निक्की/ सिंह उरवेटी – मध्य प्रदेश के गोंड कलाकार

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जब भदिया बाई ने अपने घर की दीवारों पर आनुष्‍ठानिक डिगना बनाया, तो उनका पांच वर्षीय पुत्र निक्‍की उन्‍हें देखने में घंटों बिताता था तथा अपने स्‍लेट पर उनकी रेखाओं का अनुकरण करता था। उसके पिता भारत सिंह उरवेटी ने उसकी प्रतिभा को बढ़ाया तथा जब निक्की बड़ा हुआ तो उसके पिता ने उन्‍हें अपने नोटबुक में चित्र बनाने के लिए कहा। भारत सिंह अपने पुत्र को ठाकुरदेव, बूढ़ी माई, गली हारिन देवी जैसे देवों और देवियों के बारे में कहानियां सुनाते थें  और फिर उन्हें चित्रों को चित्रांकित करने के लिए कहते थें । निक्‍की ने जंगढ सिंह श्‍याम की पेंटिंग्‍स देखी थी और वह बड़ा होकर एक कलाकार बनने के लिए कृत संकल्‍प था।

निक्‍की उरवेटी न केवल एक कलाकार बने बल्कि उन्‍हें सन् 2006 में मध्‍यप्रदेश सरकार द्वारा राज्‍य हस्‍तशिल्‍प पुरस्‍कार दिया गया था। उनके पिता गोंडी देवों और देवियों पर एक पुस्‍तक लिख रहे हैं और कई परधान कलाकार देवकुल विषयवस्‍तु से चित्र बनाने से पूर्व उनसे सलाह-मशविरा लेते हैं। यद्यपि देव और देवियां अब तक निराकार रहे हैं, तथापि समकालीन गोंड कलाकार अब उन्‍हें अपने द्वारा परिकल्पित और चित्रित किए गए तरीके से उन्‍हें आकार देने की कोशिश कर रहे हैं। निक्‍की उरवेटी की पेंटिंग्‍स अधिकांशत: ठाकुर देव की है-वह देवता जो घोड़े की सवारी करते हैं तथा रात भर गांव की सुरक्षा करते हैं।