Vraja Prakalpa

व्रज का क्षेत्र कई सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। समकालीन व्रज अतीत की जीवंत निरंतरताओं का एक सूक्ष्म मॉडल प्रस्तुत करता है। व्रज इसका भी एक उदाहरण प्रस्‍तुत करता है कि किस प्रकार तीर्थयात्रियों और भक्तों के कार्यकलाप के माध्यम से पवित्र भूगोल मोबाइल स्पेस बन जाता है, पवित्र केंद्रों की यह गतिशीलता क्षेत्र संपदा कार्यक्रम के अन्‍वेषण का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।

इस अध्ययन के परिणामस्‍वरूप निम्‍नलिखित अनुसंधान मोनोग्राफ की प्रकाशन किया गया है –

गोविंददेव: पत्थर में एक संवाद

Govindadeva : A Dialogue in Stone

इवनिंग ब्लॉसम: वृंदावन में सांझी की मंदिर परंपरा

Evening Blossoms: The Temple Tradition of Sāñjhī in Vrndavana

रूपा गोस्वामिन का भक्तिरसामृतसिन्धु

The Bhaktirasamrtasindhu of Rupa Gosvamin

गोविंददेवजी के पक्ष में: वृंदावन और पूर्वी राजस्थान के एक देवता से संबंधित ऐतिहासिक दस्तावेज

In Favour of Govindadevajī : Historical documents relating to a deity of Vrndavana and Eastern Rajasthan


सम्मेलन
  1. गोविंददेव और इसकी परंपराएँ (1992)
  2. व्रज का सतत निर्माण (1994)
प्रदर्शनियों
  1. गोविंददेव – पत्थर में एक संवाद (1992)
  2. रोबिन बीच (1997) द्वारा Vraja व्रज की जीवंत संस्कृति पर फोटोग्राफिक प्रदर्शनी  by Robyn Beech (1997) and
  3. Braj Mahotsav ब्रज महोत्सव वर्ष 2009 में आयोजित किया गया था।