जनजातीय कला और संस्कृति

(प्रस्‍तावना)-भारत के आदिवासियों का इतिहास आर्यों के आगमन से पूर्व का है। कई युगों तक  इस उपमहाद्वीप के पहाड़ी भूभागों में उनका आधिपत्‍य था। परन्तु समय के साथ पढ़े लिखे लोगों ने (अन्‍य चीजों के अतिरिक्‍त) उन लोगों पर प्रभुत्‍व स्थापित कर लिया जिनकी परंपराएं मौखिक संस्‍कृति पर आधारित थी। औपनिवेशिक  अवधि के दौरान, आदिवासियों को जनजातियों का नया नाम दिया गया और स्‍वाधीनता पश्‍चात भारत में उन्‍हें अनुसूचित जनजातियों के रूप में जाना गया। जनजाति के सत्‍व की व्‍याख्‍या ‘उद्भव के चरण’ के रूप में की गई जो समाज के एक रूप के विपरीत था। जब शिक्षा के केंद्रों की स्‍थापना हुई, तो यह व्‍याख्‍यान चुनिंदा समुदायों के सामाजिक-सांस्‍कृतिक मूल आधारों पर संकेंद्रित हो गया जिससे गैर-आदिवासी बच्‍चे आदिवासियों की  संस्कृति की जानकारी से वंचित रह गए और आदिवासी बच्‍चे अपनी विरासत पर गौरव करने से वंचित रह गए।

चित्र देखें  :
उदयपुर की छोटी उंदरीशिल्परग्राम के चित्र देखें

आभारोक्ति

Life Styles List of Tribal communities in India