कलानिधि
दृश्य पुस्तकालय
भारतीय कला-रूपों से संबंधित सामग्री संग्रहीत करने का अपना प्रमुख लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में बड़ी सावधानी से आगे बढ़ते हुए केन्द्र में भारतीय कला-रूपों के इतिहास के बारे में प्रतिलिप्यांकनों (स्लाइडों) का एक विशेष संग्रह तैयार किया गया। 15 वर्ष पहले शुरू की गई इस प्रक्रिया का परिणाम बहुत सुखद निकला है। इस समय तक हमारा संग्रह न केवल मात्रा की दृष्टि से समृद्ध हुआ है अपितु विषय-वस्तु और गुणवत्ता की दृष्टि से भी। स्लाइड निर्माण, प्रतिलिपिकरण और स्कैनिंग की हमारी वर्तमान मूलभूत सुविधाओं और कंप्यूटरीकृत सूचना-सुविधा शुरू करने से यह केन्द्र पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में अपने किस्म का अनूठा संस्थान बन गया है।
कलानिधि संदर्भ पुस्तकालय की स्लाइड यूनिट वर्ष 1989 से ही कार्य करती आ रही है और इन गुज़रे वर्षों में इस यूनिट में भारत के 17 केन्द्रों और विदेश के 16 केन्द्रों से एक लाख से अधिक चुनिंदा स्लाइडें प्राप्त की गई हैं और तैयार की गई हैं। हर साल इस संग्रह में लगभग 3000 स्लाइडें जुड़ जाती हैं। स्लाइडों के अलावा इस यूनिट के पास हिमाचल प्रदेश (धरती और निवासी), श्रीलंका के स्मारकों और जम्मू एवं कश्मीर के संग्रहालयों के बारे में 2270 से अधिक फोटो-नेगेटिव उपलब्ध हैं।
इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की स्लाइड यूनिट में भारतीय कला-रूपों अर्थात् चित्रकारी, मूर्तिकला, वास्तुकला, सचित्र पांडुलिपियों और भारत की मंचीय कलाओं का सबसे बड़ा संग्रह है। यह पुस्तकालय भारत का एकमात्र ऐसा पुस्तकालय है जिसमें स्लाइडों के अभिलेखीय भंडारण, डेटा कम्प्यूटरीकरण, प्रतिलिपीकरण और स्कैनिंग के लिए समुचित अवसंरचना उपलब्ध है।
विदेशी संग्रहालयों एवं संस्थाओं से प्राप्त भारतीय कला-रूपों का संग्रह
हमारे भंडार के लिए लगभग 16 विदेशी संस्थाओं ने योगदान किया है और स्लाइड यूनिट संग्रह का काफी बड़ा हिस्सा उनके योगदान से तैयार हुआ है।
ये बृहद् संग्रह इस प्रकार हैं-
क्र.सं. | स्रोत | कुल | विषय - सूची |
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1. | ब्रिटिश पुस्ताकलय,लंदन | 27671 | पश्चिमी चित्र, जॉनसन की एल्बम, प्राकृतिक इतिहास चित्र, भारतीय लघु चित्रकला, ओरिएंटल संग्रह;संस्कृत, हिन्दी, उर्दू, प्राकृत, असमी, उड़िया, मराठी, पंजाबी, बर्मी, और थाई की सचित्र पांडुलिपियां। |
2. | चेस्टर बैट्टी पुस्ताकलय,लंदन | 3441 | अरबी और फारसी में सचित्र पांडुलिपि- अकबरनामा, हमजानामा, शाहनामा, अजैब-अल मखलुकत, ज़फरनामा, महाभारत, दीवान ऑफ हाफिज (हाफिज के दीवान), अनवर-I सुहाली। |
3. | ब्रिटिश संग्रहालय, लंदन | 574 | रागमाला चित्र, पक्षियों की ड्राइंग एल्बम, सजावटी कला, हिंदू और बौद्ध देवता, मुगल लघुचित्र। |
4. | विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय, लंदन | 6419 | मुगल लघुचित्र, हमजानामा, अकबरनामा, बाबरनामा;पहाड़ी, राजस्थानी, कंपनी कालीघाट, बंगाली, डेकनी, गुजराती, मध्य भारतीय, दक्षिण भारतीय और आधुनिक चित्रकला। |
5. | स्टैटलीचे संग्रहालय, बर्लिन | 156 | ग्रीक रोमन और मिस्र के कलाकृतियां |
6. | एशमोलिएन संग्रहालय, ऑक्सफोर्ड | 100 | प्रारंभिक भारतीय कला, मथुरा और गांधार मूर्तिकला, गुप्त काल मूर्तिकला, अंतिम हिंदू, बौद्ध, जैन मूर्तिकला, लोक कांसे, चित्रकला और व्यवहारिक वस्तुएं; मुगल और ब्रिटिश काल चित्रकला और सजावटी कला। |
7. | यूगोस्लाविया से स्लाइड | 216 | चर्च, संन्यासी, और सर्बिया, फ्रूसा-गोरा सोपोकानी, जिका, ग्राकनिका, मनसीजा, डेकनी, मिलेसेवा, रवानिका, मनसीजा में ईसाई धर्म, मठों के अन्य विषय |
8. | अमेरिकन कमेटी फॉर साउथ एशियन आर्ट (एसीएसएए) संग्रह की डिजिटल छवियाँ देखें | 16222 | भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों (भारत, श्रीलंका, थाईलैंड कंबोडिया, इंडोनेशिया, बर्मा (म्यांमार), पाकिस्तान, अफगानिस्तान) की कला और वास्तुकला |
9. | रिकॉर्ड्स के चित्र (यूएसए) | 253 | पुरातत्व कलाकृतियां- अपर कोलोराडो पठार की स्वदेशी अमेरिकी शैल कला। दक्षिण पूर्वी सेरीमोनियल कॉम्पलेक्स; फ्रेजर नदी पत्थर मूर्तिकला, चोको घाटी, न्यू मैक्सिको |
10. | एशियन कल्चर सेंटर फॉर यूनेस्को (एसीसीयू) | 978 | एशिया और प्रशांत क्षेत्र में सांस्कृतिक विरासत (अफगानिस्तान,ऑस्ट्रेलिया, बर्मा (म्यांमार), नेपाल, पाकिस्तान, मलेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, बांग्लादेश कोरिया, सिंगापुर, जापान, पापुआ न्यू गिनी, चीन, इंडोनेशिया) |
11. | प्रो कुस्केरटज फरीईई, विश्वविद्यालय बर्लिन | 7 | लंबादी और टोडा आदिवासी नृत्य |
12. | वर्जीनिया म्यूजियम ऑफ फाईन आर्ट्स, वर्जीनिया यू.एस.ए. | 1 | अकबरनामा |
13. | सटाट्स बिबलियोथेक प्रेसुसिसचर कुलतुरबेसिट्ज (एसबीपीके), बर्लिन | 51 | जहांगीर एलबम |
14. | कला का लॉस एंजिल्स काउंटी संग्रहालय, कैलिफोर्निया, अमेरिका | 1 | अकबरनामा |
15. | कैथरीन बी आशेर, मिनेसोटा विश्वविद्यालय, संग्रह | 383 | दिल्ली, लखनऊ, उदयपुर और जयपुर के असुरक्षित स्मारक, |
