माइक्रोफिल्म / माइक्रोफिश में पांडुलिपियों का संकलन
भारत का गौरवशाली अतीत पांडुलिपियों में छिपा पड़ा है। ये पांडुलिपियां ही वह आधारभूत ऐतिहासिक साक्ष्य हैं जिनका प्रभूत शोध-मूल्य है और अंतरराष्ट्रीय तौर पर इनकी आवश्यकता एवं महत्ता स्वीकार की गई है। अनुमान है कि भारत में 50 लाख से अधिक पांडुलिपियां मौजूद हैं और इस प्रकार वह दुनियां में पांडुलिपि रूपी संपदा का सबसे बड़ा आधान है।
लेकिन हालत यह है कि हजारों की संख्या में विविध विषयों पर बहुमूल्य अप्रकाशित भारतीय पांडुलिपियां भारतीय और विदेशी संग्रहों में इधर-उधर बिखरी या खंडित अवस्था में पड़ी हुई हैं जिसके कारण शोधार्थियों के लिए उन तक पहुँच बनाना संभव नहीं हो पाता है। चूँकि अधिकांश पांडुलिपियां भोजपत्रों, ताड़पत्रों, हस्तनिर्मित काग़ज और कपड़े पर लिखी गई हैं इसलिए इन्हें विशेष देख-भाल और संरक्षण की आवश्य़कता है। यद्यपि हमारे पूर्वजों ने उस समय उपलब्ध साधनों की सहायता से इनका परिरक्षण करने के प्रयास किए थे लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि ज्ञान का यह असीम भंडार खतरे में है और पांडुलिपियां खतरनाक गति से लुप्त होती जा रही हैं।
भारतीय संस्कृति के इस पक्ष को अपने दायरे में लेने और इसका परिरक्षण करने की आवश्ययकता महसूस करते हुए इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र ने एक महत्वपूर्ण संसाधन केन्द्र की भूमिका निभाने का अग्रणी प्रयास किया है। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में पांडुलिपियों को माइक्राफिल्मों पर उतारने का कार्यक्रम इस सांस्कृ्तिक विरासत के परिरक्षण की एक महत्वपूर्ण परियोजना है। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की प्रतिलिप्यांकन यूनिट के पास प्रतिलिप्यांकित संसाधनों के समुचित संवर्धन, परिरक्षण एवं संरक्षण के प्रचुर साधन उपलब्धि हैं।
इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र ने ऐसी अनेक निजी एवं सार्वजनिक संस्थाओं/संगठनों और व्यक्तियों से संपर्क किया है जिनके पास इस प्रकार की बहुमूल्य पांडुलिपियां हैं; इस पहल में संस्कृत की पांडुलिपियों को प्राथमिकता दी जा रही है। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र ने उनकी पांडुलिपियों को माइक्रोफिल्मों पर उतारने के लिए उनके साथ सहमति-पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके बदले में इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र उन्हें माइक्रोफिल्म रोल की एक मुद्रित प्रति उपलब्ध कराता है।
अब तक इंदिरा गॉंधी राष्ट्रीदय कला केन्द्र की प्रतिलिप्यांकन यूनिट में माइक्रोफिल्मों/माइक्रोफिश का बृहत् संग्रह तैयार है। इस समय प्रतिलिप्यांकन यूनिट के पास 21500 से अधिक माइक्रोफिल्म गड्डियों में 2.5 लाख से अधिक पांडुलिपियों का समृद्ध संग्रह तैयार हो गया है। यह पूरा संग्रह डिजिटाइज कर दिया गया है।
इ.गाँ.रा.क.के. में दुर्लभ दस्तावेजों की माइक्रोफिल्मिंग
विभिन्न प्राथमिक और माध्यमिक ग्रंथों की कुछ रिप्रोग्राफिक सामग्री विदेशों में कई नामी संस्थानों से प्राप्त की गई हैं जैसे –
Bibliotheque Nationale (पेरिस)
कैम्ब्रिज यूनीवर्सिटी लायब्रेरी (कैम्ब्रिज)
Staatsbibliothek (बर्लिन)
INION (रूस)
वेलकम इन्स्टीट्यूट फॉर द हिस्ट्री ऑफ मेडीसिन (लंदन)
ओरिएंटल एंड इंडिया ऑफिस कलेक्शन, ब्रिटिश लाइब्रेरी (लंदन)
इ.गाँ.रा.क.के. पांडुलिपि संग्रह तक पहुँच
विद्वान तथा शोधकर्ता, कला निधि रेप्रोग्राफ़ी एकक में इन माइक्रोफ़िल्म/माइक्रोफ़िश संग्रह तक पहुँच हासिल कर सकते हैं। वे समझौता ज्ञापन में उल्लिखित कॉपीराइट प्रतिबंधों और शर्तों के अधीन इनकीप्रतिलिपियाँ भी प्राप्त कर सकते हैं। सामान्य प्रक्रिया के रूप में, इसके लिए इ.गाँ.रा.क.के. संग्रह से पांडुलिपि की प्रतिलिपि प्राप्त करने के लिए संबद्ध लाइब्रेरी से अनुमति लेनी होगी। उपर्युक्त सभी पांडुलिपियाँ संदर्भ हेतु इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र संदर्भ लाइब्रेरी में बिना किसी शुल्क के सभी को उपलब्ध हैं। जल्द ही इन पांडुलिपियों का ऑनलाइन कैटलॉग उपलब्ध कराया जाएगा। उपर्युक्त संग्रह और उसके अभिगम के संबंध में अधिक विवरण निम्न से प्राप्त कर सकते हैं:
पुस्तकालयाध्यक्ष एवं प्रमुख – कलानिधि प्रभाग
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र
(संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन स्वायत्त निकाय)
11 मान सिंह रोड, नई दिल्ली -110001
फोन: 91-11-2338333 फैक्स: 91-11-23385884