इंदुबाई मरावी – मध्य प्रदेश के गोंड कलाकार

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जब भी कभी इंदु बाई मारावी घर का चित्रण करती हैं तो वह इसकी दीवारों को परंपरागत विषय-वस्‍तु डिगना से सजाना नहीं भूलती हैं। डिगना से उन्‍हें रेखाएं बनाने की कला में प्रशिक्षण मिला और रंगों की जानकारी हुई जिससे उन्‍हें बाद में कागज और कैनवास पर अनेक चित्र बनाने में मदद मिली। इंदु बाई महसूस करती हैं कि गोंड महिला को ही चित्रकारी में इतने सारे चित्रों को लाने का श्रेय दिया जाना चाहिए। डिगना हमेशा घर की महिलाओं द्वारा चित्रांकित किया जाता है। उनके पति राम नारायण का भी यही मानना है और गर्वित होकर उनका कहना है कि उन्‍होंने अपनी पत्‍नी से समकालीन गोंड चित्रकारी सीखी थी।

जब 10 वर्षीय इंदु बाई अपने गाय तथा बकरियों को अन्‍य बच्‍चों के साथ घास चराने के लिए ले जाती थी तो बच्‍चे पानी में खेलते रहते थे जबकि जानवर घास चरते रहते थे। इंदु और जंगढ प्राय: चुपचाप बैठकर मिट्टी के खिलौने बनाया करते थे। जंगढ ने अपने घर की दीवार पर हनुमान का चित्र बनाया था जिसने भारत भवन के छात्र का ध्‍यान आकृष्‍ट किया था। छात्र दीवार पर डिगना के बारे में भी जानकारी चाहते थे जिसे इंदु ने बनाया था। इंदु को लड़की होने के कारण कभी भी भोपाल नहीं भेजा गया। वर्षों बाद, जब उनके पहले पति ने पुन: विवाह किया तो इंदु बाई जीविका चलाने का संकल्‍प करके अपनी तीन वर्षीय पुत्री के साथ भोपाल चली आईं । उन्‍होंने कड़ा संघर्ष किया किंतु कभी भी चित्रकारी नहीं छोड़ी। उन्‍होंने अपने दूसरे पति सहित कई लोगों को यह कला सिखाई, जिन्होनें अब इस कार्य में खुद को स्थापित कर लिया है।

इंदु बाई को 2008 में आईजीआरएमएस द्वारा सम्‍मानित किया गया और उन्‍होंने अपनी चित्रकला को प्रदर्शित करते हुए भारत में व्‍यापक यात्रा की।