नगरों, सड़कों तथा कारवां सराय के संबंध में अंतर्राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी, युगों-युगों तक संयोजनों का प्रतीक (भारत, पश्चिम और मध्‍य एशिया)

इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय कला केंद्र तथा मध्‍य एशिया के अन्‍य देश तिएनशान तथा पामीर के आसपास एक ऐसी सीमा का अन्‍वेषण करने के लिए एकत्र हुए हैं जहां सभ्‍यताओं का मिलन, संपर्क और संबंध स्‍थापित हुआ; जहां ओसल नगर का संपर्क स्‍टेपी,घुमक्‍कड़ कृषक से हुआ;जहां एकेश्‍वरवादी और सर्वेश्‍वरवादी धार्मिक, रेगिस्‍तानी तथा तटवर्ती सभ्‍यताओं का एक दूसरे से संपर्क है। यह एक सीमावर्ती क्षेत्र है जिसे सिकंदर द्वारा अपने ओइकुमीन, आवासित जगत के किनारे के रूप में देखा गया था। वास्‍तव में यह  किनारा नहीं वरन केंद्र था। उत्‍तरवर्ती यात्रा वृत्‍तांतों, डायरियों, तीर्थयात्रियों के विवरण को पुन: पढ़ने और पुन: स्पष्ट बताए जाने की आवश्‍यकता है ताकि मध्‍य एशिया में उन्‍मुक्‍त आश्‍चर्यजनक रचनात्‍मक उर्जा को समझा जा सके। प्रदर्शनी में राजदूतों को खोतान  में मिलते हुए तथा विद्वानों को वाद-विवाद में संलग्‍न दिखलाया गया है। हमने राज‍नयिक विद्वानों से सुसज्जित जमावड़ा किया है जिन्‍होंने रेशम मार्ग के किनारे ना केवल सांस्‍कृतिक संलयन और विकास पर वरन रेशम मार्ग के समक्ष मौजूद समस्‍याओं  पर भी व्‍याख्‍यान दिया है। चर्चा की गई समस्‍याओं में औद्योगिक-पश्‍च जगत की समस्‍याएं हैं जिसमें हमें विश्‍व के चित्रों को पुन: चित्रित करने, कलाओं का पुन: सृजन करने, संगीत को याद करने, सक्रिय अंत:एशियाई संवाद,एक ऐसा संवाद जिसे इस ग्रह के यूरोपीयकरण, तकनीकीकरण तथा एकरूपीकरण की निगलने वाली लहर के बीच नए सिरे से पुन: शुरू किया जाना है, से सृजित ज्ञान को पुन: प्राप्‍त करने की जरूरत है।

 

अत: संगोष्‍ठी में हजारों वर्षों के दौरान सहयोगात्‍मक उद्यम के रूप में मध्‍य एशिया, में खड़ी की गई भव्‍य भौतिक, आध्‍यात्मिक, वैचारिक तथा सांस्‍कृतिक अवसंरचना पर चर्चा की गई और प्रदर्शनी द्वारा इन्‍हें चित्रित किया गया। प्रदर्शनी में दिखाई गई अवसंरचना को मरुद्यान वाले नगरों जैसे कि शहर-ए-नाऊ, शहर-ए-शस्‍य, शहर-ए-जिंदा में दुर्गों में, घिरे हुए बाजारों में, गुंबजों, कोष्‍ठों, मेहराबों, बुर्जों, स्क्विच की वास्‍तुकला में, फीताकारी तथा कुफिक लिपि की सजावट से, रंगीन राजमहलों, वस्‍त्रों, हफ्तरंगी की पालीक्रोम चमकदार रंगों में, मणि के आद्यप्रारूपीय सुलेखन में, सुकरात अथवा विद्वान व्‍यक्तियों के कथनों के अभिलेखों में तथा मूल पाठों में, समरकंद जैसे स्‍थानों के शिला सेक्‍सटैंट वेधशालाओं में, कारातेपे, फयाज तेपे, डालवरजिन तेपे के पुरातात्विक स्‍तरों में, रहस्‍यमयी सूफी विचारधाराओं की धर्मशालाओं, खानकाहों में, चिकित्‍सा और खगोल विद्या से संबंधित ज्ञान पद्धति की पांडुलिपियों में सृजित की गई थी। इस संगोष्‍ठी में संविधानवाद, राष्‍ट्रीयवाद, राजनैतिक और सामाजिक-आर्थिक मुक्ति के क्षेत्र में स्‍मारकों के संगम पर संवाद शुरू किया जाएगा जो नदी और सहायक नदियों के मार्गों के साथ घटित हुए। हम, इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय कला केंद्र में, विदेश तथा संस्‍कृति मंत्रालयों, मध्‍य एशियाई गणराज्‍यों के राजनयिक और सांस्‍कृतिक दूतों के साथ यहां प्राचीन भारतीय गणराज्‍यों, जनपदों तथा मध्‍य एशिया के स्‍वायतशासी गैर-वर्गीकृत, ओसल, सूक्ष्‍म क्षेत्रीय शहरी सभ्‍यता के आसपास सृजित सहभाजित लोकतांत्रिक परंपराओं को मनाने के लिए हैं। अत: हमारे लिए नगरों, सड़कों, कारवां सरायों पर चर्चा भुलाई गई गाड़ी तथा ऊंटों को चलाने वालों तथा गाइडों, वास्‍तुकारों और सुलेखनकारों, कवियों और दार्शनिकों, साहसी सैनिकों और तीर्थयात्रियों जिन्‍होंने मध्‍य एशिया की सभ्‍यता सृजित करने में विस्मयकारी  परेशानियों का सामना किया, को याद करने का एक प्रतीकात्‍मक अवसर है। एक साथ हम सांस्‍कृतिक, वाणिज्यिक और राजनयिक यात्रा-वृत्‍तांत को पुन: प्राप्‍त करने, मौखिक इतिहास, नृवंशविज्ञान तथा सहभाजित विरासत के साक्ष्‍य को फिर से प्राप्‍त करने की आशा करते हैं। अत: संगोष्‍ठी तथा प्रदर्शनी को संयुक्‍त क्षेत्र सर्वेक्षणों एवं पहलों के जरिए हमारी मित्रता को सुदृढ़ एवं विस्‍तृत करने हेतु विरासत के मार्ग को सक्रिय करने के लिए एक विचारशील और कार्यशील साधनों के रूप में देखा जाता है।

डॉ. के. के. चक्रवर्ती
सदस्‍य सचिव, इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय कला केंद्र

 

इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्‍त करें:  फोर्ड फाउंडेशन द्वारा वित्‍तपोषित अंतर्राष्‍ट्रीय डुनहुआंग प्रोजेक्‍ट (आईडीपी) के सहयोग से विश्वव्यापी संस्‍थाओं में मध्‍य एशिया के इतिहास के संग्रहणों पर संगोष्‍ठी के संबंध में संकल्‍पना नोट

एबीआईए प्रोजेक्‍ट

संपर्क का विवरण: किसी अतिरिक्‍त जानकारी एवं सहायता के लिए संपर्क करें

प्रो. मंसूरा हैदर
शैक्षणिक परामर्शदाता

डा. अजय कुमार मिश्रा
कनिष्‍ठ अनुसंधान अधिकारी

इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय कला केंद्र
कलाकोश प्रभाग
न. 5, डा. राजेंद्र प्रसाद रोड,
नई दिल्‍ली-110001, भारत
फोन-098102 14677

ईमेल: akm67111@rediffmail.com   eap_ignca@yahoo.com