16. | अमेरिकन कमेटी फॉर साउथ एशिया आर्ट (एसीएसएए) | 3023 | संयुक्त राज्य अमेरिका और चित्रशालाओं में भारतीय कला संग्रह - लॉस एंजिल्स काउंटी कला संग्रहालय, संग्रह मिशिगन विश्वविद्यालय, ब्रुकलीन संग्रहालय, नेल्सन और एटकिन्स संग्रहालय, किमबेल कला संग्रहालय, टेक्सास; एशियाई कला संग्रहालय; सैन फ्रांसिस्को |
भारतीय संग्रहालयों और संस्थाओं से प्राप्त भारतीय कला संग्रह
कलानिधि संदर्भ पुस्तकालय में भारत में स्थित 17 संस्थाओं और संग्रहालयों से भारतीय कला एवं संस्कृति के बारे में स्लाइडें संग्रहीत की गई हैं। इनमें से कुछ संग्रह इस प्रकार हैं-
1. | रजा पुस्तकालय रामपुर | 2483 | मुगल और फारसी के लघुचित्र, पेटिंग और सचित्र पांडुलिपियां |
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2. | गीत गोविंद गीत गोविंद की डिजिटल छवियाँ देखें | 2090 | प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम, राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली, भारत सरकार संग्रहालय और आर्ट गैलरी, चंडीगढ़, गुजरात संग्रहालय सोसायटी, सालारजंग संग्रहालय, हैदराबाद, भर्त कला भवन, वाराणसी, राज्य संग्रहालय, उदयपुर, राजस्थान ओरिएंटल रिसर्च, एसएमएस संग्रहालय, सिटी प्लेस, जयपुर, सरकारी संग्रहालय, अलवरः के संग्रह से गीत गोविंद चित्र। |
3, | भारत के महोत्सव | 5251 | विदेश में भारत महोत्सव में लोक नृत्य, संगीत वाद्ययंत्र, वस्त्र, समकालीन कला, आधुनिक चित्रकला, महाभारत, रासलीला, रामलीला, तमाशा, यक्षगान, कलारीपयत्त, भारत के पुरातात्विक स्मारकों का आयोजन किया गया। |
4. | भारत अंतरराष्ट्रीय कठपुतली समारोह | 1059 | कठपुतलियां और कठपुतली थियेटर - श्रीलंका, भारत, कोरिया, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, वियतनाम, जर्मनी, जापान, कनाडा, उज़बेक, मिस्र, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड, माली, चेकोस्लोवाकिया, चीन, बुल्गारिया, रोमानिया, फ्रांस चिली. |
5. | इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र संगोष्ठी और समारोह | 2063 | संगोष्ठी और प्रदर्शनी - (अकारा, कला, अकासा प्रदर्शनियां, सिंधु घाटी, बोरोबुदूर) |
6. | भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पुणे | 199 | शिव लीलामृत, मिथिले, हरीबाला, कौपई, भगवत पुराण, शाहनामा और शिव कवक की सचित्र पांडुलिपियां |
7. | भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली | 103 | विरूपक्षा मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, गलगनाथ मंदिर, नटराज मंदिर, मालिकार्जुन मंदिर, अजंता की गुफाएं, शीषशाया विष्णु, वराह, गरुड़, गंगावतर्न |
8. | कश्मीर लघु चित्रकारी | 343 | सांस्कृतिक अकादमी, श्रीनगर, कश्मीर विश्वविद्यालय संग्रहालय पुस्तकालय, जम्मू और कश्मीर राज्य अभिलेखागार, श्रीनगर और एसपीएस संग्रहालय, श्रीनगर के संग्रह से कश्मीर लघु चित्रकला। |
9. | बालीसत्र भागवत पुराण, असम | 968 | बालीसत्र, असम से इलस्ट्रेटेड पांडुलिपियां |
10. | राष्ट्रीय मूर्तिकला संग्रहालय, नई दिल्ली | 85 | बर्लिन, राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में, भारतीय कला के संग्रहालय, की प्रदर्शनी; मूर्तिकला और पेंटिंग में शिव के विभिन्न रूप, । |
11. | हिमालयी सीनरी | 107 | हिमालयी दृश्यों (परिदृश्य पेड़, नदियां, पहाड़, बादल आदि)गौमुख, कैलाश पर्वत, भागीरथ, केदारनाथ, अमरनाथ। |
12. | इलस्ट्रेटेड दुर्लभ किताबें, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र | 1537 | इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में इलस्ट्रेटेड दुर्लभ पुस्तकें और पांडुलिपियां |
13. | मधुमती पेंटिंग | 15 | पहाड़ी स्कूल से मधुमती पेंटिंग |
14. | भूटान पर प्रदर्शनी | 103 | भूटान से कलाकृतियां (कर्मकांडी, उपयोगी और सजावटी) |
15. | लद्दाख के थंकास | 80 | लद्दाख के थंकास |
अमेरिकन कमिटी फॉर साउथ एशियन आर्ट कलेक्शन
इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र ने दो खेपों में अमेरिकन कमिटी फॉर साउथ एशियन आर्ट कलेक्शन से 3023 मूल स्लाइडें और इन स्लाइडों के प्रतिलिप्याधिकार भी खरीद लिए हैं। पहले समूह में अमरावती, गोली, जगय्यतपेट, नागार्जुनकोंड, घंटसला, भरहुत और पाल युगीन मूर्तिकलाओं की स्लाइडें हैं। दूसरे समूह में अमेरिका के संग्रहालयों में तैयार किए गए भारतीय संग्रहों की स्लाइडें हैं।
लॉस एंजिल्स कंट्री म्यूज़ियम ऑफ आर्ट, कैलिफोर्निया से अवाप्त संग्रह में आदिकालीन भारतीय प्रस्तर मूर्तिकला; आदिकालीन कांस्य मूर्तिकला; सल्तनत और मुगलकालीन चित्रकला; नेपाली और तिब्बती मूर्तिकला; पाल और नेपाली पांडुलिपि चित्रकारी; सल्तनत, मुगल और राजपूत चित्रकला की स्लाइडें शामिल हैं। ब्रुकलिन म्यूज़ियम ऑफ आर्ट से प्राप्त संग्रह में भारतीय मृण्मूर्तिकला की स्लाइडें हैं। क्लीवलैण्ड म्यूज़ियम से प्राप्त मूर्तिकला एवं चित्रकला; मिशीगन विश्वविद्यालय के स्कन्द संग्रह से कुषाण एवं गुप्तकालीन मुद्राएं; नेल्सन एटकिंस म्यूज़ियम, कंसास सिटी से भारतीय, दक्षिण-पूर्व एशियाई और हिमालयी मूर्तिकला; किंबाल म्यूज़ियम ऑफ आर्ट, टैक्सस में रखी दक्षिण-पूर्व एशियाई मूर्तिकला की स्लाइडें भी इस संग्रह में हैं। एशियन आर्ट्स म्यूज़ियम ऑफ सन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया से प्राप्त भारतीय, दक्षिण-पूर्व एशियाई और हिमालयी मूर्तिकला की स्लाइडें भी इस संग्रह में उपलब्ध हैं।
