एबीआईए (ABIA) दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई कला और पुरातत्व इंडेक्स
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली में परियोजना

THEABIA PROJECT: Genesis एबीआईए परियोजना: उत्पत्ति

एबीआईए परियोजना दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशियायी कला एवं पुरातत्त्व पर प्रकाशनों के लिए टिप्पणी सहित ग्रंथसूची संबंधी डेटाबेस हेतु सहयोग करने वाले विद्वानों का एक वैश्विक नेटवर्क है। इस परियोजना को यूनेस्को से भी वैज्ञानिक सहयोग हासिल है।

एबीआईए का अर्थ है एनुअल बिब्लियोग्राफी ऑफ इंडियन आर्क्योलॉजी, जिसका प्रकाशन लीडेन में वर्ष 1926-73 के बीच केर्न (Kern) इंस्टीट्यूट द्वारा किया गया था। एबीआईए भारतीय कला एवं पुरातत्त्व पर ग्रंथसूची संकलनों की एक अनोखी और महत्वाकांक्षी योजना है, जिसे बीसवीं सदी के शुरुआती दौर के डच विद्वानों के एक समूह द्वारा वार्षिक योजना के रूप में लाया गया था। एबीआईए 20 वीं सदी के प्रख्यात भारतविद प्रो. जे. पीएच. वोगेल की दिमाग की उपज थी। एबीआईए नाम डच विद्वानों के एक समूह द्वारा दिया गया था। लगभग आधी शताब्दी तक एबीआईए प्रकाशन ग्रंथ-सूची के जगत का अगुआ रहा और इस पर निर्भर दुनिया के विद्वानों को यह जानने में मदद करता रहा कि क्या कुछ प्रकाशित हुआ है और भारत के अतीत के धरोहर कहां हैं। लगभग आधी शाताब्दी तक चलने और अनेक खंडों में वार्षिक एवं अन्य प्रकाशनों के जरिए एबीआईए ने 1926 से 1984 के बीच भारतीय अध्ययन की विशिष्ट सेवा की और विद्वानों को भारतीय कलाओं एवं पुरातत्त्व के अध्ययन में प्रवृत्त रखा। शायद दक्षिण एशिया में डच उपनिवेश की क्षति और ऐसे ही अन्य कारकों के कारण नीदरलैंड के दक्षिण एशियायी विद्वानों को 80 के दशक में संकट का सामना करना पड़ा और अंततः 1984 में एबीआईए का प्रकाशन बंद हो गया। यह क्षति व्यापक रूप से हर व्यक्ति द्वारा महसूस किया गया क्योंकि ऐसा कुछ नहीं था जो इस प्रकाशन के बंद हो जाने से उत्पन्न रिक्त स्थान को भर सके।

यद्यपि 80 के दशक के आखिरी दौर और 90 के दशक के आरंभिक दौर में लगभग एक दशक तक बंद रहने के बाद मुख्य रूप से नीदरलैंड के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एशियन स्टडीज (आईआईएएस) के विद्वानों के प्रयास से 1995 में इस अग्रणी प्रयास को पुनर्जीवित किया गया। डच लोगों को फिर से श्रीलंका, थाईलैंड और इंडोनेशिया में 1995 में इच्छुक और उत्साही सहयोगी मिल गए। डच लोगों ने लीडेन में एबीआईए का दफ्तर चलाने के लिए एक विशेष कोष का गठन किया ताकि वार्षिक प्रकाशनों की नेट पर सूचना डालने और दक्षिण और दक्षिणपूर्व एशिया में कार्यरत इकाइयों द्वारा किए जाने वाले कार्यों से संबंधी मेल का समन्यवयन किया जाए और वार्षिक कार्यशालाओं, सलाहकारी बोर्डों और संपादकीय समिति की बैठकों पर होने वाले व्यय की व्यवस्था की जा सके और साथ ही उनके द्वारा कुछ निधि दक्षिण एशिया और दक्षिणपूर्वी एशियायी देशों में स्थित केन्द्रों की सहायता के लिए उपलब्ध कराई गई।

