मित्रलाभ
- सुवर्णकंकणधारी
बूढ़ा बाघ और मुसाफिर की कहानी
- कबुतर,
काक, कछुआ, मृग और चूहे की कहानी
- मृग, काक
और गीदड़ की कहानी
- भैरव नामक
शिकारी, मृग, शूकर, साँप और
गीदड़ की कहानी
- धूर्त
गीदड़ और हाथी की कहानी
सुहृद्भेद
- एक
बनिया, बैल, सिंह और गीदड़ों की कहानी
- धोबी,
धोबन, गधा और कुत्ते की कहानी
- सिंह, चूहा
और बिलाव की कहानी
- बंदर, घंटा
और कराला नामक कुटनी की कहानी
- सिंह और
बूढ़ शशक की कहानी
- कौए का जोड़ा और काले
साँप की कहानी
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हितोपदेश
विग्रह
१.पक्षी और
बंदरों की कहानी
नर्मदा के तीर पर एक बड़ा सेमर का वृक्ष है। उस पर पक्षी घोंसला बनाकर उसके भीतर, सुख से रहा करते थे। फिर एक दिन बरसात में नीले- नीले बादलों से आकाशमंडल के छा जाने पर बड़ी- बड़ी बूँदों से मूसलाधार बारिश बरसने लगा और फिर वृक्ष के नीचे बैठे हुए बंदरों को ठंडी के मारे थर थर काँपते हुए देख कर पक्षियों ने दया से विचार कहा-- अरे भाई बंदरों, सुनों :-
अस्माभिर्निमिता नीडाश्चंचुमात्राहृतैस्तृणै:।
हस्तपादादिसंयुक्ता यूयं किमिति सीदथ ?
हमने केवल अपनी चोंचों की मदद से इकट्ठा किये हुए तिनकों से घोंसले बनाये हैं और तुम तो हाथ, पाँव आदि से युक्त हो कर भी ऐसा दुख क्यों भोग रहे हो ?
यह सुन कर बंदरों ने झुँझला कर विचारा -- अरे, पवनरहित घोंसलों के भीतर बैठे हुए सुखी पक्षी हमारी निंदा करते हैं, करने दो। जब तक वर्षा बंद हो बाद जब पानी का बरसना
बंद हो गया, तब उन बंदरों ने पेड़ पर चढ़ कर सब घोंसले तोड़ डाले और उनके अंडे नीचे गिरा दिया।
विषय
सूची
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विग्रह
- पक्षी
और बंदरो की कहानी
- बाघंबर
ओढ़ा हुआ धोबी का गधा और
खेतवाले की कहानी
- हाथियों का
झुंड और बूढ़े शशक की कहानी
- हंस, कौआ
और एक मुसाफिर की कहानी
- नील
से रंगे हुए एक गीदड़ की कहानी
- राजकुमार
और उसके पुत्र के बलिदान की कहानी
- एक
क्षत्रिय, नाई और भिखारी की कहानी
संधि
- सन्यासी
और एक चूहे की कहानी
- बूढ़े
बगुले, केंकड़े और मछलियों की कहानी
- सुन्द,
उपसुन्द नामक दो दैत्यों की कहानी
- एक
ब्राह्मण, बकरा और तीन धुताç की कहानी
- माधव
ब्राह्मण, उसका बालक, नेवला और
साँप की कहानी
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