गरीबा सिंह टेकम – मध्य प्रदेश के गोंड कलाकार

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नर्मदा सिंह टेकम और कला बाई के सबसे छोटे भाई गरीबा सिंह टेकम को पेशे के तौर पर चित्रकारी करने के लिए जंगढ सिंह श्‍याम से प्रेरणा मिली थी। जंगढ ने उनके चित्रों तथा रंगों पर आश्‍चर्य व्‍यक्‍त करते हुए उन्‍हें चित्रकारी करने के लिए प्रोत्‍साहित किया। यह उन आरंभिक दिनों के दौरान गरीबा के जीवन की परेशानी में उम्‍मीद की महज एक किरण थी।

गरीबा और उनकी पत्‍नी प्रेम बाई म्‍युजियम ऑफ मैनकाइंड के आईजीआरएमएस में कार्य करते हैं। वे उस दीर्घा की देखरेख करते हैं जहां गरीबा के सात गोंड भाईयों के चित्र प्रदर्शित किए गए हैं जिनमें से सबसे छोटा परधान बना। चूंकि गरीबा खुद भी परधान समुदाय, गोंड के पुजारी से हैं, इसलिए वे कहानी के प्रति हमेशा आकर्षित रहे हैं। यह कहानी प्रचलित है कि एक बार एक काले मुर्गे द्वारा फसल-कटाई के दिए गए नए अनाज का हिस्‍सा खाने से अशुभ तरीके से नकार दिया गया था, अत: सातों गोंड साज के वृक्ष के नीचे बैठे बड़ादेव के पास गए। महादेव ने उन्‍हें बान नामक वाद्य यंत्र बनाने की सलाह दी जिसे उनके सबसे छोटे भाई द्वारा काले चिकन को अनाज चुगने के लिए लुभाने हेतु बजाया जाना था और इस प्रकार सबसे छोटा भाई गोंड समुदाय का पुजारी बन गया। वह परधान उस व्यक्ति के नाम से जाना जाने लगा जिसे उसके भाईयों द्वारा धान दिया जाएगा।

गरीबा टेकम गोंड देवकुल के चित्रों को बनाना पसंद करते हैं। बड़ादेव और साज वृक्ष उनकी पसंदीदा विषय-वस्‍तुएं हैं। उन्‍होंने घुर्री देव, जंगल के प्रहरी का चित्र भी बनाया है। गरीबा याद करते हैं कि किस प्रकार वे बचपन में ईंधन की लकड़ी बटोरने के लिए जंगल में प्रवेश करने से पूर्व घुर्री देव की स्तुति करते थे तथा लकड़ी अथवा पत्‍थर का चढ़ावा अर्पित करते थे।