दिलीप श्‍याम – मध्य प्रदेश के गोंड कलाकार

जब दिलीप श्‍याम को सन 2008 में जंगढ सिंह श्‍याम पुरस्‍कार से नवाजा गया तो उन्‍हें अत्‍यधिक खुशी हुई। यह सच होते हुए सपने जैसा था। वह  हमेशा अपने चाचा और साथ ही उनकी प्रेरणा जंगढ की तरह चित्रकार बनना चाहते थे।

स्कूल से डिग्री प्राप्‍त करने के बाद दिलीप श्‍याम अपने गांव पतनगढ़ को छोड़कर कई उम्मीदों के साथ भोपाल चले गए। मगर जब उन्हें यह पता चला कि नौकरी पाना कितना कठिन है, तो वह बहुत ही निराश हुए। अपनी सभी चचेरी भाई-बहनों तथा दोस्‍तों की तरह उन्‍होंने अपनी चित्रकारी में बहुत समय और परिश्रम लगाया जो उनकी कल्‍पना-शक्ति तथा रचनात्‍मकता को अभिव्‍यक्‍त करती है।

कैनवास पर एक्रिलिक 3’x3′ विषय सर्प

आज वह म्‍युजियम ऑफ मैनकाइंड में दिहाड़ी पर कार्य करते हैं जहां उनके चित्र एक दीवार को सजाते हैं। जब दर्शक उनकी प्रशंसा करते हैं तो दिलीप विभोर हो जाते हैं। उन्‍होंने जंगढ सिंह की यादों को संजोए रखा है जिन्‍होंने उनके चित्रों को देखकर टिप्‍पणी की थी : ‘‘तुम्‍हारे भीतर कलाकार भी है। उसे मरने मत दो।’’ जंगढ के शब्‍द अभी भी दिलीप को प्रतिदिन अपनी कला को जारी रखने की प्रेरणा देते हैं, चाहे वे कितने भी थके-मांदे हों।

कैनवास पर एक्रिलिक 3’x5′ विषय: गणेश और सर्प