गीत गोविन्द चित्रकला संग्रह
गीत गोविन्द 12वीं शताब्दी में जयदेव द्वारा रचित संस्कृत काव्य है। जयदेव 12वीं शताब्दी में बंगाल के अंतिम हिन्दू शासक लक्ष्मणसेन के दरबारी कवि थे। गीत गोविन्द असीम सौन्दर्यपूर्ण रचना है और यह रचना कृष्ण और राधा की प्रेम लीला, उनके मिलन, राधा की ईर्ष्या और कोप तथा पुनर्मिलन पर आधारित है। इस काव्य रचना के माध्यम से एक शाश्वत नाट्य का संदेश दिया गया है जो सूक्ष्ण और स्थूल दोनों स्तरों पर घटित होता है। काव्य की एक-एक पंक्ति बहु-अर्थी है जो एक साथ ही श्रांगारिक एवं आध्यात्मिक, लौकिक एवं अलौकिक, मानवीय एवं दैवीय, अनुभवी और अनुभवातीत स्तरों पर भाव-संचार करती है।
रज़ा लाइब्रेरी, रामपुर संग्रह
डॉ. बारबरा स्मित्स और डॉ. ज़ेड. ए. देसाई के विशेष मार्गदर्शन में इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र ने रामपुर रज़ा लाइब्रेरी में मौजूद मुगलकालीन एवं फारसी लघु चित्रों और सचित्र पांडुलिपियों से जुड़ी 2483 स्लाइडों का फोटो-प्रलेखन किया है। रामपुर रज़ा लाइब्रेरी में संरक्षित सचित्र पांडुलिपियों और एलबमों का सूचीपत्र तैयार करने में पांच वर्ष का समय लगा और इसका प्रकाशन 2006 में किया गया। रज़ा लाइब्रेरी में 35 एलबम हैं जिनमें लगभग 1000 चित्र हैं। ये अलग-अलग अलबम 20वीं शताब्दी में फुटकल चित्रों को जोड़ कर तैयार किए गए थे। ये चित्र 17वीं से 20वीं शताब्दी में बनाए गए थे और इनमें चित्रकला की भिन्न-भिन्न शैलियों जैसे कि मुग़ल, दक्कनी, राजस्थानी, पहाड़ी, लखनऊ, फर्रुखाबाद, लाहौर, फारसी और बुखारा शैलियों के चित्र शामिल हैं। 35 एलबमों में से 04 अलबमों में दैहिक सौंदर्य के नग्नचित्र हैं। इन एलबमों के फुटकर चित्रों में एक चित्र ऐसा भी था जिसमें एक ओर चित्रकारी की गई है और दूसरी ओर सुलेख का नमूना चित्रित है।
इन एलबमों में अकबर (1556 से 1605), जहांगीर (1605 से 1627) और शाहजहां (1628 से 1658) के राज्यकाल के शाही चित्र भी हैं। रामपुर संग्रह में सर्वश्रेष्ठ चित्र हैं- 6 रागमाला सैट जो सन् 1780 से 1800 के बीच लखनऊ में चित्रित किए गए।
इस लाइब्रेरी में रखी सबसे पुरानी सचित्र पांडुलिपियां हैं- 1585 से 95 में रचित हाफ़िज का दीवान; 1590 से 1610 में रचित सुवार अल-कुवाक़िब; 17वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में रचित मयलितिस अल-अकबर और 1571 ईसवी सन् में रचित अज़ाइब अल मखलुकात।
18वीं-19वीं शताब्दी की सचित्र फारसी पांडुलिपियों का मूलस्थान दिल्ली, लखनऊ, बंगाल, बनारस, कश्मीर, रामपुर, लाहौर है। हेरात, बुख़ारा, तबरीज़, शीराज़, अबरकू, अस्तराबाद, अरदबील, इस्फहान, और तेहरान से लाई गई कुछ फारसी सचित्र पांडुलिपियां भी हैं। मक्का से लाई गई अरबी की चार सचित्र पांडुलिपियां भी इस संग्रह में हैं।
रज़ा लाइब्रेरी संग्रह में शामिल कुछ प्रसिद्ध सचित्र पांडुलिपियों के नाम हैं- अज़ाइब-अल-मखलुकात, बहार-ए-दानिश, रामायण, कोकशास्त्र, नल दमयंती, गुलिस्तां और बुस्तां, अहदनामा-ए-सलातीन-तुग़लक़, क़िस्सा-ए-चांदरानी, मूश वा गुर्ब, तूतीनामा, तालिनामा, दख़ीरा-ए-इस्कंदरी, इस्कंदरनामा, शाहनामा, बाजनामा, हाफ़िज का दीवान, ख़ुसरू वा शीरीं, दरबनामा, खवरनामा, शहंशाहनामा।
अमेरिका में भारत महोत्सव– स्लाइड संग्रह
अमेरिका में आयोजित किया गया भारत महोत्सव कार्यक्रम, दोनों देशों के बीच सहकारी प्रयासों के क्षेत्र में मील का पत्थर था। 1985-86 में आयोजित महोत्सव में प्रदर्शनियां लगाई गई थीं और मंचीय कलाओं के कार्यक्रम किए गए थे और इसका मुख्य उद्देश्य यह था कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव बढ़ाया जाए जिससे कि अमेरिकी जनता भारत के लोगों के जीवन और संस्कृति को समझ सके।
महोत्सव के दौरान लगाई गई प्रदर्शनी के लिए 35 संग्रहालयों ने अपने-अपने संग्रह उपलब्ध कराए थे। ये संग्रहालय थे- नेशनल गैलरी ऑफ आर्ट, वाशिंगटन; ब्रुकलिन म्यूज़ियम, न्युयॉर्क; क्लीवलैण्ड म्यूज़ियम ऑफ आर्ट; आयोवा विश्विविद्यालय, आयोवा सिटी; द एशिया सोसाइटी गैलरी, न्यू यॉर्क; फिलाडेल्फिया म्यूज़ियम ऑफ आर्ट; म्यूज़ियम ऑफ फाइन आर्ट्स, बोस्टन; सिनसिनाटी आर्ट म्यूज़ियम; अमेरिकन फेडरेशन ऑफ आर्ट्स, न्यू यॉर्क; मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ आर्ट, न्यू यॉर्क; मिल्स कॉलेज, ओकलैण्ड, कैलिफोर्निया; न्यू यॉर्क पब्लिक लाइब्रेरी; ज्यूइश म्यूज़ियम, न्यू यॉर्क; दि रॉयल ओक फाउंडेशन; पीयरपॉन्ट मोरगन लाइब्रेरी, न्यू यॉर्क; पीबॉडी म्यूज़ियम, सलेम, मैसाचुसेट्स; म्यूज़ियम ऑफ साइंस एंड इंडस्ट्री, शिकागो; नेशनल म्यूज़ियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री, स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूट, वाशिंगटन; स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूट, ओरेगन विश्वविद्यालय; वाइट आर्ट गैलरी, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, ग्रे आर्ट गैलरी, न्यु यॉर्क; म्यूज़ियम ऑफ वर्ल्ड फोक आर्ट, सेन डिएगो; अमेरिकन म्यूज़ियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री, न्यू यॉर्क; इंटरनेशनल म्यूज़ियम ऑफ फोटोग्राफी, ईस्टमेन हाउस, न्यूयॉर्क; यूनिवर्सिटी आर्ट म्यूज़ियम, बर्कले; म्यूज़ियम ऑफ मॉडर्न आर्ट, न्यू यॉर्क; लिंकन सेंटर फॉर दि परफॉर्मिंग आर्ट्स, न्यू यॉर्क और अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन स्टडीज़। इन संस्थाओं ने इस समारोह में भिन्न-भिन्न विषयों पर प्रदर्शनियां लगाकर और मंचीय कलाओं आदि के प्रदर्शन से भारत के सांस्कृतिक विकास के समूचे परिदृश्य को सजीव कर दिया। मूर्तिकला, मिट्टी के खिलौने, वेश-भूषा, चित्रकलाएं, पांडुलिपियां, नृत्य, नाटक, संगीत थिएटर, फिल्मों के माध्यम से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता का चित्रण किया गया। