Kalakosa
कलामूलशास्त्र श्रृंखला
अभी चल रहे दूसरे दीर्घकालीन कार्यक्रम में शामिल हैं स्थापत्य, मूर्तिकला, चित्रकारी से लेकर संगीत, नृत्य, नाट्क आदि भारतीय कला-विधाओं की वैज्ञानिक और तकनीकी टीकाओं सहित उनसे संबंधित पाठ्य-आलोचना संस्करणों का प्रकाशन और मूल पाठों का अनुवाद। इस कार्य को शब्दसूचियों सहित मूल अनुवाद के साथ 108 पाठ्य खंडों की श्रृंखला के रूप में और सचित्र प्रकाशनों सहित पूर्ण किए जाने की योजना है। पहले चरण के रूप में, 24 पाठ्य खंडों का चयन समीक्षात्मक संस्करण एवं प्रकाशन के लिए किया गया है। इस कार्य में भारतीय एवं विदेशी विद्वानों को शामिल किया गया है। अपनाई गई प्रक्रिया में शामिल है प्रत्येक पाठ्य खंड को विषय से संबंधित किसी एक या अधिक विशेषज्ञों के जिम्मे सौंपना जिन्हें सभी जरूरी मुद्रित एवं पांडुलिपीय सामग्री उपलब्ध कराई गई है और उनकी पहुंच में कलानिधि का डेटाबेस भी होगा।
प्रत्येक खंड में शामिल हैं एक समीक्षात्मक परिचय, इस्तेमाल की गई समीक्षात्मक विधि पर एक टिप्पणी, मूल पाठ्य-खंड के रचनाकार का ऐतिहास क्रम-स्थान, विभिन्न पाठों के साथ आलोचनात्मक रूप से संपादित पाठ्य-खंड, सामने के पृष्ठों पर अंग्रेजी अनुवाद, पाद टिप्पणी, तकनीकी शब्दों की सूची, विषय सूची, संदर्भ ग्रंथों की सूची और चित्रांकन एवं फोटोग्राफ।
प्रथम चरण के दौरान कार्यक्रम की इन आरंभिक बातों के पूरा हो जाने के बाद, कलाकोश प्रभाग अगले 500 मूल शब्दों के साथ और समीक्षात्मक संस्करणों की अपनी शब्दावली परियोजना जारी रखेगा जिसका लक्ष्य है दूसरे चरण में कला के विश्वकोश की परियोजना आरंभ करना। उस समय तक सभी संकायों से संबंधित प्रथम स्तरीय संदर्भ सामग्री के साथ ही प्रयोग पक्ष पर बल देने वाली जनपद संपदा द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़े एकत्र किए जाएंगे। विश्वकोश की अकादमिक योजना का निर्माण संबंधकारी सिद्धांत और कार्य, लिखित एवं मौखिक परंपरा के आधार पर किया जाएगा। यह बहु-विषयी और अंतर्सांस्कृतिक होगा। कलमकुलशास्त्र कार्यक्रम के तहत विरल पारंपरिक संस्कारों के वीडियो और ऑडियो रूप भी तैयार किए गए हैं। इस श्रृंखला के प्रत्येक खंड में सामान्य संपादक का एक प्राक्कथन होगा।