पूर्वोत्तर भारत: एक परिचय

पूर्वोत्तर सही मायने में एक सीमावर्ती क्षेत्र है। इसकी 2000 किमी. से अधिक लंबी सीमा भूटान, चीन, म्यानमार और बांग्लादेश के साथ लगी हुई है और यह शेष भारत से भूमि के एक 20 किमी. चौड़ाई के सँकरे कॉरीडोर से जुड़ा हुआ है। यह एशिया के उन क्षेत्रों में से एक है जो नैतिक रूप से तथा भाषायी रूप से सर्वाधिक विविधता वाले क्षेत्र हैं, जहां प्रत्येक राज्य की अपनी विशिष्ट संस्कृति तथा परंपराएँ हैं।

अनंत काल से भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र विभिन्न समुदायों, मतों तथा संस्कृतियों का मिलन बिन्दु रहा है। अपनी जादुई सुंदरता तथा हतप्रभ करने वाली विविधता के लिए प्रसिद्ध पूर्वोत्तर भारत विभिन्न भाषाएँ बोलने वाली 166 से अधिक अलग-अलग जनजातियों का घर है। कुछ समूह तो कई शताब्दियों में दक्षिण-पूर्व एशिया से विस्थापित हो कर यहाँ बसे हैं; उन्होंने अपनी सांस्कृतिक परंपराएँ तथा मूल्य यथावत बनाए रखे हैं परंतु अब यह समूह समकालीन जीवनशैलियाँ अपनाना शुरू कर रहे हैं। इस क्षेत्र में घने जंगल हैं और नदियाँ भी बहुत बलशाली हैं और वार्षिक मानसून के दौरान वर्षा, आंधी तूफान यहाँ की सभी पहाड़ियों, घाटियों और मैदानों में प्रभाव दिखाते हैं।

इसके भूदृश्य की सरसता, समुदायों की विविधता और भौगोलिक तथा पारिस्थितिकीय विविधता पूर्वोत्तर को उपमहाद्वीप के अन्य भागों से बहुत अलग बनाती है। सर्दियों में घाटियों में चारों ओर धुंध छा जाती है परन्तु गर्मियों की बरसातों में यह पहाड़ियों पर आने वाले लोगों के आसपास ही मंडराती है, इस प्रकार यह एक मोहक तथा रोमांचकारी वातावरण बनाती है। इस क्षेत्र की सीमा म्यांमार, भूटान और बांग्लादेश के साथ लगी हुई है।

भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में त्योहार तथा उत्सव यहाँ के लोगों तथा उनके जीवन का एक सतरंगी प्रतिबिंब है। यहाँ के लोग पूरे वर्ष विभिन्न तरीकों से धूमधाम से त्योहार मनाते हैं, और इनमें से अधिकतर त्यौहार उनके जीवन जीने के तरीकों तथा आजीविका पर केन्द्रित होते हैं।

पूर्वोत्तर भारत में सात राज्य हैं जिन्हें आम तौर पर “सात बहनों” के नाम से जाना जाता है। ये हैं – अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा।

प्रत्येक राज्य यात्रियों के लिए स्वर्ग है जहां मनोरम पहाड़ियाँ और हरे-भरे मैदान है जिनमें वनस्पतियों तथा जीवों की हजारों प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इसके अतिरिक्त, इन राज्यों में मछली पकड़ना, नौका विहार, राफ्टिंग, ट्रैकिंग और हाइकिंग भी की जा सकती है। इसके अतिरिक्त यहाँ विभिन्न वन्य जीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान हैं जहां दुर्लभ जानवर, पक्षी तथा पौधे पाए जाते हैं जो यकीनन ही पर्यटकों को आकर्षक जानकारी उपलब्ध कराएंगे।