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के संग्रह में इस समारोह की 1059 स्लाइडें हैं जो उसे भारत सरकार के संस्कृति विभाग से प्राप्त हुई हैं।
एशमोलियन म्यूज़ियम संग्रह
एशमोलियन म्यूज़ियम, इंग्लैण्ड के सर्वाधिक प्राचीन सार्वजनिक संग्रहालयों में से एक है। 1683 में यह संग्रहालय ब्रॉड स्ट्रीट पर जनता के लिए खोला गया था और इसका संग्रह 19वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में ऑक्सफर्ड के ब्यूमोंट स्ट्रीट पर ले जाया गया। इस म्यूज़ियम में पहले मुख्यरूप से ग्रीको-रोमन, एंग्लों-सेक्शन और इजिप्शियन कला-रूपों का संग्रह था। 18वीं शताब्दी के अंतिम दशकों में इस बात पर बल दिया जाने लगा कि भारतीय कला-कृतियों का संग्रह भी किया जाए। शुरुआती चरणों में मद्रास म्यूज़ियम ने दक्षिणी भारत के घरेलू और आनुष्ठानिक प्रयोग के धातु के बरतन, आभूषण, वस्त्र, लैकर और लकड़ी आदि जैसी कला-कृतियां एशमोलियन म्यूज़ियम में भेजीं। भारतीय कला-रूपों की अवाप्ति के पीछे सर मूनियर विलियम्स की प्रेरणा ही मुख्यरूप से काम कर रही थी; वे उस समय बोडेन विद्यापीठ में संस्कृत के प्रोफेसर थे।
बंगाल से इस संग्रहालय को हस्तशिल्प, धार्मिक चित्र, लोक चित्रकलाएं आदि प्राप्त हुईं। जयपुर संग्रहालय समिति ने एशमोलियन संग्रहालय के लिए जयपुरी रंगचित्र एकत्र किए और मुरादाबाद से धातु के बरतन एवं हथियार आदि। संग्रहालय के भारतीय कला संग्रह में हिन्दू, बौद्ध एवं जैन मूर्तिकला; लोक कांस्यकला; चित्रकारी; आनुष्ठानिक वस्तुएं; मुग़ल लघु चित्रकारी और सजावटी कलाकृतियां शामिल हैं। प्रतिमाओं में आरंभिक भारतीय कला, मथुरा, गांधार, गुप्त और गुप्तोत्तर काल की प्रतिमाएं हैं। उत्तरकालीन हिन्दू, बौद्ध और जैन मूर्तिकला संग्रह उत्तरी और पूर्वी भारत, ओडिशा, पश्चमी भारत, दकन और दक्षिण भारत का है।
एशमोलियन संग्रहालय के भारतीय कला संग्रह में कुछ उत्कृष्ट कलाकृतियां हैं- ईसापूर्व लगभग दूसरी शताब्दी की मातृदेवी की प्रतिमा; मथुरा से प्राप्त एक तीर्थंकर का सिर; गांधार कला की बुद्ध की खड़ी प्रतिमा; गांधार की ही बोधिसत्व की प्रतिमा।
ईसापूर्व लगभग दूसरी शताब्दी की मातृदेवी की प्रतिमा; मथुरा से प्राप्त तीर्थंकर का सिर; मथुरा की देवी हरीति प्रतिमा; विष्णु प्रतिमा, मथुरा जैसी कलाकृतियां आदिकालीन भारतीय कला की उत्कृष्ट कलाकृतियां हैं। गांधार मूर्तिकला संग्रह में बुद्ध का जन्म, पंचिका और हरीति, और किसी वृद्ध की स्टको मूर्ति आदि जैसी मूर्तियां, गांधार कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। मथुरा से ही प्राप्त शिव और सूर्य की प्रतिमाएं गुप्तकाल की हैं।
भरतपुर, राजस्थान से प्राप्त दुर्गा महिषासुरमर्दिनी, पंजाब से प्राप्त लोकेश्वर-पद्मपाणि, कश्मीर से प्राप्त सूर्य की प्रतिमा आदि को गुप्तोत्तरकाल की सर्वोत्तम मूर्तिकला का नमूना माना जाता है। ओडिशा से प्राप्त 14वीं शताब्दी ईंसवी की योग नृसिंह, दकन से प्राप्त 16वीं-17वीं ईसवी शताब्दी की वीरभद्र की प्रतिमाएं भी मूर्तिकला के अद्वितीय उदाहरण हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, बनारस, बंगाल, तिरुपति से प्राप्त 18वीं-19वीं की लोक कांस्यकला और आनुष्ठानिक वस्तुओं को भारतीय लोक कला का सर्वोत्तम नमूना समझा जाता है।
संग्रहालय का लघु चित्रकला खंड भी अति समृद्ध है और इस संग्रह में सबसे प्राचीन मुग़लकालीन चित्रकला लगभग 1562-65 की है। गोलकुंडा, मालवा, राजस्थान, पंजाब के पहाड़ी क्षेत्र और बंगाल की प्रतिनिधि चित्रकला शैलियों के चित्र भी संग्रहालय में हैं।
कश्मीर की लघु चित्रकलाएं
इस बात को अधिक समय नहीं हुआ है कि कला-इतिहासज्ञों ने कश्मीर चित्रकला शैली में कुछ रुचि लेना शुरू कर दिया। अन्यथा कश्मीरी चित्रकला का विषय भारतीय कला इतिहास के क्षेत्र में बहुत धुंधला बना हुआ था।
रचनात्मक ऊर्जा के सार्थक माध्यम के रूप में चित्रकारी की कला की परम्परा कश्मीर में काफी लंबे समय से चली आ रही है। इसकी जड़ें बहुत प्राचीन समय तक जाती हैं। साहित्यिक कृतियों में इस परंपरा के असंख्य उल्लेख मिलते हैं। नीलमत पुराण, राजतरंगिणी, क्षेमेन्द्र की कृतियों और मम्मट के काव्य प्रकाश में भी इसके प्रमाण मिलते हैं। इनमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण है- विष्णुधर्मोत्तर पुराण। इसके ‘चित्रसूत्र’ को चित्रकारी कला के बारे में सबसे प्राचीन ग्रंथ माना जाता है जिसकी रचना कश्मीर में की गई थी। राजनीतिक और धार्मिक उथल-पुथल के कारण कश्मीर के अंदर इस आरंभिक कश्मीरी चित्रकला का कोई नमूना अब सुरक्षित नहीं बचा है।
