धनइया बाई – मध्य प्रदेश के गोंड कलाकार

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जब महुआ के पेड़ पर धनईया बाई के चित्रों को नागपुर दक्षिणी सांस्‍कृतिक क्षेत्र से पुरस्‍कार प्राप्‍त हुआ था तब उनका मन अपने पति के प्रति कृतज्ञता से भर गया। क्योंकि यह उनके पति ही थे जिन्होनें इस बात पर जोर दिया था कि धनईया बाई चित्र बनाए। हालांकि उनका इस कार्य को करने का मन नहीं था और उन्होंने चित्र बनाने से मना कर दिया था किंतु उनके पति जब गुस्सा हो गए तो उन्‍होंने एक बार कोशिश करने के बारे में सोचा। उन्‍होंने निम्न देवियों पर चित्र बनाए हैं: मेहेरोलिन माता जिनकी स्‍तुति कोई व्‍यक्ति गांव से बाहर कदम रखने से पूर्व करता है और खेरो माई जो रोग से लोगों की रक्षा करती हैं। उन्‍हें प्रसन्‍नता की अनुभूति हुई जब उन्‍होंने नर्मदा नदी का अमरकंटक से बहकर निकलते हुए चित्र बनाया। उन्‍होंने नर्मदा की कहानी बचपन में सुनी थी और उन्‍हें सहानुभूति  महसूस हुई थी। जैसा कि कथा प्रचलित है, नर्मदा को उनके प्रेमी सोनभद्र ने ठुकरा दिया था और वह उनकी अपनी बहन, जेहाला के साथ भाग गया था और इसलिए नर्मदा ने कभी न शादी करने की प्रतिज्ञा की थी। धनईया बाई ने महसूस किया कि वह नर्मदा के चित्र बनाकर उनकी पूजा कर रही हैं । एक अन्‍य विषय-वस्‍तु जो उनके दिल के करीब है, शकुंतला की कहानी है।

उनकी 10 वर्षीय बड़ी बेटी क्रुति श्‍याम ने भी चित्रकारी शुरू कर दी है जबकि छह वर्षीय कीर्ति श्‍याम को ज्‍यादा दिलचस्‍पी नहीं है। उनके दो वर्षीय भाई दानेश्‍याम ने रंगों से खेलना, साथ ही खुशी में चित्र, चित्र चिल्लाना पहले ही शुरू कर दिया है।