रामायण और महाभारत की जीवित परंपराएं

रामकथा की लोक और आदिवासी परंपराओं पर दो परियोजनाएं (2007 में शुरू की गई परियोजना) और महाभारत की जीवित परंपराएं (2010 में शुरू की गई परियोजना) क्रमशः शुरू की गईं। प्रभाग ने इन दोनों के तहत कुछ प्रमुख कार्यक्रम आयोजित किए हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी
  • साहित्यिक पठन
  • प्रकाशन/कैटलॉग
  • अधिग्रहण
  • ऑडियो-विज़ुअल डॉक्यूमेंटेशन / एथनोग्राफिक फ़िल्में
  • प्रदर्शन
  • अनुष्ठान प्रदर्शन
  • प्रदर्शनी और फिल्म शो
  • कहाने कहने तथा कलाकारों की कार्यशालाएं

 

(क) परिणाम

लोक और जनजातीय समाजों की रामकथा परंपराओं के लगभग 20 रूपों का श्रव्‍य दृश्‍य प्रलेखन किया गया है, जिसमें भिलाई रामकथा, गोंड रामायणी, गद्दी रमीन, और (मुस्लिम जोगियों द्वारा,) मेवात की लंका चढाई, गढ़वाली रामलीला, और कई और शामिल हैं।

ख) फिल्में

  • कुमाऊँनी रामलीला: एक दुर्लभ परम्परा
  • उत्तर पूर्व में रामकथा की लोक परंपराएं
  • खेरिया में लीला
  • ओडिशा में रामलीला

ग) अंग्रेजी अनुवाद के साथ डीवीडी

  • बुंदेली रामकथा
  • भीली रामकथा
  • मेवाती रामकथा

घ) सम्मेलन :

  • महाभारत की जीवित परंपराओं पर एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी 10-16 फरवरी 2011 को आईजीएनसीए में आयोजित की गई थी, जिसमें भारत और विदेश के 70 विद्वानों ने चर्चा में भाग लिया और शोध-पत्र प्रस्तुत किए। ‘एस्थेटिक्स टेक्सचर: महाभारत एंड इट्स लिविंग ट्रेडिशन्स’ शीर्षक से चल रहा सेमिनार प्रेस में है।
  • रामलीला पर ‘महाकाव्य की प्रक्रियाएं: गतिशीलता, संरक्षण और सौंदर्यशास्त्र’ शीर्षक से एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 23-29 नवंबर, 2015 को आईजीएनसीए में आयोजित किया गया था, जिसमें 63 विद्वानों सहित विदेशों से 20 विद्वानों और 3 पर्यवेक्षकों ने भाग लिया था

ड.) प्रदर्शनी :

लीला: प्रो. मौली कौशल द्वारा रामायण परंपरा पर आधारित एक प्रमुख विषयगत प्रदर्शनी 28 नवंबर से 25 दिसंबर, 2017 तक इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय कला केंद्र में आयोजित की गई थी। देश भर के बाईस संग्रहालयों/संस्थाओं ने अपने संग्रहों से कीमती और दुर्लभ प्रदर्शनीय वस्‍तुओं को उधार देकर इसमें भाग लिया। प्रदर्शनी में शास्त्रीय, लोक और समकालीन संदर्भों में रामायण परंपरा के दार्शनिक, कथानक, दृश्य, चित्रात्मक और प्रदर्शन पहलुओं को समाहित किया गया। इसने श्री राम की लीला-चरित के माध्यम से लीला से जुड़े सभी पहलुओं का पता लगाया और उन पर प्रकाश डाला, जो प्रदर्शनी का मुख्य विषय-वस्‍तु थी।