मध्य प्रदेश के भील कलाकार
चंपा पार्गी – राजस्थान की भील कलाकार
वीडियो क्लिप: गावरी पर चंपा पार्गी – भाग 01 | भाग 02 | उनकी पेंटिंग्स | मक्का के साथ चंपा पार्गी
चंपा पार्गी ने अपने माता-पिता से मंडनों की कला सीखी। दिपावली और शादी-विवाहों में वे दीवारों पर अपने द्वारा खांखेर वृक्ष की जड़ों से बनाए गए ब्रशों का इस्तेमाल करते हुए चित्र बनाया करती थीं। उन्हें यह जानकर खुशी हुई थी कि उनका पति फूला पार्गी एक कलाकार है। उनकी चित्रकारी में बारंबार उभरने वाली विषयवस्तु जीवन की अनिश्चितता है-एक हिरण जो अपने पीछे भालू के होने से अनजान है, अपनी मवेशी के साथ चरवाहा जो चुपके से छिपकर आते हुए बाघ से बेखबर है। वे पृथकत्व को चित्रित करने के लिए प्रत्येक गाय का चित्र अलग-अलग रंगों में बनाती हैं। उन्होनें इन्या पर्वत का इसकी विभिन्न अवस्थाओं में चित्र बनाया है। बहुत समय पहले इन्या पर्वत हरा-भरा था किंतु अब पेड़ गायब हो रहे हैं। उनकी चित्रकला की एक अन्य विषय-वस्तु गावरी नृत्य है।