कश्मीरी लघु चित्रकला शैली का पुनर्जीवन 18वीं शताब्दी में हुआ और वह एक नए अवतार में हमारे सामने आई। 19वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी के प्रारंभिक दशकों में पुष्पित-पल्लवित हुई कश्मीरी धार्मिक चित्रकला की इस नई शैली की अभिव्यक्ति पांडुलिपियों, जन्म-पत्रियों की साज-सज्जा और आनुष्ठानिक कला-कृतियों के अलावा निजी चित्रकारी में भी हुई है। इस चित्रकारी का विषय तत्वत: धार्मिक ही था जिसमें हिन्दू देवी-देवताओं का चित्रण किया गया है। फिर भी मुद्रण प्रौद्योगिकी के आविष्कार के बाद इस परवर्ती कला-शैली पर लुप्त होने का खतरा मंडराने लगा। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में कश्मीर की लघु चित्रकलाओं के बारे में 343 स्लाइडें हैं। मूल रंगचित्र श्रीनगर की सांस्कृतिक अकादमी, श्रीनगर के कश्मीर विश्वविद्यालय संग्रहालय-पुस्तकालय में, जम्मू एवं कश्मीर अभिलेखागार, श्रीनगर और एस.पी.एस. संग्रहालय, श्रीनगर में सुरक्षित हैं।
बलिसत्र भागवत् पुराण की सचित्र पांडुलिपियां
1539 ईसवी सन् में असम से प्राप्त भागवत् पुराण दशम् स्कन्ध जो बलिसत्र भागवत् पुराण कहलाता है, असम के नगांव जिले के श्री नराव, बलिसत्र में सुरक्षित है। स्थानीय परंपरा के अनुसार दशम् स्कन्ध, महान असमिया वैष्णव गुरु श्री शंकरदेव (1449-1568) द्वारा तैयार एवं चित्रित मूल प्रति है। स्थानीय जनश्रुति के अनुसार श्री शंकरदेव एक सिद्धहस्त चित्रकार भी थे।
यह पांडुलिपि आदिकालीन असमी साहित्य एवं असम की वैष्णव चित्रकला शैली का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इस पांडुलिपि में 156 पृष्ठ हैं और हर पृष्ठ का आकार 48 सेमी गुणा 20 सेमी का है। यह पांडुलिपि पुरानी असमी लिपि में तुलापट पर लिखी हुई है और इसमें 2463 पूर्ण छंद हैं। पन्ने दोनों ओर से प्रयोग में लाए गए हैं; पन्नों पर एक ओर लिखावट है और दूसरी ओर चित्र बनाए गए हैं।
इस ग्रंथ में की कई चित्रकारी की मुख्य विशेषता इसके मेहराबी फलक और चित्रित छतरी है; इसकी पृष्ठभूमि एकरंगी है जिसके लिए लाल, नीले, धूसर या भूरे रंगों का प्रयोग किया गया है; इसके चित्र इकहरे हैं और पोशाकें भरी-पूरी हैं; चित्रों में तिरछी, मत्स्याकार भौंहें, मत्स्याकार नेत्र, तीखी नासिका, चौड़े कंधे और पतली कमर दर्शाई गई है; नीला आसमान और सजावटी वृक्षों के साथ सहज प्राकृतिक सौंदर्य चित्रित किया गया है; परस्पर सटी हुई पहाड़ियों का चित्रण अर्द्धवृत्ताकार आकृतियों में बहु-विध रंगों से किया गया है; जल का चित्रण आयताकार रूप में या टोकरी बुनाई की बनावट में है; वार्तालाप दर्शाने के लिए चित्रों में मुद्राओं या हस्त-संचालनों का प्रयोग किया गया है।
बलिसत्र भागवत् पुराण इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में असम से स्वयं प्रोफेसर के.डी. गोस्वामी लेकर आए थे और उनके विद्वत्तापूर्ण मार्गदर्शन में इस पांडुलिपि का फोटो-प्रलेखन करके 968 स्लाइडें तैयार की गईं। न केवल सभी पन्नों के फोटोग्राफ लिए गए बल्कि इस बात पर बल दिया गया कि चित्रों की मुख्य विशेषताओं पर विशेष ध्यान देते हुए उनमें चित्रित वास्तुशिल्प, वेष-भूषा, शिरोवस्त्रों, मुकुटों, गाड़ियों और रथों, प्राकृतिक दृश्यों, वनस्पतियों और जीव-जन्तुओं, मुद्राओं अथवा हस्त-संचालनों को उभारकर सामने लाया जाए जिससे कि इन क्षेत्रों में कलात्मक एवं शोधपूर्ण अध्ययनों के नए रास्ते खुल सकें।
विक्टोरिया एवं अल्बर्ट म्यूज़ियम संग्रह
विक्टोरिया एवं अल्बर्ट म्यूज़ियम में भारतीय चित्रकारी का अति समृद्ध संग्रह है। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र ने इस संग्रहालय से भारतीय चित्रकलाओं के बारे में 6419 स्लाइडें अवाप्त की हैं।
इस संग्रह में सबसे पुरातन चित्र है- बंगाल से लाई गई ‘अष्टसहस्रिका प्रज्ञापरिमिता’ पांडुलिपि के चित्रित पृष्ठ जिनका समय लगभग 1118 ईसवी सन् का है।
भारतीय खंड में एक महत्वपूर्ण संग्रह है भारतीय लघु चित्रकारी का जिनका चित्रण मुग़लों के शाही दरबार के चित्रकारों ने किया है। सर्वाधिक उत्कृष्ट संग्रह है- अकबर कालीन हमजानामा का। दूसरा संग्रह 1590 ईसवी सन् में तैयार सचित्र रोजनामजा- अकबरनामा का जिसमें 117 चित्र हैं। जहांगीर और शाहजहां की शाही अलबमों में भारतीय लघु चित्रकारी की पराकाष्ठा के दर्शन होते हैं। इससे उस समय के दरबारी जीवन का पता चलता है और साथ ही उस समय की स्थापत्य कला का भी जो शाहजहां के समय में अपने चरमोत्कर्ष पर थी। जहांगीर के समय की वनस्पतियों और जीव-जन्तुओं के चित्र, प्रकृति-प्रेमियों के हृदय को आनंद से भर देते हैं।
