आईजीएनसीए के बारे में

कला का कायाकल्प


परिचय
श्रीमती इंदिरा गाँधी जी की स्मृति में स्थापित, इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र की कल्पना, सभी कलाओं के अध्ययन और अनुभव को सम्मिलित करने वाले केंद्र के रूप में की गई थी—जहाँ प्रत्येक स्वरूप अपने आप में संपूर्ण हो, तथापि पारस्परिक निर्भरता के आयाम के अंतर्गत, प्रकृति, सामाजिक संरचना और ब्रह्मांड के साथ परस्पर संबद्ध हो।

कला का यह दृष्टिकोण, मानव संस्कृति के साथ एकीकृत, और उसके विशाल साँचे के लिए महत्वपूर्ण, व्यक्ति के स्वयं अपने और समाज के अभिन्न गुण के लिए आवश्यक कला की भूमिका के प्रति श्रीमती गाँधी की मान्यता पर निर्भर है। इसमें समग्र वैश्विक दृष्टिकोण शामिल है, जो संपूर्ण भारतीय परंपरा में प्रभावशाली रूप से व्यक्त हुआ है, और जिस पर महात्मा गाँधी से लेकर रवीन्द्रनाथ ठाकुर जैसे आधुनिक भारतीय नेताओं ने बल दिया है।

यहाँ कला में लिखित और मौखिक रचनात्मक और महत्वपूर्ण साहित्य; वास्तुकला, शिल्पकला, चित्रकला और ग्राफ़िक्स से लेकर सामान्य वस्तुपरक संस्कृति, फ़ोटोग्राफ़ी और फ़िल्मों तक विस्तृत दृश्य कलाएँ; अपने व्यापक अर्थ में संगीत, नृत्य और नाट्यशाला रूपी प्रदर्शन कलाएँ; और मेलों, उत्सवों और जीवन शैली के वे सभी घटक सम्मिलित हैं, जिनमें कलात्मक आयाम मौजूद हैं। अपने प्रारंभिक चरण में केंद्र द्वारा भारत पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा; बाद में वह अन्य सभ्यताओं और संस्कृतियों तक अपने क्षितिज को विस्तृत करेगा। अनुसंधान, प्रकाशन, प्रशिक्षण, रचनात्मक गतिविधियों और प्रदर्शन के माध्यम से इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र प्राकृतिक और मानव परिवेशीय संदर्भ के अंतर्गत कला को अवस्थित करना चाहता है। अपने सभी कार्यों में केंद्र का मौलिक दृष्टिकोण बहु-विषयक और अंतर-विषयक, दोनों है।

भारतीय कला और संस्कृति के बिखरे खंडों को एकत्रित करने और उनके संरक्षण की आवश्यकता को पहचानते हुए, इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा कला के लिए, विशेष रूप से लिखित, मौखिक और दृश्यात्मक सामग्री के प्रमुख संसाधन केंद्र के रूप में सेवा देने का एक अग्रणी प्रयास किया गया है। इस केंद्र के कार्यक्रमों में एक है, यू.एन.डी.पी. के सहयोग से मल्टी-मीडिया कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के उपयोग से विस्तृत विविधता वाले ऐसे सॉफ़्टवेयर पैकेज तैयार करना, जो सांस्कृतिक जानकारी को संप्रेषित करे। मल्टी-मीडिया प्रौद्योगिकी उपयोगकर्ता को कंप्यूटर पर ऑडियो, पाठ, ग्राफ़िक्स, एनिमेशन और वीडियो को संयोजित करते हुए अरेखीय विधि से विषय के साथ परस्पर-क्रिया और गवेषणा अनुमत करती है।

“इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र (इ.गाँ.रा.क.के.) की अद्भुत दूरदर्शिता और व्यवस्था को देख कर… मुझे लगता है कि यही वह क्षण है जब रचनात्मकता को नई दृष्टि मिली… आपने भारतीयों के लिए अविश्वसनीय सेवा की है
जिसकी प्रत्येक सभ्यता को ज़रूरत है ताकि समस्त संसार को अभ्यंतर जीवन और मन की विश्व-व्यवस्था बना सकें… सभी विद्वानों के अपने संबंधित क्षेत्रों में किए गए पिछले प्रयास केवल स्पष्टता की तलाश प्रतीत होते हैं जिसे आपने पूर्णतया हासिल किया है।”
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