राम नारायण मारावी – मध्य प्रदेश के गोंड कलाकार

वीडियो क्लिप | पेंटिंग्स देखें

राम नारायण मारावी अपने पिता श्री हरि राम मारावी से पौराणिक कथाएं तथा कहानियां सुनकर बड़े हुए जो एक प्रशंसित परधान कलाकार हैं जो संगीत के वाद्य यंत्र, बाना के साथ गोंडी गाथागीतों को गाते हैं।

जब राम नारायण का विवाह कलाकार इंदु बाई के साथ हुआ तो वह उनकी कलाकृतियों को देखकर रोमांचित हो गए और उन्‍होंने रंगों तथा चित्रों की दुनिया में होने का आनंद उठाया। जब वे शिल्‍प संग्रहालय, प्रगति मैदान, नई दिल्‍ली गए तो वह (पत्‍नी) उनसे चित्रकारी करने के लिए आग्रह करती थीं और जब वह उनकी कलाकारी की प्रशंसा करती थीं तो वह विभोर हो जाते थे। इस तरीके से राम नारायण ने अपनी पत्‍नी से धीरे धीरे चित्रकारी की कला सीखी। बचपन में, वह प्राय: अपने घर की दीवारों पर कुछ चित्र बना दिया करते थे किंतु उन्‍हें कभी भी मालूम नहीं था कि वह एक दिन एक ऐसा कलाकार बनेंगे, कि उनकी चित्रकारी से उन्‍हें आमदनी का एक अन्‍य स्रोत प्राप्‍त होगा।

राम नारायण को हिरण, बाघों जैसे जानवरों की पेंटिंग करना पसंद है। वह जानवरों के मानस के भीतर जाते हैं और चित्र बनाते हैं। उनके द्वारा बनाए गए चित्र में बाघिन अपने शावकों को खरगोशों का शिकार करना सिखाने में तल्लीन लग रही है। एक अन्‍य चित्रकारी में हिरण का चुपके से पीछा करते हुए एक बाघ और बाघिन विस्मित हो रहे हैं कि हिरण पर पहले झपट्टा कौन मारेगा। राम नारायण को बाना, बड़ादेव के संगीत वाद्ययंत्र की चित्रकारी करना पसंद है जिसके साथ उनके पिता श्री हरि राम मारावी विगत पांच दशकों से गोंडी पौराणिक गीतों को गाते रहे हैं।