मित्रलाभ
- सुवर्णकंकणधारी
बूढ़ा बाघ और मुसाफिर की कहानी
- कबुतर,
काक, कछुआ, मृग और चूहे की कहानी
- मृग, काक
और गीदड़ की कहानी
- भैरव नामक
शिकारी, मृग, शूकर, साँप और
गीदड़ की कहानी
- धूर्त
गीदड़ और हाथी की कहानी
सुहृद्भेद
- एक
बनिया, बैल, सिंह और गीदड़ों की कहानी
- धोबी,
धोबन, गधा और कुत्ते की कहानी
- सिंह, चूहा
और बिलाव की कहानी
- बंदर, घंटा
और कराला नामक कुटनी की कहानी
- सिंह और
बूढ़ शशक की कहानी
- कौए का जोड़ा और काले
साँप की कहानी
|
हितोपदेश
संधि
१. महातप नामक
सन्यासी और
एक चूहे की कहानी
गौतम महर्षि के तपोवन में महातपा नामक एक मुनि था। वहाँ उस मुनि ने कौऐ से लाये हुए एक चूहे के बच्चे को देखा। फिर स्वभाव से दयामय उस मुनि ने तृण के धान्य से उसको बड़ा किया। फिर बिलाव उस चूहे को खाने के लिए दौड़ा। उसे देख कर चूहा उस मुनि की गोद में चला गया। फिर मुनि ने कहा कि, हे चूहे, तू बिलाव हो जाए। फिर वह बिलाव कुत्ते को देखकर भागने लगा। फिर मुनि ने कहा -- तू कुत्ते से डरता है ? जा तू भी कुत्ता हो जा। बाद में वह कुत्ता बाघ से डरने लगा। फिर उस मुनि ने उस कुत्ते को बाघ बना दिया।
वह मुनि, उस बाघ को,"" यह तो चूहा है, यही समझता और देखता था। उस मुनि को और व्याघ्र को देखकर लोग कहा करते थे कि इस मुनि ने इस चूहे को बाघ बना दिया है। यह सुन कर बाघ सोचेन लगा -- जब तक यह मुनि जिंदा रहेगा, तब तक यह मेरा अपयश करने वाले स्वरुप की कहानी नहीं मिटेगी। यह विचार कर चूहा उस मुनि को मारने के लिए चला, फिर मुनि ने यह जान कर, फिर चूहा हो जा, यह कह कर उसे पुनः चूहा बना दिया।
विषय
सूची
|
विग्रह
- पक्षी
और बंदरो की कहानी
- बाघंबर
ओढ़ा हुआ धोबी का गधा और
खेतवाले की कहानी
- हाथियों का
झुंड और बूढ़े शशक की कहानी
- हंस, कौआ
और एक मुसाफिर की कहानी
- नील
से रंगे हुए एक गीदड़ की कहानी
- राजकुमार
और उसके पुत्र के बलिदान की कहानी
- एक
क्षत्रिय, नाई और भिखारी की कहानी
संधि
- सन्यासी
और एक चूहे की कहानी
- बूढ़े
बगुले, केंकड़े और मछलियों की कहानी
- सुन्द,
उपसुन्द नामक दो दैत्यों की कहानी
- एक
ब्राह्मण, बकरा और तीन धुताç की कहानी
- माधव
ब्राह्मण, उसका बालक, नेवला और
साँप की कहानी
|