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Life and Legends of Buddha

The Illustrated Jataka & Other Stories of the Buddha by C. B. Varma Introduction | Glossary | Bibliography

 099 –   वेस्सभू बुद्ध

वेस्सभू बुद्ध पालि परम्परा में इक्कीसवें बुद्ध के रुप में मान्य हैं। उनके पिता का नाम सुप्पतित्त तथ माता का नाम यसवती था। उनका जन्म अनोम नगर में हुआ था तथा उनका नाम वेस्सभू रखा गया था क्योंकि पैदा होते ही उन्होंने वृसभ की आवाज़ निकाली थी। उनकी पत्नी का नाम सुचित्रा तथा पुत्र का नाम सुप्पबुद्ध था।

छ: हज़ार सालों तक रुचि, सुरुचि और वड्ढन नामक प्रासादों में सुख-वैभव का जीवन-यापन करने के बाद सोने की पालकी में बैठकर उन्होंने अपने गृहस्थ-जीवन का परित्याग किया था।

तत: छ: महीनों के तप के पश्चात् उन्होंने एक साल वृक्ष के नीचे सम्बोधि प्राप्त की। सम्बोधि के पूर्व उन्होंने सिरिवड्ञना नामक कन्या के हाथों खीर ग्रहण किया था। उनका आसन नागराज नरीन्द ने एक साल वृक्ष के नीचे बिताया था। उन्होंने अपने प्रथम उपदेश अपने दो भाई सोन और उत्तर को दिये थे, जो कि उनके दो प्रमुख शिष्यों के रुप में जाने जाते हैं। उपसन्नक उनके प्रमुख उपासक थे। उनके प्रमुख प्रश्रयदाता सोत्थिक एवं राम, गोतमी और सिरिमा तथा उनकी प्रश्रयदातृ थीं।

साठ हज़ार वर्ष की अवस्था में उन्होंने खोमाराम में परिनिर्वाण प्राप्त किया। उनके अवशेषों को अनेक स्थानों में बिखेर दिया गया था। उन दिनों बोधिसत्त सारभवती में राजा सुदस्सन के नाम से राज्य करे था।