1996 में, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एशियन स्टडीज (आईआईएएस), लीडेन ने ग्रंथ-सूची के कार्य को पुनः आरंभ करने के आशय का एक प्रस्ताव सामने रखा। नई ग्रंथ-सूची का नाम रखा गया एबीआईए साउथ एंड साउथईस्ट एशियन आर्ट एंड आर्क्योलॉजी इंडेक्स (एबीआईए दक्षिण और दक्षिणपूर्व एशियाई कला एवं पुरातत्त्व सूची) या संक्षेप में एबीआईए इंडेक्स। नए एबीआईए को समय के साथ मिलकर चलना पड़ा, दक्षिण एशिया और दक्षिणपूर्व एशिया को अपने दायरे में लाने के लिए संजाल का विस्तार करना पड़ा और उसने न केवल सर्वाधिक महत्वपूर्ण शोधार्थियों के वार्षिक प्रकाशनों की योजना बनाई बल्कि हर ऑनलाइन सूचना को समायोजित किया और यह व्यवस्था किया कि ये सूचनाएं दुनिया में कहीं भी, कभी भी किसी के द्वारा प्राप्त की जा सके.

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एबीआईए इंडेक्स: उद्देश्य

एबीआईए परियोजना का मूल उद्देश्य(6) है प्राक्-इतिहास और आद्य-इतिहास, ऐतिहासिक पुरातत्त्व, प्राचीन और आधुनिक कला इतिहास, भौतिक संस्कृति, अभिलेख एवं पुरालेखन, मुद्राशास्त्र, मुहरलेख जैसे विषयों पर संबंधी टिप्पणीयुक्त रिकॉर्ड उपलब्ध कराने वाले ग्रंथ-सूची संबंधी इलेक्ट्रॉनिक ऑनलाइन डेटाबेस तैयार कर उसका रखरखाव करना। एबीआईए इंडेक्स के सीडी-रोम संस्करण के अतिरिक्त डेटाबेस से निकाली हुई टिप्प्णीयुक्त ग्रंथ-सूची को हर वर्ष प्रकाशित भी किया जाता है।

डेटाबेस एबीआईए साउथ एंड साउथईस्ट एशियन आर्ट एंड आर्क्योलॉजी इंडेक्स पूरी तरह से ऑनलाइन सर्च किया जा सकता है और यह http://www.abia.net पर फ्री एक्सेसबल है। डेटाबेस के अवतरण मुद्रित ग्रंथसूचियों के रूप में भी उपलब्ध है। अब तक दो खंड प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें कुल मिलाकर प्रकाशनों के 3,356 टिप्पणी युक्त एवं संकेत-शब्द की सूची सहित संदर्भ 1996 से 2001 के बीच प्रकाशित हुए। आगामी प्रकाशनों के लिए विस्तृत जानकारी http://www.abia.net पर उपलब्ध है।

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एबीआईए डेटाबेस में 1996 और उसके बाद के प्रकाशनों सम्मिलित किया गया है। एबीआईए खंड I और II एबीआईए नेट पर उपलब्ध हैं। 12000 से अधिक रिकॉर्ड ऑनलाइन डेटाबेस पर उपलब्ध हैं। इसमें शब्दों के जरिए सर्च किया जा सकता है, जैसे- लेखक का नाम; शीर्षक के शब्द, ISBN संख्या आदि।

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जनवरी 1997 में, परियोजना के पुनः आरंभ होने के बाद तीन इसमें तीन विशेषज्ञ केन्द्रों ने भाग लिया है: लीडेन, नीदरलैंड का आईआईएएस; [सीसीएफ (सेंट्रल कल्चरल फंड), कोलंबो, श्रीलंका के सहयोग से पीजीआईएआर (पोस्टग्रैजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ़ आर्क्योलॉजी, केलानिया विश्वविद्यालय)]; तथा बैंकॉक, थाइलैंड के एसपीएएफए (रीजनल सेंटर फॉर आर्क्योलॉजी एंड फाइन आर्ट्स इन साउथईस्ट एशिया)।

एबीआईए इंडेक्स प्रकाशन::

