कलानिधि
संगीत
यह संग्रह भारत के वाद्ययंत्रों के बारे में किए गए प्रतिलिप्यांकनों का दुर्लभ संकलन है जिसमें 40 वर्ष की अवधि में की गई शोध टीकाएं भी शामिल हैं। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र ने रंगनायकी आयंगर का संग्रह और वी.ए.के. रंगाराव संग्रह के अलावा कर्णाटक संगीत के बारे में नटराजन के संग्रह भी प्राप्त कर लिए हैं।
एस. कृष्णारस्वामी संग्रह
यह संग्रह भारत के वाद्ययंत्रों के फोटोग्राफों और उनके रेखा-चित्रों का एक दुर्लभ संकलन है। संग्रह की सामग्री में न केवल उन वाद्ययंत्रों का विवरण दिया गया है जो समकालीन शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत और आदिवासी संगीत विधाओं में बजाए जाते हैं बल्कि इसमें सुदूर अतीत के उन वाद्ययंत्रों का विवरण भी शामिल है जो पुरातात्विक स्थलों में और प्राचीन मूर्तिकलाओं में दिखाई देते हैं। यह संग्रह, चालीस वर्ष की साधना का फल है और इसमें श्री कृष्णा्स्वामी की शोध टीकाओं के साथ-साथ ऑडियो टेपों में 30 घंटे की संगीत रिकॉर्डिंग भी शामिल है।
एस. नटराजन संग्रह
श्री नटराजन ने 1950 के बाद से कर्णाटक संगीत के 740 से अधिक समारोहों की रिकॉर्डिंग की है। 2000 घंटे से अधिक की रिकॉर्डिंग के उनके इस संग्रह में इस शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों से लेकर अब तक कर्णाटक संगीत के हर बड़े संगीतकार का वादन रिकॉर्ड किया गया है। इस संग्रह में उन संगीत-विज्ञानियों के लिए थोड़ी-बहुत शोध सामग्री भी शामिल है जो कर्णाटक संगीत के विभिन्न समकालीन कलाकारों की शैली और संगीत में रुचि रखते हों।
वी.ए.के. रंगाराव संग्रह
78 आरपीएम संगीत रिकॉर्डों का यह संग्रह श्री रंगाराव से प्राप्त किया गया है; श्री रंगाराव संगीत रिकॉर्डों के विख्यात संग्रहकर्ता हैं। इस संग्रह में पुराने कर्णाटक संगीत के दुर्लभ रिकॉर्ड और हिन्दुॉस्तानी संगीत के कुछ रिकॉर्ड शामिल हैं; ये रिकॉर्ड कुछ पुरानी रिकॉर्डिंग कंपनियों ने प्रकाशित किए थे। शास्त्रीय संगीत विधा के अलावा इस संग्रह में अनेक भारतीय भाषाओं के नाटक, मंच-संगीत, गैर-फिल्मीस सुगम संगीत और फिल्मं संगीत शामिल है।
रंगनायकी आयंगर संग्रह
इस संग्रह में पश्चिमी शास्त्रीय संगीत के बीथोवन और मोजार्ट जैसे संगीतकारों के संगीत रिकॉर्ड शामिल हैं। सुप्रसिद्ध संगीत-विज्ञानी डॉ. रंगनायकी आयंगर ने यह संग्रह इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र को भेंट किया है।
डॉ. एस. वेंकटेशन संग्रह
कर्नाटक और हिन्दु्स्तानी संगीत के 78 आरपीएम और ईपी रिकॉर्डों वाला यह संग्रह श्री वेंकटेशन ने केन्द्र को भेंट किया है।