शांति बाई – मध्य प्रदेश की गोंड कलाकार

लालपुर की शांतिबाई दस वर्ष की आयु से गुदना या टैटू बनाने की कला का अभ्‍यास कर रही हैं । कई वर्षों तक वह अपने पति, मारावी के साथ कार्य करती रही हैं और अब उनकी पुत्रियों, मंगली मारावी, मीना बाई और जामनी मारावी, सभी ने टैटू बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। गोंड परधानों की परंपरा है कि वे गोंड समुदाय के बाइगाज, ओझाओं के शरीरों पर टैटू बनाते हैं। तीन से चार माह तक बारिश के बाद वे बाइगा गांव जाते हैं और महिलाओं के बांह, पैर तथा हाथ  पर टैटू बनाते हैं। शांति बाई ने अनेक टैटू डिजाइनों को कागज तथा कैनवास के अनुरूप  ढाला है।

मंगली बाई न केवल गुदनाकार हैं वरन वह युवा संगीतकारों तथा नर्तकों जो कर्मनृत्‍य प्रस्‍तुत करते हैं, के पेशेवर टोली का नेतृत्‍व भी करती हैं। उन्‍होंने अपने नृत्‍यों तथा गीतों के साथ देश के भिन्‍न-भिन्‍न भागों में यात्रा करनी शुरू कर दी है।