कार्ल आर. वैन कूजि (Karel R.Van Kooij) द्वारा संपादित प्रथम एबीआईए इंडेक्स 1999 में प्रकाशित हुआ जिसमें शामिल थे 1997-1998 के दौरान संकलित किए गए मुद्रित ग्रंथसूची रिकॉर्ड जबकि दो भागों में द्वितीय एबीआईए इंडेक्स का प्रकाशन 2002 में हुआ जिसका संपादन एलेन एम. रैवन (Ellen M. Raven) द्वारा किया गया था। इसमें 2050 रिकॉर्ड हैं जिन्हें 1998 से लेकर 2001 के दौरान प्रॉसेस किए गए डेटाबेस से चयन किया गया था। एबीआईए इंडेक्स का तृतीय खंड 2010 में संभावित है जिसमें तीन क्षेत्रीय समन्वयन केन्द्रों के अलावा भारत, इंडोनेशिया तथा दक्षिण एवं दक्षिणपूर्व एशिया के अन्य भागों के विद्वानों के भाग लेने की योजना है।

रिकॉर्ड की संरचना (2)

निम्नलिखित तत्व किताब के रिकार्ड में शामिल हैं;

  • रिकार्ड संख्या और पहले लेखक / संपादक का नाम
  • ग्रन्थसूची उचित वर्णन
  • भाषा कोड
  • कीवर्ड
  • टिप्पणी
  • दस्तावेज़ सूची का संकेत कोड (इंडेक्सर)
  • यूआईडी कोड (= अद्वितीय पहचान कोड) डेटाबेस और किताब में प्रत्येक रिकॉर्ड की पहचान
  • संबंधित प्रकाशनों के लिए संदर्भ
     

Aएबीआईए नमूना रिकॉर्ड (2)

1308 कूजि, कार्ल आर. वैन

कार्ल आर. वैन, कूजि द्वारा एबीआईए दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई कला और पुरातत्व सूचकांक, खंड प्रथम/संस्करण, एलेन एम. रेवेन (दक्षिण एशिया के लिए समन्वयन संस्करण), मनीजिके जे. कलोक्के (दक्षिण पूर्व एशिया के लिए समन्वयन संस्करण), एस. सेत्तार और डोरिस यापा (दक्षिण एशिया के लिए संस्करण), हसन डीजाफर और विलासिनी ठाबूएंगकर्न (दक्षिण पूर्व एशिया के लिए संस्करण)। लंदन: केगन पॉल, लेडन (आदि): एशियाई अध्ययन के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थान, 1999.597 पृष्ट,(एशियाई अध्ययन के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थान से अध्ययन). आईएसबीएन 0-7103-0625-3 (अंग्रेजी)

दक्षिण एशिया; दक्षिणपूर्व एशिया; ABIA: ग्रंथ-सूची; पुरातत्त्व; कला; आधुनिक; कला; भौतिक संस्कृति; अभिलेखन; पुरालेखन; मुद्राशास्त्र; मुहरलेख

दक्षिण एशिया, दक्षिणपूर्व एशिया एवं इनसे सांस्कृतिक रूप से जुड़े क्षेत्रों (अफगानिस्तान, दक्षिण मध्य एशिया और चीनी रेशम मार्ग वाले इलाके, तिब्बत और दक्षिणी चीन) के प्राक्-इतिहास, पुरातत्त्व, कला, भौतिक संस्कृति, अभिलेख एवं पुरालेखन, मुद्राशास्त्र, मुहरलेख जैसे विषयों से संबंधित टिप्प्णीयुक्त और संकेत-शब्द तलिका सहित ग्रंथ-सूची। इसमें शामिल किए गए हैं 1300 से अधिक संदर्भ-पद जो 1996 और 1997 के बाद के प्रकाशनों से लिए गए हैं। साथ ही इसमें ‘आरंभिक बौद्ध कला में निहित अर्थ’ विषय पर कार्ल आर. वैन कूजि (Karel R.Van Kooij) तथा ‘1977 से लेकर 1997 के बीच इंडोनेशियाई पुरातत्त्वविदों के शोध ’ विषय पर इदी सेद्यावती (Edi Sedyawati) के आलेख भी शामिल किए गए हैं। केर्न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, लीडेन में 1926 से लेकर 1970 के दशक के मध्य, 1926-1972 की अवधि के दौरान संकलित एनुअल बिब्लियोग्राफी ऑफ इंडियन आर्क्योलॉजी (ABIA)के 23 खंडों का अनुवर्ती।

((आईएनडी=ईआर) (यूआईडी कोड-99-1561/19-01-1999)

