रमेश टेकम – मध्य प्रदेश के गोंड कलाकार

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रमेश टेकम 19 वर्षों से पेंटिंग करते आ रहे हैं। उनकी अधिकांश कृतियां हाथी पर केंद्रित हैं। आईजीआरएमएस में म्‍युजियम ऑफ मैनकाइंड में उनका विशाल नीला हाथी आगंतुकों का ध्‍यान तुरंत ही कैद कर लेता है। रमेश अपने बचपन में पतनगढ़ के आसपास के जंगलों में जंगली हाथी देखते थे। उन्‍हें यह बहुत आकर्षक लगता है कि अगर हाथियों को पाला जाए तो इन्‍हीं हाथियों पर हाथ फेरा जा सकता है। उनके अधिकांश कैनवासों पर हाथी के चित्र शांतचित्त अवस्‍था में बने हुए हैं।

जब रमेश प्रथम बार 1989 में भोपाल आए तो उन्‍होंने जीवनयापन करने के लिए सभी तरह के कार्य किए। जंगढ सिंह श्‍याम उनकी सशक्‍त कारीगरी तथा रंग के उत्‍साहपूर्ण प्रयोग से प्रभावित हुए और सुझाव दिया कि वह प्रतिदिन पेंटिंग करने को अपनी आदत बना लें।

बचपन में रमेश अचंभित रह गए थे जब उन्‍हें पता चला कि वेरियल एल्विन उनकी बुआ के पति हैं। उन्‍हें ठीक-ठीक नहीं पता था कि वेरियर एल्विन ने क्‍या कर दिया है किंतु जब भी वह अपने पिता को महान मानवविज्ञान की बात बहुत सम्मान से करते हुए देखते थे तो इस तथ्य ने उन्हें अपने फूफा की महानता के बारे में आश्वस्त किया।

रमेश एक समय जे. स्‍वामीनाथन के घर में कार्य करते थे और जब  उस कलाकार ने उनसे कहा, जैसा कि वह प्राय: कहते थे, ‘‘आप अपनी चित्रकारी पर ध्‍यान केंद्रित करें-मैं आपकी देखभाल करने के लिए हूं, वह उत्‍साहित हो जाते थे और अपने कार्य में और अधिक उर्जा लगाते थे। जब वह आईजीआरएमएस में दिहाड़ी मजदूरी पर कार्य करते थे तो उन्‍हें चित्रकारी की कार्यशालाओं को आयोजित करने के लिए अन्‍य नगरों में भेजा जाता था, जिससे उन्‍हें अपनी संस्‍कृति को अन्‍य स्‍थानों पर ले जाने का अवसर मिला। उन्‍हें अधिक‍तम खुशी गोंड कला को सीखने वाले अन्‍य समुदायों के बच्‍चों को देखकर होती है।

अपने उत्‍साहपूर्ण कला कौशल और जीवंत रंग के प्रयोग द्वारा रमेश टेकम जानवरों की भिन्‍न-भिन्‍न प्रजातियों के चित्र बनाते हैं जिन्‍हें वह बड़ा होते हुए देखा करते थे। वह अपने चित्रों को मधुमक्‍खी के छत्‍ते अथवा धान की विषयवस्‍तु से पूरा करते हैं।