कलाकोश

कलाकोश बौद्धिक परंपराओं का अन्वेषण उनके बहुस्तरीय एवं बहुविषयी आयामों में करता है। शोध और प्रकाशन प्रभाग के रूप में यह लिखित सामग्रियों को वाचिक परंपरा के साथ, दृश्य को श्रव्य के साथ और सिद्धांत को व्यवहार के साथ सुसंबद्ध करते हुए कला को सांस्कृतिक व्यवस्था के समेकित ढांचे में व्यवस्थित करने का प्रयत्न करता है।

भारतीय कला अपने शास्त्र और प्रयोग दोनों स्वरूपों में भारतीय संस्कृति के एकल, एकीकृत और जीवंत वृक्ष की शाखाएं हैं। इनका जीवन के अन्य पक्षों के साथ पारस्परिक अंतर्निर्भरता का संबंध है। विश्व-दृष्टि कतिपय मौलिक अवधारणाओं के रूप में संपुटित होती है जो ब्रह्मांड, स्थान और काल के, केन्द्र और परिधि, आंशिक रूप से और संपूर्ण रूप से, शरीर संवेदना और मन की समझ को प्रतिबिम्बित करती है। विज्ञान (गणित, ज्योतिष, आयुर्वेद आदि) को दर्शन एवं कला की विभिन्न शाखाओं के साथ संबद्ध करने हेतु बहुविषयक उपागम प्राथमिक पूर्व-आवश्यकता है। कलाकोश प्रभाग इन मूलभूत अवधारणाओं के अवगाहन हेतु प्रतिबद्ध रहा है क्योंकि वे भारतीय विश्वदृष्टि की समष्टिवादी दर्शन की विशेषता को प्रतिबिम्बित करती हैं, किंतु आज उनके अस्तित्व पर संकीर्ण विशेषज्ञता के कारण संकट छा गया। अब तक, ज्यादातर शोध एक विषय पर हुए हैं, या सीमित ऐतिहासिक काल की सीमा में, किंतु इन सभी क्षेत्रों की अंतर्संबंद्धता के अध्ययन की भारी कमी रही है। यद्यपि ज्ञान का यह पृथकत्व और विभाजन प्राकृतिक विज्ञानों के क्षेत्र में 19वीं शताब्दी हुए विकास की देन है, आज के आधुनिक भौतिकी, जीवविज्ञान एवं चिकित्साशास्त्र ने विशुद्ध रैखिक उपागम पर प्रश्न उठाए हैं। इसप्रकार, विषय क्षेत्रों के बीच अंतर्संबंद्धता की मान्यता पर आधारित इं.गा.रा.क.कें. के दृष्टिकोण को वैज्ञानिक समुदाय के नवीनतम अंतर्दृष्टियों एवं सिद्धांतों का पूर्ण समर्थन हासिल है।

इसे ध्यान में रखकर, कलाकोश प्रभाग प्राथमिक अवधारणाओं, जीवन के सभी क्षेत्रों और आयामों तक पहुंच रखने वाले भारतीय विश्व-दृष्टि की पहचान करने, मूल भाषा और अनुवाद में अब तक अज्ञात, अप्रकाशित या पहुंच से दूर रहे लिखित स्रोत सामग्रियों को प्रकाशित करने, समग्रतावादी दर्शन, अंतर्सांस्कृतिक संदर्भ एवं बहु-विषयक प्रक्रियाविज्ञान के जरिए कला परंपराओं को समझने हेतु दिशा और प्रकाश देने वाले विद्वानों के महती कार्यों को आगामी पीढ़ियों के समक्ष रखने की दिशा में कार्यरत है। तीन प्रकाशनों- कलातत्त्वकोश, कलामूलशास्त्र,एवं कलासमालोचना के अंतर्गत लगभग 120 शीर्षकों का प्रकाशन हुआ है।

Dr. Sudhir Kumar Lall

HoD, Kalakosa Division & Project Director (Bharat Vidya Prayojana, 
Vedic Heritage Portal & Nari Samvaad Prakalp) 
Indira Gandhi National Centre for the Arts (IGNCA), 
Ministry of Culture, Govt. of India. 

Phone: + 91 011-23446406
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