 

सूचकांक (2)

लेखक सूची:

लेखक सूची में लेखकों, संपादकों, एवं प्रकाशन से जुड़े अन्य व्यक्तियों के नामों के मानक रूप दिए गए हैं और उन्हें शीर्षक पृष्ठ या आलेख के हेडर पर डाला गया है।

भौगोलिक सूची:
भौगोलिक सूची में पर्वतों, नदियों और नदी बेसिनों, मैदानों, झीलों आदि तथा गांवों, उप जिलों (तालुकों या प्रमंडलों), जिलों, प्रदेशों, देशों के नाम एवं व्यापक क्षेत्रीय नाम दिए गए हैं।

विषय सूची

विषय सूची के अंतर्गत अध्ययन क्षेत्र के साथ सामान्य वर्णनात्मक पद या संकेतशब्द दिए गए हैं

  • विद्वानों के दृष्टिकोण
  • पुरातत्व और कला ऐतिहासिक संदर्भ
  • (पूर्व) ऐतिहासिक अवधि
  • राज्य
  • राजवंशीय नाम
  • संस्कृति
  • प्राचीन शहर
  • वास्तु संरचनाएं
  • कला कार्य, आदि
  • रूपांकन
  • देवी और देवता
  • स्थान (साइट)
  • विषय वस्तु
  • कलाकृतियां
  • संस्कृति सामग्री के फार्म
  • भाषाएँ (विशेषक रहित)
     

टिप्प्णी (2)

टिप्पणी को संक्षिप्त रखने की कोशिश की गई है और यह ध्यान रखा गया है कि यह
प्रकाशन के संदर्भ, अंतर्निहित रुचि और महत्व को स्पष्ट करे। इसमें अधिकतम 1000
अक्षर (150 शब्द) हैं। हालांकि यदा-कदा संपादक ने प्रकाशनों में दिए गए सारांश
का भी इस्तेमाल किया है, एबीआईए सारांश की शैली शब्दकोश के संकेतशब्दों के जरिए
डेटाबेस सर्च किए जाने के अनुरूप है।

यदि प्रकाशन का शीर्षक अंग्रेजी में नहीं है तो टिप्पणी का प्रथम वाक्य तिरछे
रूप में लिखे शीर्षक का अनुवाद प्रस्तुत करता है। टिप्पणी में, पाठ्य-खंड के ऐसे
शीर्षक और शब्द जो अंग्रेजी में नहीं हैं उन्हें भी तिरछे रूप में लिखा गया है।
 

एबीआईए इंडेक्स की सामग्री(2)

एबीआईए साउथ एंड साउथईस्ट एशियन आर्ट एंड
आर्क्योलॉजी इंडेक्स के क्षेत्र, विषय और सामग्री इस प्रकार हैं:

देश

  • दक्षिण एशिया: बांग्लादेश, भूटान, भारत,
    नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और मालद्वीप
  • दक्षिण पश्चिम एशिया
  • दक्षिण एशिया से संबंधित जैसे मध्य एशिया और
    पूर्व एशिया
  • दक्षिण पूर्व एशिया: ब्रुनेई दारुसलाम,
    कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, थाईलैंड और वियतनाम
  • दक्षिण पूर्व एशिया से संबंधित जैसे पूर्व
    एशिया और प्रशांत

विषय

  • पुराना और नया इतिहास
  • ऐतिहासिक पुरातत्व
  • प्राचीन कला इतिहास
  • आधुनिक कला इतिहास
  • पुरालेख विद्या और प्राचीन शिलालेखों का
    अध्ययन
  • मुद्राशास्त्र और सिगिल्लोग्राफी (सील)

    प्रदर्शन कला और प्राचीन इतिहास शामिल नहीं हैं।

सामग्री

  • मोनोग्राफ
  • मोनोग्राफ में लेख
  • पत्रिकाओं में लेख
  • अप्रकाशित पीएच.डी. थीसेज़
  • अकादमिक स्तर का कोई अव्यावसायिक साहित्य

Revised editions and translated publications are included, but unaltered reprints are not.

