राज कुमार श्यांम – मध्य प्रदेश के गोंड कलाकार

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राज कुमार श्‍याम ने जंगढ सिंह श्‍याम से चित्रकारी की कला सीखी जो पतनगढ़ में रहते हैं। उन्‍होंने अपने  घरों की दीवारों पर कभी भी ‘डिगना’ नहीं बनाया है। किंतु अब वह कैनवास और कागज पर इसे बनाते हैं। वह ‘ब्रशों’ से खुश हैं जिनसे उन्‍हें विषयों के विस्‍तृत रूपों को चित्रित करने में मदद मिलती है।

उनके मुख्य विषय ठाकुर देव, बंदा देव, पक्षियां, पशु हैं। उन्‍होंने चित्रकारी अपनाई क्‍योंकि उनकी इसमें रूचि थी। उनका कहना है, ‘‘जिन्‍हें खेती की अभिरूचि है उन्‍हें खेती करनी चाहिए, जिन्‍हें चित्रकारी की अभिरूचि है, उन्‍हें चित्रकारी करनी चाहिए’’। वह इस बात से सहमत हैं कि गांवों में ऐसे कई कलाकार हैं जो दोनों कार्य कर रहे हैं।