स्लाइड संग्रह में बाबरनामा और अकबरनामा की चित्रसज्जा की स्लाइडें भी हैं। राजस्थानी संग्रह में उल्लेखनीय चित्र रागमाला अलबम, राजस्थान की छोटी-छोटी रियासतों के राजाओं की शाही चित्रावली और हिन्दू देवी-देवताओं की चित्रावली के हैं। ये चित्र राजस्थान की चित्रकारी की उप-शैलियों अर्थात् आमेर, बीकानेर, बूँदी, जयपुर, जोधपुर, किशनगढ़, कोटा, मारवाड़, मेवाड़, नाथद्वारा के प्रतिनिधि चित्र हैं। मध्य भारत से इस संग्रह में मालवा से प्राप्त भागवत् पुराण के सचित्र पृष्ठ हैं जिनका समय लगभग 1730 ईसवी का बताया जाता है। पहाड़ी लघुचित्रों का सर्वोत्तम संग्रह विक्टोरिया एवं अल्बर्ट म्यूज़ियम में है। इस संग्रह का श्रेय डब्ल्यू.जी. आर्चर को जाता है जिन्होंने भारतीय चित्रकला पर अनेक पुस्तकें लिखी हैं। इसमें गीत गोविन्द और रसमंजरी पर आधारित राधा और कृष्ण की प्रेम-लीलाओं के बसोहली शैली में बनाए गए चित्र; बिलासपुर से प्राप्त रागमाला और नल-दमयंती के चित्र; चंबा से प्राप्त भागवत् पुराण; गढ़वाल की विष्णु अवतार और कृष्ण-सुदामा श्रंखला; गुलेर की नायक-नायिका और भागवत् पुराण श्रंखला; जम्मू से प्राप्त डोगरा शासकों के चित्र; कांगड़ा से प्राप्त रसिकप्रिया, रामायण, नल-दमयंती श्रंखला; कुल्लू से प्राप्त रास पंचाध्यायी, रागमाला, और रामायण श्रंखला; मानकोट से प्राप्त रागमाला श्रंखला शामिल हैं। इस संग्रह में कंपनी कालीघाट चित्रकला, बंगाल के पट जिनमें वहां की वेष-भूषा, त्यौहार, व्यवसाय, हिन्दू देवी-देवता, सामाजिक जीवन, आखेट आदि जैसे विविध विषयों का चित्रण है, भी शामिल हैं।
दि एशियन कल्चरल सेंटर फॉर यूनेस्को (एसीसीयू) संग्रह
एसीसीयू एक अशासकीय संस्था है जिसकी स्थापना 1971 में निजी विद्वानों और जापान सरकार के सहयोग से की गई थी। इस संस्था का उद्देश्य एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में संस्कृति संवर्धन, पुस्तकालय एवं पुस्तक प्रकाशन के मामले में क्षेत्रीय कार्यक्रम संचालित करके इस क्षेत्र के लोगों में आपसी मेल-जोल को बढ़ावा देने का है। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र ने टोकियो स्थित एशियन कल्चरल सेंटर फॉर यूनेस्को से चार सांस्कृतिक किट खरीदी हैं जिनमें कुल 978 स्लाइडें हैं।
सांस्कृतिक किट संख्या-I इस किट का शीर्षक है- ‘दि म्यूज़िक ऑफ एशिया- एज़ एन एलिमेंट ऑफ कल्चरल एनवायरनमेंट’। इसमें 180 स्लाइडें हैं जिनमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों में लोगों के दैनिक जीवन और प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण है।
सांस्कृतिक किट संख्या- II इस किट का शीर्षक है- ‘अवर वंडरफुल कल्चरल हैरिटेज इन एशिया एंड पैसिफिक’। इसमें पाकिस्तान, चीन, ऑस्ट्रेलिया, भारत, श्री लंका, इंडोनेशिया, बर्मा (म्यांमार), थाईलैण्ड, कंपूचिया, फिलीपीन्स, पापुआ न्यू गिनी, अफगानिस्तान, नेपाल, बांगलादेश, मलेशिया, सिंगापुर, वियतनाम, कोरिया और जापान के 22 सांस्कृतिक स्थलों और स्मारकों को दर्शाने वाली 273 स्लाइडें हैं। इस संग्रह की स्लाइडों में मुआनजोदरो, दि ग्रेट वॉल, साँची, बोरोबुदूर, और अंकोरवाट जैसे प्रसिद्ध स्थल दर्शाए गए हैं।
सांस्कृतिक किट संख्या- III इस किट का शीर्षक है- ‘ट्रडीशनल हैण्डीक्राफ्ट इन एशिया एंड दि पैसिफिक’। इसमें 278 स्लाइडें हैं। ये स्लाइडें जापान के लैकरवेयर, पापुआ न्यू गिनी के टापा वस्त्र, नेपाल के मुखौटों, भारत के टाइ एंड डाइ, मलेशिया के अन्यमिन, सिंगापुर की पतंगों, बंगलादेश के कंठा, ईरान के कालीनों, वियतनाम के नरकुल-शिल्प, चीन के संगयशब शिल्प, फिलीपीन्स की कशीदाकारी, पाकिस्तान के चाँदी के आभूषणों, थाईलैण्ड की मुत-मी सिल्क, श्री लंका की रश-वेयर मैट, बर्मा के मिट्टी के बरतनों, कोरिया के नरकुल-शिल्प और इंडोनेशिया के बाटिक की हैं।
सांस्कृतिक किट संख्या- IV यह किट एसीसीयू की है जिसका शीर्षक है- ‘लुकिंग अराउंड म्यूज़ियम इन एशिया एंड दि पैसिफिक’। इसमें एशिया और प्रशांत क्षेत्र के 18 देशों के 22 संग्रहालयों की 240 स्लाइडें हैं। इन स्लाइडों में मुख्य रूप से कला, ऐतिहासिक स्थलों, लोक-संस्कृति और विज्ञान संबंधी विवरण हैं।
राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली; राष्ट्रीय संग्रहालय, बैंकाक; पैलेस म्यूज़ियम, चीन; नेशनल म्यूज़ियम, जकार्ता और नेशनल म्यूज़ियम, काठमांडु के कला-कोषों का विवरण इन स्लाइडों के माध्यम से मिलता है। इस किट में चीन के शिन राजवंश संग्रहालय के टेराकोटा योद्धाओं और घोड़ों के चित्र, कोलम्बो नेशनल म्यूज़ियम, श्री लंका; महास्थानगढ़ म्यूज़ियम, बांगलादेश; तक्षशिला म्यूज़ियम, पाकिस्तान और काबुल नेशनल म्यूज़ियम, अफगानिस्तान के चित्रों की स्लाइडें शामिल हैं।
कोरिया गणतंत्र के कोरियाई लोक ग्राम; अयाला म्यूज़ियम, फिलीपीन्स; एथनोलॉजिकल म्यूज़ियम, ईरान; कुआला लम्पुर नेशनल म्यूज़ियम, मलेशिया; पोर्ट मोरेस्बी नेशनल म्यूज़ियम, पापुआ न्यू गिनी; नेशनल म्यूज़ियम ऑफ फाइन आर्ट, वियतनाम; कूराशिकी म्यूज़ियम टाउन, जापान और सिंगापुर नेशनल म्यूज़ियम में रखी लोक संस्कृति कला-कृतियों के चित्र इन स्लाइडों में दिए गए हैं। एसीसीयू के इस स्लाइड संग्रह में थाईलैण्ड, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के विज्ञान संग्रहालयों की स्लाइडें भी शामिल हैं।
स्तातलीख म्यूज़ियम, बर्लिन संग्रह
स्तातलीख म्यूज़ियम संग्रह में कुल 99 स्लाइडें हैं। ये स्लाइडें भारतीय लघु चित्रकला, दीवार-चित्रों, सचित्र पांडुलिपियों, मूर्तिकला, वास्तुकलात्मक अवयवों और सजावटी कलाओं की हैं। लघु चित्रकलाओं में मुग़ल, पहाड़ी, अवध, गोलकुंडा, मालवा, अजमेर, मेवाड़, किशनगढ़, बीकानेर, बुंदेलखंड, और ओडिशा शैलियों एवं उप-शैलियों के चित्र शामिल हैं। इस संग्रहालय के स्लाइड संग्रह में रागमाला सैट की चित्रकला परवर्ती मुग़लकाल की है। किज़ील, मुमतरा, खोशो, बेजेक्लिक से लगभग 8वीं-9वीं शताब्दी के दीवार-चित्रों का सुरुचिपूर्ण संग्रह भी इन स्लाइडों में है। ये चित्र अलग-अलग सामग्री जैसे कि- कपड़ा, काग़ज, सिल्क, लकड़ी, ताड़-पत्र, चमड़े पर बनाए गए हैं।