भाषाएं (2)

डेटाबेस की भाषा अंग्रेजी है। यद्यपि, हमारा
लक्ष्य है प्रकाशनों के बारे में जानकारियों को किसी भी भाषा में प्रॉसेस करना।
व्यावहारिक तौर पर, एबीआईए सूची में ऐसी भाषाओं वाले प्रकाशन शामिल किए हैं
जिससे एबीआईए संपादक और टिप्पणीकर्ता परिचित हैं या जिनके लिए उन्हें दूसरों से
मदद मिली है। अंग्रेजी के अलावा टिप्पणी की शुरुआत में शीर्षक का अनुवाद दिया
गया है।

सॉफ्टवेयर

<pनेस्को द्वारा तैयार और प्रसारित किए गए
पाठ्य पुनरोद्धार कार्यक्रम सीडीएस/आईएसआईएस की मदद से ग्रंथ-सूचीसंबंधी आंकड़े
तैयार किए हैं।

वर्गीकरण कोड(2)

एबीआईए इंडेक्स डेटाबेस और ग्रंथों में तीन
अंकों वाले एक व्यापक वर्गीकरण का उपयोग किया गया है।

  • रथम दो अंक भौगोलिक क्षेत्र को
    निर्दिष्ट करते हैं।
  • ीसरा अंक प्रकाशन के स्वरूप या इसकी
    विषय वस्तु को दर्शाता है।
     

 

 ;भौगोलिक
वर्गीकरण (2)

1.0

दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया

 

 

2.0

दक्षिण एशिया

6.0

दक्षिण पूर्व एशिया

2.1

2.2

2.3

2.4

2.5

2.7

2.8

बांग्लादेश

भूटान

भारत

नेपाल

पाकिस्तान

श्रीलंका

मालद्वीप

6.1

6.2

6.3

6.4

6.5

6.6

6.7

6.8

6.9

6.10

ब्रुनेई दारुसलाम

कंबोडिया

इंडोनेशिया

लाओस

मलेशिया

म्यांमार

फ़िलिपींस

सिंगापुर

थाईलैंड

वियतनाम

3.0

 

 

 4.0

 

  5.0

पदक्षिण पश्चिम एशिया, दक्षिण एशिया से संबंधित है (उदाहरण के लिए, अफगानिस्तान, ईरान)

मध्य एशिया, दक्षिण एशिया से संबंधित है (जैसे, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान)

पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया से संबंधित है (जैसे, तिब्बती संस्कृति के क्षेत्र)

7.0

 

 

 

 

 

 

 

 8.0

 

पूर्व एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया से संबंधित हैं (उदाहरण के लिए, दक्षिण चीन)

 

 

 

 

 

 

प्रशांत, दक्षिण पूर्व एशिया (औस्ट्रोनेशी संस्कृति के क्षेत्र) से संबंधित

 

खंड 1: एबीआईए: दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई कला और पुरातत्व सूचकांक (इंडेक्स) – खंड 1, कार्ल आर. वैन कूजि (1) द्वारा संपादित

एबीआईए सूचकांक 1 में रिकॉर्ड के भौगोलिक प्रसार मुद्रित
 

Oदक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया सामान्य पर 39

दक्षिण एशिया और इसकी परिधि पर 635

दक्षिण पूर्व एशिया और इसकी परिधि पर 632

रिकॉर्ड की कुल संख्या 1306

2. एबीआईए: दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई कला और पुरातत्व सूचकांक: खंड 2 एलेन एम. रावेन और हेल्गा आई. लास्सचुईजत द्वारा संपादित

एबीआईए सूचकांक 2 में रिकॉर्ड के भौगोलिक प्रसार मुद्रित

दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया सामान्य पर 64

दक्षिण एशिया और इसकी परिधि पर 1336

दक्षिण पूर्व एशिया और इसकी परिधि पर 650

रिकॉर्ड की कुल संख्या 2050

(स्रोत:. एबीआईए का परिचय सूचकांक 2, पृष्ठ XXVII)

