मित्रलाभ
- सुवर्णकंकणधारी
बूढ़ा बाघ और मुसाफिर की कहानी
- कबुतर,
काक, कछुआ, मृग और चूहे की कहानी
- मृग, काक
और गीदड़ की कहानी
- भैरव नामक
शिकारी, मृग, शूकर, साँप और
गीदड़ की कहानी
- धूर्त
गीदड़ और हाथी की कहानी
सुहृद्भेद
- एक
बनिया, बैल, सिंह और गीदड़ों की कहानी
- धोबी,
धोबन, गधा और कुत्ते की कहानी
- सिंह, चूहा
और बिलाव की कहानी
- बंदर, घंटा
और कराला नामक कुटनी की कहानी
- सिंह और
बूढ़ शशक की कहानी
- कौए का जोड़ा और काले
साँप की कहानी
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हितोपदेश
सुहृद्भेद
५. सिंह और
बूढ़े शशक की कहानी
मंदर नामक पर्वत पर दुदार्ंत नामक एक सिंह रहता था और वह सदा पशुओं का वध करता रहता था। तब सब पशुओं ने मिल कर उस सिंह से विनती की, सिंह एक साथ बहुत से पशुओं की क्यों हत्या करते हो ? जो प्रसन्न हो तो हम ही तुम्हारे भोजन के लिए नित्य एक पशु को भेज दिया करेंगे। फिर सिंह ने कहा -- जो यह तुमको इष्ट है तो यों ही सही। उस दिन से निश्चित किये हुए एक पशु को खाया करता था। फिर एक दिन एक बूढ़े शशक (खरगोश) की बारी आई।
त्रासहेतोर्विनीतिस्तु क्रियते जीविताशया।
पंच्त्वं चेद्गमिष्यामि किं सिंहानुनयेन में ?
वह
सोचने लगा-- जीने की आशा से भय के कारण की अर्थात मारने वाले की विनय की जाती है और वह मरना ही ठहरा, फिर मुझे सिंह की विनती से क्या काम है ?
इसलिए धीरे- धीरे चलता हूँ, पीछे सिंह भी भूख के मारे झुंझला कर उससे बोला -- तू किसलिए देर करके आया है ? शशक बोला -- महाराज, मैं अपराधी नहीं हूँ, मार्ग में आते हुए मुझको दूसरे सिंह ने बल से पकड़ लिया था। उसके सामने फिर लौट आने की सौगंध खा कर स्वामी को जताने के लिए यहाँ आया हूँ। सिंह क्रोधयुक्त हो कर बोला -- शीघ्र चल कर दुष्ट को दिखला कि वह दुष्ट कहाँ बैठा है। फिर शशक उसे साथ ले कर एक गहरा कुँआ दिखलाने को ले गया। वहाँ पहुँच कर, स्वामी, आप ही देख लीजिए, यह कह कर उस कुँए के जल में उसी सिंह की परछाई दिखला दी। फिर सिंह क्रोध से दहाड़ कर घमंड से उसके ऊपर अपने को गिरा कर मर गया।
विषय
सूची
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विग्रह
- पक्षी
और बंदरो की कहानी
- बाघंबर
ओढ़ा हुआ धोबी का गधा और
खेतवाले की कहानी
- हाथियों का
झुंड और बूढ़े शशक की कहानी
- हंस, कौआ
और एक मुसाफिर की कहानी
- नील
से रंगे हुए एक गीदड़ की कहानी
- राजकुमार
और उसके पुत्र के बलिदान की कहानी
- एक
क्षत्रिय, नाई और भिखारी की कहानी
संधि
- सन्यासी
और एक चूहे की कहानी
- बूढ़े
बगुले, केंकड़े और मछलियों की कहानी
- सुन्द,
उपसुन्द नामक दो दैत्यों की कहानी
- एक
ब्राह्मण, बकरा और तीन धुताç की कहानी
- माधव
ब्राह्मण, उसका बालक, नेवला और
साँप की कहानी
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