मध्य प्रदेश के भील कलाकार
झेर की भूरी बाई – मध्य प्रदेश की भील कलाकार
वीडियो क्लिप – उनके चित्र (विवाह) से संबंधित | गड बप्सी पर
झेर की भूरी बाई बीस वर्ष पूर्व भोपाल आईं। वह आईजीआरएमएस में दिहाड़ी आधार पर कार्य करती हैं। वह विगत नौ वर्षों से कैनवास पर एक्रिलिक से चित्रकारी करती आ रही हैं और उन्होंने खुद को पहले ही एक भील समकालीन कलाकार के रूप में स्थापित कर लिया है।
म्युजियम ऑफ मैनकाइंड की दीवारें भूरी बाई के चित्रों से भरी पड़ी हैं। बचपन में वह हाट अथवा स्थानीय मेलों में जाया करती थी जो भील के जीवन का अभिन्न भाग है और जहां रंगों ने उन्हें चित्रकारी करने के लिए प्रेरित किया। वह गड बप्सी उत्सव की हंसी तथा आमोद-प्रमोद को चित्रित करती हैं जहां युवा व्यक्ति तेल लगे खंभे के शिखर पर बंधे नारियलों को पाने के लिए उस पर चढ़ते हैं।
भूरी बाई बहुत छोटी थी जब उनकी माता ने उन्हें कोठी (अन्नागार) तथा भील की झोपड़ी बनाना सिखाया। वे चिकनी मिट्टी, गोबर तथा चोकर के मिश्रण से आकृतियों को शक्ल देती थीं और दीवारों पर उनका लेप करती थीं। इसे भित्ति चित्र अथवा मिट्टीचित्र के नाम से जाना जाता है। भूरी को गाय पसंद है, इसलिए वह अपनी दीवार के लिए हमेशा ही गाय का चित्र बनाती थी। आईजीआरएमएस में झबवा झोपड़ी (भील की झोपड़ी) को भूरी बाई तथा अन्य भील लोगों द्वारा बनाया गया था।
झेर की भूरी बाई को गीत गाना और चित्र बनाना पसंद है।