पुस्तक राशि में वर्गीकरण + देश की रिकॉर्ड संख्या

1 एस एंड एसई एशिया 1307-1370 64

2.0 दक्षिण एशिया 1371-1577 207

2.1 बांग्लादेश 1578-1620 43

2.2 भूटान 1621-1626 6

2.3 भारत 1627-2205 579

2.4 नेपाल 2206-2286 81

2.5 पाकिस्तान 2287-2420 134

2.7 श्रीलंका 2421-2523 103

2.8 मालद्वीप 2524-2526 3

3 द.प. एशिया 2527-2587 61

4 सेंट्रल एशिया 2588-2622 35

5 पूर्व एशिया 2623-2706 84

6.0 द.पू. एशिया 2707-2787 81

6.1 ब्रुनेई दारुसलाम 2788 1

6.2 कंबोडिया 2789-2859 71

6.3 इंडोनेशिया 2860-3065 206

6.4 लाओस 3066-3077 12

6.5 मलेशिया 3078-3102 25

6.6 म्यांमार 3103-3162 60

6.7 फिलीपींस 3163-3189 27

6.8 सिंगापुर 3190-3195 6

6.9 थाईलैंड 3,196-3,263 68

6.10 वियतनाम 3264-3348 85

7 पूर्व एशिया 3349 1

8 प्रशांत 3350-3356 7

कुल 2050

एबीआईए सूचकांक खंड 2 – अभिलेखों के योगदान स्रोत (2) ( (पुस्तकालय मूल द्वारा संकेत)

पुस्तकालय/व्याख्याकार

पर प्रसंस्कृत

खंड 2 के लिए राशि योगदान दी गई

खंड 2 में विभिन्न देशों पर रिकॉर्ड्स (संयुक्त प्रयास)

 

 

 

द. और द.पू. एशिया

64

 

 

 

दक्षिण एशिया सामान्य

207

श्रीलंका

श्रीलंका

215

श्रीलंक

103

श्रीलंका

श्रीलंका

 

मालद्वीप

3

भारत

श्रीलंका

106

भारत

579

बांग्लादेश

श्रीलंका

29

बांग्लादेश

43

पाकिस्तान

श्रीलंका

5

पाकिस्तान

134

नेपाल

श्रीलंका

11

नेपाल

81

भूटान

श्रीलंका

1

भूटान

6

लीडेन

नीदरलैंड

 

द.प. एशिया

61

रूस

नीदरलैंड

37

मध्य एशिया

35

लीडेन

नीदरलैंड

 

पूर्व एशिया

85

लीडेन

नीदरलैंड

 

प्रशांत

7

लीडेन

नीदरलैंड

 

द.पू. एशिया सामान्य

81

लीडेन

नीदरलैंड

 

ब्रुनेई दारूसलाम

1

लीडेन

नीदरलैंड

 

कंबोडिया

71

इंडोनेशिया

नीदरलैंड

70

इंडोनेशिया

206

नीदरलैंड

नीदरलैंड

Laos

9

मलेशिया

नीदरलैंड

23

मलेशिया

25

लीडेन

नीदरलैंड

म्यांमार

60

लीडेन

नीदरलैंड

फ़िलिपींस

27

लीडेन

नीदरलैंड

सिंगापुर

6

थाईलैंड

नीदरलैंड

9

थाईलैंड

68

लीडेन

नीदरलैंड

वियतनाम

85

Netherlands

नीदरलैंड

1441

फ्रांस में नीदरलैंड

ब्रिटेन में नीदरलैंड

नीदरलैंड

नीदरलैंड

12

81

कुल

2050

कुल

2050

एबीआईए इंडेक्स: इसके लाभ

एबीआईए परियोजना दक्षिण एवं दक्षिणपूर्व एशिया के बहुत से देशों का एक सहयोगात्मक सामूहिक प्रयास है। इस अकादमिक क्षेत्र के लिए अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क की स्थापना करना कोई मजे की बात नहीं थी बल्कि पुरातत्त्व और कला इतिहास की स्मृतियों को जिलाए रखने की आवश्यकता है ताकि हमारी अगली पीढ़ियों तक इन्हें पहुंचाया जा सके। उम्मीद की जाती है कि एबीआईए साउथ एंड साउथईस्ट एशियन आर्ट एंड आर्क्योलॉजी इंडेक्स अपने विशिष्ट कार्यों की पूर्ति करेगा और विद्वद्जगत को दुनिया भर के अकादमिक संस्थानों में और विद्वानों द्वारा रचित कला इतिहास और पुरातत्त्व विषयक कृतियों से परिचित कराएगा। एबीआईए इंडेक्स डेटाबेस कला इतिहासकारों, पुरातत्त्ववेत्ताओं, एशियायी अध्ययन के विशेषज्ञों, मुद्राशास्त्रियों, इतिहासकारों और पुरालेखशास्त्रियों के लिए उपयोगी होगा। यह लाइब्रेरियनों, क्युरेटरों, शिक्षा सेवा कर्मियों और एशियायी कलाकृतियों एवं मुद्राओं के संग्रहकर्ताओं को भी आकर्षित करेगा।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में एबीआईए परियोजना