गुजरात में 15वीं शताब्दी के आस-पास चित्रित ‘जिनचरित’ की सचित्र पांडुलिपियां भी इस स्लाइड संग्रह में देखी जा सकती हैं।
संग्रहालय के भारतीय मूर्तिकला संग्रह में हिन्दू, बौद्ध और जैन देवी-देवताओं का विशद् संकलन मिलता है। ये मूर्तियां प्रस्तर, काष्ठ, धातु और चीनी-मिट्टी की बनी हुई हैं। मूर्तिकला और वास्तुकला के अवयव साँची, मथुरा, बोधगया, गांधार, कश्मीर, तक्षशिला, बंगाल, तंजौर, गुजरात और आंध्र से लिए गए हैं। भूटान, नेपाल और तिब्बत की प्रतिमाएं भी संग्रहालय में संग्रहीत की गई हैं। सजावटी कलाकृतियों में धातु, हाथीदाँत और संगयशब की विविध कलाकृतियां शामिल हैं।
हिमाचल प्रदेश के स्थलों के फोटो–नेगेटिव
हिमाचल प्रदेश राज्य हिमालय पर्वत-श्रंखला की गोद में बसा हुआ है जहां की हिमाच्छादित चोटियां, कल-कल बहती हुई नदियां, हरी-भरी घाटियां, देवदार के राजसी वृक्ष, मनोहर झीलें और फूलों के बागानों में देवताओं का वास माना जाता है।
यहां के हर एक गांव के एक अधिष्ठाता देव होते हैं जिन पर उस गांव में रहने वाले सभी धर्मों के लोगों का श्रद्धाभाव होता है। हर वर्ष इन ग्राम-देवताओं के सम्मान में उत्सवों का आयोजन किया जाता है जिसमें न केवल आस-पास के गांवों के लोग बल्कि अन्य गांवों के देवता भी शामिल होते हैं। यह अनुभव कल्पनातीत होता है और अपने अधिष्ठाता देव के सम्मान में लोग नृत्य-गान में मग्न होकर आनन्द लाभ करते हैं। भक्तगण ऊंचे-नीचे पहाड़ों, नदियों और हिमाच्छादित चोटियों को पार करते हुए सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करके अपने अधिष्ठाता देव के प्रति श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं।
इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के कलानिधि संदर्भ पुस्तकालय की स्लाइड यूनिट के सदस्यों द्वारा लिए गए 500 चित्र इस संग्रह का हिस्सा हैं। ये चित्र मई-जून, 2003 और अगस्त, 2003 में लिए गए थे और इनमें हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक छटा, देवस्थलों, उत्सवों और अन्य सांस्कृतिक कला-रूपों का दर्शन किया जा सकता है।
इस शोध और फोटो-प्रलेखन पर आधारित दो प्रदर्शनियां क्रमश: इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के माटीघर में और नई दिल्ली की आईफैक्स कलादीर्घा में नवम्बर-दिसम्बर, 2002 तथा नवम्बर, 2003 में लगाई गई थीं। इनके शीर्षक थे- ‘मलाना-शांगरीला इन द हिमालयाज’ और ‘वैली ऑफ गॉड्स’। इनमें से कुछ फोटोग्राफ इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की वैबसाइट पर भी उपलब्ध हैं।
स्लाइड यूनिट की स्लाइडों का प्रतिलिपि–अधिकार (कॉपीराइट)
स्लाइड यूनिट के कुछ संग्रह किसी प्रयोक्ता को नहीं दिए जा सकते क्योंकि इन पर प्रतिलिपि अधिकार का बंधन है। अपने शोध कार्य के लिए इन स्लाइडों का प्रयोग करने के प्रयोजन से प्रयोक्ता को मूल संगठन से पूर्व-अनुमति लेनी होगी। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में कुछ ऐसी स्लाइडें भी हैं जिनका प्रतिलिपि-अधिकार केन्द्र के पास ही है। हमारे संग्रह में 32 खंड हैं जिनका प्रतिलिपि अधिकार इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के पास है।
ऐसे कुछ स्लाइड संग्रहों के नाम नीचे दिए जा रहे हैं जिनके प्रतिलिपि अधिकार इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के पास हैं-
गीत गोविन्द (फड़ शैली राजस्थान) (354); राजकीय संग्रहालय, मद्रास (436); भरहुत (136); लॉस एंजिल्स काउंटी म्यूज़ियम ऑफ आर्ट, कैलिफोर्निया, अमेरिका (146); स्कन्द संग्रह, मिशिगन विश्वविद्यालय, अमेरिका (215); इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में संग्रहीत सचित्र दुर्लभ पुस्तकें (1537) आदि।
क्रम सं.. | संग्रह | शीर्षक | परिग्रहण सं. | कुल |
1. | गीत गोविंद (फद शैली राजस्थान) | गीत गोविंद | जी.जी. 761-1114 | 354 |
2. | सरकारी संग्रहालय, मद्रास | अमरावती की मूर्तिकला, सरकारी संग्रहालय में, मद्रास | एसएल–27335-27770 | 436 |
3. | गोली | गोली की मूर्तिकला | एसएल-27771-27805 | 35 |
4. | जग्गय्यापेटा | जग्गय्यापेटा की मूर्तिकला | एसएल-27806-27834 | 29 |
5. | घंटाशाला | घंटाशाला की मूर्तिकला | एसएल-27835 | 1 |
6. | नागार्जुन कोंडा स्थल | नागार्जुन कोंडा स्थल की मूर्तिकला | एसएल-27836-27994 | 159 |
7. | भारहट | मूर्तिकला भारत, भारहट | एसएल-31432-31567 | 136 |
8. | पाला | मूर्तिकला भारत, पाला | एसएल-31568-31644 | 77 |
9. | कला का लॉस एंजिल्स काउंटी संग्रहालय, कैलिफोर्निया, अमेरिका | पुरातन भारतीय पत्थर की मूर्तिकला | एसएल-44182-44327 | 146 |
10. | –तदैव– | पुरातन कांस्य मूर्तिकला | एसएल-44328-44450 | 123 |
11. | –तदैव– | सल्तनत और मुगल चित्र | एसएल-44451-44571 | 121 |
12. | –तदैव– | नेपाली और तिब्बती मूर्तियां | एसएल-44572-44639 | 68 |
13. | –तदैव– | पाला और नेपाली हस्तलिपि चित्रकारी | एसएल-44640-44649 | 10 |
14. | कला का लॉस एंजिल्स काउंटी संग्रहालय, कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका | राजपूत चित्र/td> | एसएल-45049-45342 | 249 |
