मित्रलाभ
- सुवर्णकंकणधारी
बूढ़ा बाघ और मुसाफिर की कहानी
- कबुतर,
काक, कछुआ, मृग और चूहे की कहानी
- मृग, काक
और गीदड़ की कहानी
- भैरव नामक
शिकारी, मृग, शूकर, साँप और
गीदड़ की कहानी
- धूर्त
गीदड़ और हाथी की कहानी
सुहृद्भेद
- एक
बनिया, बैल, सिंह और गीदड़ों की कहानी
- धोबी,
धोबन, गधा और कुत्ते की कहानी
- सिंह, चूहा
और बिलाव की कहानी
- बंदर, घंटा
और कराला नामक कुटनी की कहानी
- सिंह और
बूढ़ शशक की कहानी
- कौए का जोड़ा और काले
साँप की कहानी
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हितोपदेश
संधि
३.
सुंद उपसुंद नामक दो दैत्यों की कहानी
बहुत पहले उदार सुन्द और उपसुंद नामक दो दैत्य
थे। दोनों ने तीनों लोक की इच्छा से बहुत
काल तक महादेव की तपस्या की। फिर
उन दोनों पर भगवान ने प्रसन्न होकर यह कहा
कि, ""वर माँगो।'' फिर हृदय में स्थित
सरस्वती की प्रेरणा से प्रेरित होकर
वे दोनों, माँगना तो कुछ और चाहते थे
और कुछ का कुछ कह दिया कि जो आप हम दोनों
पर प्रसन्न हैं, तो परमेश्वर अपनी प्रिया
पार्वती जी को दे दें।
बाद में भगवान ने क्रोध से वरदान देने की
आवश्यकता से उन विचारहीन मूखाç को
पार्वती जी दे दी। तब उसके रुप और
सुंदरता से लुभाये संसार के
नाश करने वाले, मन में उत्कंठित, काम
से अंधे तथा "यह मेरी है, मेरी है' ऐसा
सोच कर आपस में झगड़ा करने वाले इन दोनों
की, ""किसी निर्णय करने वाले पुरुष
से पूछना चाहिए। ऐसी बुद्धि करने पर
स्वयं ईश्वर बूढ़े ब्राह्मण के वेश में आ कर वहाँ
उपस्थित हुए। बाद में हम दोनों ने अपने बल
से
इनको पाया है, हम दोनों में से यह किसकी है? दोनों ने
ब्राह्मण से पूछा।
वर्णश्रेष्ठो द्विजः पूज्यः क्षत्रियो बलवानपि।
धनधान्याधिको वैश्यः शूद्रस्तु द्विजसेवया।।
ब्राह्मण
बोला-- वणाç में श्रेष्ठ होने से ब्राह्मण,
बली होने से क्षत्रिय, अधिक धन- धान्य होने
से वैश्य और इन तीनों वणाç की सेवा
से शूद्र पूज्य होता है।
इसलिए तुम दोनों क्षत्रिय धर्म पर चलने
वाले होने से तुम दोनों का युद्ध ही नियम है। ऐसा कहते
ही, ""यह इसने अच्छा कहा'' यह कह कर
समान बल वाले वे दोनों एक ही समय
आपस में लड़ कर मर गये।
विषय
सूची
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विग्रह
- पक्षी
और बंदरो की कहानी
- बाघंबर
ओढ़ा हुआ धोबी का गधा और
खेतवाले की कहानी
- हाथियों का
झुंड और बूढ़े शशक की कहानी
- हंस, कौआ
और एक मुसाफिर की कहानी
- नील
से रंगे हुए एक गीदड़ की कहानी
- राजकुमार
और उसके पुत्र के बलिदान की कहानी
- एक
क्षत्रिय, नाई और भिखारी की कहानी
संधि
- सन्यासी
और एक चूहे की कहानी
- बूढ़े
बगुले, केंकड़े और मछलियों की कहानी
- सुन्द,
उपसुन्द नामक दो दैत्यों की कहानी
- एक
ब्राह्मण, बकरा और तीन धुताç की कहानी
- माधव
ब्राह्मण, उसका बालक, नेवला और
साँप की कहानी
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