ग्रंथसूचियों एवं ग्रंथसूची संबंधी डेटाबेस का विकास इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र आधारभूत उद्देश्यों में से हैं। इन कार्यक्रमों के तहत कई ग्रंथसूचियां प्रकाशित की गई हैं। एबीआईए में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की भागीदारी का मकसद है उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के साथ-साथ दक्षिण एवं दक्षिणपूर्व एशिया में कला एवं पुरातत्त्व के संस्थानों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना।

एबीआईए परियोजना में, भारतीय क्रियाकलाप की शुरुआत धारवाड़, भारत के प्रो. सेत्तर द्वारा संभवतः वर्ष 1998 में हुई। दिसंबर 2001 में, इन्दिर गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स एबीआईए परियोजना के साथ जुड़ा और इसे भारतीय प्रकाशन की सूची हासिल करने में मदद की। काम जारी रखने के लिए इ.गाँ.रा.क.के. और पीजीआईएआर के बीच अक्टूबर 2002 में एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया। 1 जनवरी 2007 से इ.गाँ.रा.क.के. अगले 5 वर्षों के लिए एबीआईए परियोजना का समन्वयन कार्यालय बना। इस परियोजना के तहत एबीआईए परियोजना की रुचि वाले क्षेत्र में विभिन्न प्रकाशनों पर सूचना एकत्र करने के लिए भारत में विद्वानों और संस्थानों का एक क्षेत्रीय नेटवर्क स्थापित करने की योजना है। एबीआईए को रिकॉर्ड उपलब्ध कराने के योगदान के अलावा यह परियोजना इ.गाँ.रा.क.के. की ग्रंथसूची संबंधी क्रियाकलापों को सबल करने में भी मदद करेगी। इ.गाँ.रा.क.के. द्वारा इस परियोजना के अगले दो वर्षों के दौरान एबीआईए खंड IV के प्रकाशन की योजना तैयार की जाएगी।

अन्य भाग लेने वाले देश (2)

इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एशियन स्टडीज

नीदरलैंड के लीडेन और एम्स्टर्डम में स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एशियन स्टडीज (आईआईएएस) एक पोस्टडॉक्टोरल शोध केन्द्र है। इसका मुख्य उद्देश्य है एशियायी अध्ययन को प्रोत्साहित करना और इस क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना। इस संस्थान के भौगोलिक दायरे के अंतर्गत दक्षिण एशिया, दक्षिणपूर्व एशिया, पूर्वी एशिया और मध्य एशिया। यह संस्थान मानविकी और समाज विज्ञानों और जहां प्रासंगिक हो वहां अन्य विज्ञानों के साथ उनकी अंतर्क्रिया पर बल देता है।

http://www.iias.nl  

पोस्टग्रैजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ आर्क्योलॉजी

पोस्टग्रैजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ आर्क्योलॉजी (पीजीआईएआर) एक समन्वयक राष्ट्रीय संस्थान है जो पुरातत्त्व की शिक्षा, प्रशिक्षण, शोध एवं इस विषय को लोकप्रिय बनाने में प्रयासरत है। इसकी स्थापना 1986 में एक अध्यादेश के जरिए हुई और यह केलानिया विश्वविद्यालय के दो स्नात्कोत्तर संस्थानों में से एक है। एक प्रबंधन बोर्ड, जिसके पदेन सदस्य श्रीलंका के उन सभी संस्थानों से आते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पुरातत्त्व से जुड़े हैं, पीजीआईएआर का प्रशासन संचालित करता है।

