मध्य प्रदेश के भील कलाकार
गंगू बाई – मध्य प्रदेश की भील कलाकार
वीडियो क्लिप: आईजीआरएमएस में गंगू बाई
गंगू बाई आईजीआरएसआर में दिहाड़ी कारीगर के रूप में कार्य करती हैं। चित्रकारी को कागज और कैनवास पर उतारने में उन्हें पितौल की भूरी बाई से प्रेरणा मिली। गंगू बाई समय-समय पर चित्रकारी की कार्यशालाएं भी आयोजित करती हैं।
गंगू बाई की मुख्य विषय-वस्तुएं गटला, गल बप्सी तथा गोहारी हैं। जब वह गट्लास चित्र बनाती हैं जिन्हें स्मारक स्तंभ कहा जाता है, उनमें वह अपने पूर्वजों को याद करती हैं जो अभी भी उन्हें बचाने के लिए उनके आसपास ही मौजूद हैं। गल बप्सी धार्मिक अनुष्ठान में वह भील व्यक्ति देवताओं की स्तुति करता है जिसकी मन्नत पूरी हो गई है। उसे रास्तें से बांधकर जमीन से ऊपर उठाया जाता है और सात बार घुमाया जाता है। गंगू बाई अपने डर को याद करती है जब बचपन में उन्होंने इस धार्मिक अनुष्ठान को होते हुए देखा था। दूसरी ओर गड बप्सी हंसी का एक मौका होता था क्योंकि भील युवाएं तेल लगे खंभे के शीर्ष पर रखे नारियलों का पुरस्कार प्राप्त करने के लिए उस पर चढ़ने की कोशिश करते थे। उनका कहना है कि बार-बार उन्हें खंभे से फिसलते हुए देखना अत्यधिक मजेदार होता था, किंतु जो लोग डटे रहते थे तथा अंतत: नारियलों तक पहुंच ही जाते थे, उनका सम्मान बहुत होता था और उस व्यक्ति के लिए उसकी पसंद की लड़की से विवाह करना अत्यंत आसान हो जाता था। गंगू बाई ने कई बार गोहरी अनुष्ठान को चित्रित किया है जहां बैल उन भीलों की पीठ से होकर गुजरते थे जिन पर देवताओं और देवियों का वास होता था।
अन्य भील कलाकारों की तरह गंगू बाई की मनपसंद विषय-वस्तुएं प्रकृति के इर्द-गिर्द घूमती हैं ।