Cultural Informatics
Multimedia programs
- बृहदीश्वर मंदिर तंजावुर: यूनेस्को घोषित एक विश्व सांस्कृतिक धरोहर
- गीत-गोविन्द
- बगड़ावत देवनारायण गाथा )(एक राजस्थानी लोकगाथा
- अग्निचयन: (एक वैदिक अनुष्ठान)
- विश्वरूप
- मुक्तेश्वर मंदिर - (चोद्ददानपुरा, उत्तर कर्णाटक)
- रॉक आर्ट
- अजन्ता
- टू पिलग्रिम्स:लिजाबेथ और एलिजाबेथ सास ब्रूनर की कला एवं जीवनी
- देवदासी मुरई
- रूप-प्रतिरूप
विश्वरूप – भगवान श्रीकृष्ण का एक अलौकिक स्वरूप
विश्वरूप श्रीकृष्ण का वह अलौकिक स्वरूप है जिसका दर्शन उन्होंने महाभारत युद्ध से पहले श्रीमद् भगवद्गीता में अर्जुन को कराया था। विश्वरूप शब्द में दो तत्व हैं “विश्व”और “रूप”। “विश्व”का अर्थ ब्रह्मांड से है और “रूप”का अर्थ यहां आकार है। सैद्धांतिक तौर पर विश्वरूप का अर्थ सभी स्वरूप या सर्वव्यापी आकार से है। विश्वरूप का यह अर्थ ऋग्वेद और कालांतर के अन्य पुस्तकों में है।
इस परियोजना का लक्ष्य विश्वरूप कृष्ण की कुछ चुनिंदा छवियों को प्रस्तुत करते हुए भारतीय कला के अध्ययन के लिए एक संवादात्मक कथ्य प्रणाली प्रस्तुत करना है।