अमूर्त सांस्कृतिक विरासत

आईसीएच इन्वेंटरी: प्रभाग ने हमारे देश की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का सूचीकरण शुरू किया और उनमें से कुछ वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।

रम्माण : गढ़वाल का धार्मिक और अनुष्ठान थिएटर- रम्माण एक धार्मिक अनुष्ठान थिएटर है, जो हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के सालूर डुंगरा गांव के दो गांवों में आयोजित किया जाता है। राममन की परंपरा विलुप्त होने के कगार पर थी और इसके आसन्‍न स्थानीय लोगों के बाहर भी इसे बहुत कम जाना जाता है, जब इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय कला केंद्र ने इसका प्रलेखन और संरक्षण करने के लिए अपना पहला हस्तक्षेप किया। इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय कला केंद्र  पहल का मुख्य उद्देश्य परंपरा को पूरी तरह से विलुप्त होने से बचाना है, इसे पुनर्जीवित करना है और इसे भावी पीढ़ी के लिए जीवित रखना है और देश के संज्ञानात्मक और सांस्कृतिक मानचित्र पर इसे लिपिबद्ध करना भी है।

परिणाम –

  • मंदिर और प्रदर्शन स्थान पूरी तरह से नवीकृत और फिर स्थादपित किए गए।
  • सामुदायिक संसाधन केंद्र स्थापित किया गया है। केंद्र पूरी तरह से डिजिटल कैमरों और कंप्यूटरों से सुसज्जित है।
  • गुरु-शिष्य परम्परा योजना के तहत कई युवा जागरियों, ढोल वादकों और नर्तकियों को प्रशिक्षित किया गया है।
  • कौशल उन्नपयन कार्यशालाओं से पोशाकों, मुखौटों, संगीत वाद्ययंत्रों आदि के नए सेट सृजित हुए हैं।
  • संपूर्ण राममन जागर पाठ से बना दस्तावेज और ऑडियो सीडी बनाया गया है।
  • जागरूकता अभियान-समुदाय ने नियमित अंतराल पर बैनर, पत्रक और ब्रोशर प्रकाशित किए हैं।
  • ऑडियो विजुअल प्रलेखन, डिजिटलीकरण, स्कैनिंग, कंप्यूटर प्रशिक्षण और फोटोग्राफी कार्यशालाओं में क्षमता निर्माण कार्यशाला आयोजित की गई है।

 

अकादमिक अनुसंधान-गढ़वाल विश्वविद्यालय में राममन पर काम किया जा रहा है और रम्माण में शोध के लिए डिप्लोमा डिग्री प्रदान की गई है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली के कला और सौंदर्यशास्त्र विकास ने एम. फिल. दिया है और अब पी.एच.डी. चल रहा है।