सीमियो (SEAMEO) रीजनल सेंटर फॉर आर्क्योलॉजी एंड फाइन आर्ट्स – एसपीएएफए 

SEAMEO रीजनल सेंटर फॉर आर्क्योलॉजी एंड फाइन आर्ट्स बैंकॉक की एक समन्वयन इकाई है जो साउथईस्ट एशियन मिनिस्टर्स ऑफ एजुकेशन ऑर्गनाइजेशन (SEAMEO) के तत्वावधान में कार्य करती है जिसका उद्देश्य है सांस्क़ृतिक विरासत के प्रति लोगों में जागरुकता एवं सराहना के भाव पैदा करना, क्षेत्र में पुरातात्विक एवं सांस्कृतिक क्रियाकलापों के प्रोत्साहन में मदद करना और साथ ही पुरातत्त्व एवं ललित कलाओं के क्षेत्र में व्यावसायिक कुशलता विकसित करना। थाइलैंड सरकार द्वारा स्थापित SEAMEO-एसपीएएफए एक स्वायत्तशासी अंतर्राष्ट्रीय संस्थान के रूप में कार्यरत है।

एबीआईए परियोजना भी निम्नलिखित देशों से कुछ व्यक्तिगत और विद्वानों संस्थाओं द्वारा
प्रतिनिधित्व

  1. बांग्लादेश<
  2. भूटान<
  3. कंबोडिया<
  4. इंडोनेशिया<
  5. मलेशिया<
  6. नेपाल<
  7. पाकिस्तान</

ीआईए  एब की कार्यशालाएं

जनवरी 1997 में प्रथम कोलंबो (श्रीलंका) में पीजीआईएआर द्वारा आयोजित एबीआईए कार्यशाला के साथ परियोजना औपचारिक रूप से आरंभ हुई। दूसरी कार्यशाला बैंकॉक (थाइलैंड) में अगस्त 1997 में एसपीएएफए द्वारा आयोजित की गई। तीसरी कार्यशाला का आयोजन दिसंबर 1998 में लीडेन (नीदरलैंड) में किया गया। चौथी कार्यशाला कर्नाटक (भारत) के धारवाड़ में आयोजित की गई और इसके बाद पांचवीं का आयोजन केदिरी (इंडोनेशिया) में हुआ। 1-2 दिसंबर 2003 को भारत के नई दिल्ली में इ.गाँ.रा.क.के. द्वारा 6ठी एबीआईए कार्यशाला का आयोजन किया गया। 7वीं कार्यशाला का आयोजन 30 जुलाई से 2 अगस्त 2004 तक कोलंबो (श्रीलंका) के पीजीआईएआर में किया गया। “दक्षिण एवं दक्षिणपूर्व एशिया की एशियायी मृत्तिका कला” विषय पर 8वीं एबीआईए वार्षिक कार्यशाला और सेमिनार का आयोजन नीदरलैंड के लीडेन विश्वविद्यालय, लीडेन के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज में 11-13 जनवरी 2006 को किया गया। संपादकों और कार्यालयों के बीच संचार लाइन को मजबूत करने के लिए इन अंतर्राष्ट्रीय बैठकों का आयोजन नियमित रूप से किया जा रहा है और इसके बाद 12-13 फरवरी, 2007 को बांग्लादेश के ढाका में 9वीं और 7-8 दिसंबर 2009 को 10 वीं एबीआईए कार्यशाला का आयोजन इ.गाँ.रा.क.के. द्वारा भारत के नई दिल्ली में किया गया (छायापट देखिए)

REFERENCES संदर्भ

  1. ABIA: South and Southeast Asian Art and Archaeology index, Vol.1/ ed. by Karel R. van Kooij.-http://www.iias.nl/host/abia/node/12
  2. ABIA: South and Southeast Asian Art and Archaeology index, Vol.2/ ed. by Ellen M. Raven and Helga I. Lasschuijt.- Leiden: E.J.Brill, 2002
  3. On the history of the ABIA Index software/ Anton van de Repe
  4. Jean Philippe Vogel: a Dutchman who went Indian/ Gerda Theuns-De Boer in IIAS Newsletter 22(2000);http://www.iias.nl/host/abia/node/72
  5. A giant’s step to Sri Lanka: ABIA’s chair transferred/ Ellen M. Raven in IIAS Newsletter, 27th March(2002); http://www.iias.nl/host/abia/node/10
  6. www.abia.net