मध्य प्रदेश के भील कलाकार
धूला – राजस्थान के भील कलाकार
फूला पार्गी के पुत्र धूला अपने जंतु चित्रों के जरिए अनेक तरह की भावनाओं को चित्रित करते हैं। उनकी चित्रकारी में घोड़े तथा हाथी मनुष्यों द्वारा उन्हें दिनोंदिन श्रमिक बनाने के कारण मनुष्य से खफा प्रतीत होते हैं। धूला पार्गी के चित्रों में बाघ खूंखार नहीं होता है वरन अत्यधिक दुर्बल दिखता है। धूला की पद्धतियां तीक्ष्ण हैं और उनके पात्र जीवंत होते हैं। जब हम उनके ढोलकियों, मादलिया तथा तारपिया के चित्र देखते हैं तो हम उनकी स्पंदमान लयों को करीब-करीब महसूस करते हैं तथा सुन सकते हैं और हमें उनके चित्रों में ऊटों के शरीरों में उसी तरह की गतिशीलता मिलती है।
वाटरकलर – 8” X 11”, विषय: चीता