Buddhist Fables

Buddhist Classics

Life and Legends of Buddha

The Illustrated Jataka & Other Stories of the Buddha by C. B. Varma Introduction | Glossary | Bibliography

074 – असित

राजा सुद्धोदन के पिता सीहहनु के गुरु व राजपुरोहित असित सांसारिक भोगों से विरक्त एक चामत्कारिक और सिद्ध पुरुष थे। वृद्धावस्था में राज्यसुखों का परित्याग कर वे एक निर्जन वन में कुटिया बना कर आध्यात्मिक साधनाओं में लीन रहते। कहा जाता है कि अक्सर वे तावतिंस लोक के देवों के साथ उठते-बैठते रहते थे। एक दिन जब वे तावतिंस पहुँचे तो वहाँ उन्होंने दूर स्थान पर फूलों की सजावट देखी। देव-गण नाच-गा रहे थे। सर्वत्र उत्सव का माहौल था। वहाँ उन्हें बताया गया कि सिद्धार्थ गौतम, जो एक बुद्ध बनने वाले थे, जन्म ले चुके थे।

उपर्युक्त सूचना से उनकी खुशी की सीमा न रही और वे तत्काल कपिलवस्तु पहुँचे वहाँ पहुँचकर उन्होंने जब बालक को उठाकर अपनी गोद में रखा और अपनी आँखों के निकट लाकर देखा तो उनकी आँखों में असीम खुशी की लहर दौड़ पड़ी। फिर कुछ ही क्षणों में वहाँ अवसाद के बादल मंडराने लगे। राजा सुद्धोदन ने जब उनके इन विचित्र भावों का कारण पूछा तो उन्होंने कहा, “यह बालक बुद्ध बनेगा। इसलिए मैं प्रसन्न हूँ। किन्तु इसके बुद्धत्व-दर्शन का सौभाग्य मुझे अप्राप्य है। मैं उतने दिनों तक जीवित नहीं रहूँगा। अत: मैं खिन्न हूँ।”

कुछ दिनों के पश्चात् असित ने अपनी बहन के पुत्र नालक को बुद्ध-देशनाओं को ग्रहण करने की पूर्ण शिक्षा दी।