवहार किया जाने लगा।

गीतगोविन्द में बारह अध्याय हैं जिन्हें पुनः 24 गीतों में बांटा गया है। प्रत्येक गीत में आठ दोहे हैं जिन्हें अष्टपदी कहा जाता है। अध्याय एक, दो, चार, पांच और बारह में दो-दो अष्टपदियां हैं; अध्याय तीन, छह, आठ, नौ और दस में केवल एक अष्टपदी है। इस प्रकार कुल चौबीस अष्टपदी हैं। इन अष्टपदियों को विभिन्न ललित रागों के जरिए संगीत से सजाया जा सकता है जिनकी परवर्ती कवियों द्वारा सराहना की गई और उनका अनुसरण भी किया गया। इस काव्य पर एक सौ से भी अधिक टीकाएं संस्कृत में की गई हैं, पचास से अधिक स्थानीय भाषाओं में और अनेक विदेशी भाषाओं में।

 

इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र ने डिजिटल मल्टीमीडिया के द्वारा इसके प्रसार एवं निरन्तरता को प्रस्तुत करने का एक अनूठा प्रयास किया है। हमारी कोशिश है कि हम अपने पारम्परिक ज्ञान को सही परिप्रेक्ष्य में, इस तकनीक से जोड़ सकें। संगीत, नृत्य एवं चित्र कलाओं के सतरह घंटों से अधिक की प्रस्तुति गीत-गोविन्द मल्टीमीडिया में है। यह प्रस्तुति तीन स्तरों पर है। प्रथम स्तर पर गीत-गोविन्द की विषयवस्तु तथा पूरे भारतवर्ष में इसके विस्तार को दर्शाया गया है। दूसरे स्तर पर प्रत्येक अष्टपदी को चित्रकला, संगीत एवं नृत्य की उन्नीस कलात्मक अभिव्यक्तियों द्वारा दर्शाया गया है। साथ ही अष्टपदी की पाठ-परम्परा तथा उसकी व्याख्या को भी स्थान दिया गया है। चित्र कला की परम्परागत – जौर, मेवाड़, बूंदी, जयपुर, बशोली, कांगड़ा तथा ओडिशा शैली; संगीत की हिन्दुस्तानी एवं कर्नाटक शैली, गुरुवायूर एवं पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर का भक्ति संगीत; एवं नृत्य कला की ओडीशी, भरतनाट्यम, कथक, मोहिनीअट्टम एवं मणिपुरी शैली को शामिल किया गया है। मल्टीमीडिया के तीसरे स्तर पर विशिष्ट विद्वानों द्वारा गीत-गोविन्द की विषयवस्तु का समालोचनात्मक एवं समीक्षात्मक व्याख्या सम्मिलित की गई है।

 

इसे दिसम्बर 1997 तथा जनवरी 1998 में आम लोगों के लिए प्रदर्शनी के रुप में प्रस्तुत किया गया था। जेरॉक्स पीएआरसी, अमेरिका में कार्यरत एक शोधकर्ता रणजीत माकुनी ने इस मल्टीमीडिया शोध को मूर्त रूप देकर इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में गीत गोविंद के प्रस्तुतीकरण की रूपरेखा से संबंधित गतिविधियों को तैयार किया है।

 

इसकी संकल्पना डॉ. कपिला वात्स्यायन ने किया जिनके मार्ग-दर्शन में इस परियोजना को पूर्ण किया गया। वे लगभग 50 सालों से गीतगोविंद की विदुषी तथा मानविकी एवं कला की अंतर व बहु-संकायी अध्ययन की अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञ हैं। वे गीत गोविंद पर आधारित कई सर्वोत्तम पुस्तकों की लेखिका हैं, जिनमें मेवाड़, जयपुर, बूंदी, दरभंगा तथा असम की विविध पेटिंग जैसे विषय भी शामिल हैं। इस परियोजना का लोकार्पण 27 मई 2015 को श्री जवाहर सरकार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, प्रसार भारती के द्वारा की गई।

Other Links

27th May 2015 – Release of Interactive Multimedia presentation of Gita Govinda

Video Clips 

  1. Presidential address on release of Interactive Multimedia presentation of Gita Govinda by Shri Chinmaya R. Gharekhan
  2. Dr. Kapila Vatsyayan on overview of Gita Govinda Multimedia project at IGNCA
  3. Address by Shri Jawhar Sircar, CEO Prasar Bharati and Chief Guest of the function
  4. Technical Details on IGNCA’s Multimedia project and Gita Govinda Presentation by P. Jha

Venue : IGNCA, Auditorium, C.V. Mess, IGNCA
Time : 6.30pm


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