15. | कला का लॉस एंजिल्स काउंटी संग्रहालय, कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका | सल्तनत, मुगल और राजपूत चित्र | एसएल-45343-45397 | 55 |
16. | ब्रुकलीन कला संग्रहालय | भारतीय टेराकोटा | एसएल-45398-45498 | 93 |
17. | क्लीवलैंड संग्रहालय, संयुक्त राज्य अमेरिका | मूर्तिकला और चित्रकारी | एसएल-45491-45509 | 319 |
18. | स्कंद संग्रह मिशिगन विश्वविद्यालय, संयुक्त राज्य अमेरिका | कुषाण और गुप्त सोने के सिक्के | एसएल-45810-46024 | 215 |
19. | नेल्सन अतकिंस संग्रहालय, कैनसस सिटी, संयुक्त राज्य अमेरिका | भारतीय मूर्तिकलाe | एसएल-46025-46114 | 90 |
20. | नेल्सन अतकिंस संग्रहालय, कैनसस सिटी | दक्षिण पूर्व एशिया और हिमालयी मूर्तिकला | एसएल-46115-46160 | 46 |
21. | किमबैल कला संग्रहालय, टेक्सास, संयुक्त राज्य अमेरिका | दक्षिण पूर्व एशियाई मूर्तिकला | एसएल-46161-46187 | 27 |
22. | सैन फ्रांसिस्को कैलिफोर्निया का एशियाई कला संग्रहालय | दक्षिण पूर्व एशियाई मूर्तिकला | एसएल-46188-46205 | 18 |
23. | सैन फ्रांसिस्को कैलिफोर्निया का एशियाई कला संग्रहालय | भारतीय मूर्तिकला | एसएल-46206-46290 | 85 |
24. | सैन फ्रांसिस्को कैलिफोर्निया का एशियाई कला संग्रहालय | हिमालयी मूर्तिकला | एसएल-46291-46331 | 41 |
25. | इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में सचित्र दुर्लभ पुस्तकें | इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र संग्रह से सचित्र दुर्लभ पुस्तकें | एसएल-48130-49309एसएल-49310-49422
एसएल-49606-49849 |
1537 |
26. | लद्दाख के थंकास | बौद्ध अध्ययन संग्रह का केंद्रीय संस्थान |
एसएल-49423-49502 | 80 |
27. | भूटान की जीवन शैली | भूटान की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं | एसएल-49503-49605 | 103 |
28. | लोक चित्रों के प्रलेखन, उदयपुरr | एसएल-49840-49886 | 37 | |
29. | उदय शंकर | अपने समय के प्रसिद्ध नर्तक उदय शंकर के जीवन पर फोटो प्रदर्शनी | जीएसएल-24344-24447 | 104 |
30. | इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की संगोष्ठी और समारोह | इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र प्रदर्शनी: अकारा, कल, सिंधु घाटी, बोरोबुदूर माइक्रोग्राफिक तकनीक कार्यशाला बसंत पंचमी महोत्सव, इ.गाँ.रा.क.के. | जीएसएल-20896-22958
जीएसएल-24505-24545 जीएसएल-24546-24568 |
2063 64 |
31. | हिमाचल प्रदेश | लैंडस्केप, मंदिर, मूर्तिकला | एसएल-49879-49920 | 20 |
32. | कश्मीर कला | एस.पी.एस. संग्रहालय, श्रीनगर संग्रह | एसएल-49921-50046 | 126 |
इ.गाँ.रा.क.के. के कॉपीराइट फोटो-निगेटिव
1. | श्रीलंका के स्मारक | पीएच 1-608 | ||
2. | जयपुर के स्मारक | पीएच 609-712 | ||
3. | गुरुकुल संग्रहालय, झज्जर, हरियाणा | पीएच 713-750 | ||
4. | जम्मू और कश्मीर संग्रहालय | पीएच 751-1366 | ||
5. | मथुरा राज्य संग्रहालय | पीएच 1367-1571 | ||
6. | फगूदी महोत्सव, कुल्लू | पीएच 1572-1758 |
इ.गाँ.रा.क.के. की कॉपीराइट डिजिटल छवियां
1. | एशिया में पुरातत्वीय स्थल और स्मारकक | भारत: आंध्र प्रदेश, गोवा, लद्दाख, गुजरात, कश्मीर, राजस्थान, तमिलनाडु, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, खजुराहो, एशिया: इंडोनेशिया, म्यांमार, श्रीलंका, तिब्बत, चीन, लाओ पीडीआर, वियतनाम, मंगोलिया, रूस, थाईलैंड, |
डीआई 1-4090 | |
2. | भारतीय वास्तुकला | जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान |
स्लाइड यूनिट: कलारूपों के बारे में शोध के स्रोत
इस यूनिट में रखी गई सभी स्लाइडें अच्छी तरह से संग्रह-वार वर्गीकृत करके स्लाइड जैकेटों में सुरक्षित की गई हैं और इन्हें विशेष तौर पर डिजाइन की गई आलमारियों में परिरक्षित किया गया है। अभिलेख और पुन:प्राप्ति के लिए प्रत्येक स्लाइड को एक विशिष्ट संख्याकन दिया गया है। संबंधित पक्षों/संस्थाओं/व्यक्तियों को दिए जाने के प्रयोजन से इन स्लाइडों की प्रतिलिपियां यूनिट में ही तैयार की जाती हैं। इसके अलावा प्रतिलिपियां तैयार करते समय एक प्रतिलिपि संदर्भ पुस्तकालय में आने वाले शोधार्थियों के प्रयोग के लिए भी चिह्नित कर दी जाती है।
सूचीपत्र/सूचिका कार्ड पुस्तकों के कैटलॉग के साथ ताल-मेल रखते हुए तैयार किए जाते हैं। प्रत्येक दृश्य/प्रदर्श के लिए समुचित ‘संकेतशब्द’ निर्धारित कर दिया जाता है और सूचीकृत डेटा की प्रविष्टि कम्प्यूटरीकृत ‘लिबसिस’ डेटाबेस में कर दी जाती है।
Catalogue
- सांस्कृतिक पुरालेख के सूचीपत्र (कलानिधि-सी) Catalogue of Cultural Archive (Kalanidhi – C)
- सांस्कृतिक सूचना विज्ञान प्रयोगशाला के साथ डिजिटल छवियाँ Digital Images with Cultural Informatics Laboratory
इ.गाँ.रा.क.के. में इलस्ट्रेटेड दुर्लभ पुस्तकों का वर्णनात्मक सूचीपत्र (1080
Descriptive Catalogue of the Illustrated Rare Books in the IGNCA (1080)
सांस्कृतिक सूचना विज्ञान प्रयोगशाला (डिजिटल छवियाँ)
डिजिटल छवियों की संख्याः 100300
निम्नलिखित संग्रह “केवल डिजिटल” प्रारूप में उपलब्ध है।
क्र.सं. | स्लाइड | सं. | विषय – सूची |
1 | टी. एस. मैक्सवेल का संग्रह | 272 | विश्वरूप परियोजना की डिजिटल छवियाँ |