सुभाष व्याम – मध्य प्रदेश के गोंड कलाकार

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सुभाष व्‍याम ने दस वर्ष से पहले से ही कार्य करना शुरू कर दिया। चूंकि उनके बड़े भाई कहीं ओर बस गए थे, इसलिए उन्‍हें अपने और अपने माता-पिता का भरण-पोषण करने के लिए पान के पत्‍ते बेचने वाली दुकान में कार्य करना पड़ा। फिर भी, उन्‍हें मिट्टी से आकृतियां बनाने का समय किसी तरह मिल गया। जब उनकी बहन ननकुसिया के पति जंगढ सिंह ने उन आकृतियों को देखा तो वह उस लड़के की कलाकारी से प्रभावित हुए और उन्‍हें उसे जारी रखने के लिए प्रोत्‍साहित किया। सुभाष उस समय रोमांचित हो उठे जब मिट्टी की उनकी आकृतियां 200 रूपए में बिकीं। स्कूली डिग्री प्राप्‍त करने के बाद सुभाष भोपाल में माध्‍यम गए। वह अपने बचे हुए समय में मिट्टी और लकड़ी की आकृतियां बनाते रहे। वह काला रंग इस्‍तेमाल करना पसंद करते हैं तथा प्राय: कागज पर स्‍याही का अपने माध्‍यम के रूप में इस्‍तेमाल करते हैं क्‍योंकि उनका मानना है कि काला रंग उनके लिए अच्‍छा है। उनके विश्‍वास को  तब और भी बल मिला जब स्‍याही के उनके एक चित्र को सन 2002 में मध्‍य प्रदेश सरकार द्वारा राज्‍य हस्‍तशिल्‍प पुरस्‍कार से सम्‍मानि‍त किया गया।

उनकी पसंदीदा विषय-वस्‍तुएं जलीय जीवन से संबंधित हैं जिन्‍हें वह पतनगढ़ के निकट सोनपुरी गांव में बढ़ती हुई देखते थे। अपनी पत्‍नी दुर्गाबाई से प्रेरित होकर सुभाष ने इन कहानियों के पात्रों तथा दृश्‍यों को भी चित्रित करना शुरू किया जिनके पास लोक कथाओं का विशाल संग्रह है। जब सुभाष व्‍याम अपनी पेंटिंग की कार्यशालाएं आयोजित करते हैं तो उन्‍हें प्रतिभागियों को यह सीखाने की क्षमता होने का अतिरिक्‍त फायदा होता है कि किस तरह मिट्टी तथा लकड़ी की आकृतियां बनाई जाए।