प्रसाद कुसराम – मध्य प्रदेश के गोंड कलाकार

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वीडियो क्लिप – भित्ति चित्र | चित्रकारी | प्रसाद कुसराम की पत्‍नी पर

प्रसाद कुसराम जो पतनगढ़ से ही आते हैं, जंगढ सिंह की कलाकृति से अत्‍यधिक प्रेरित थें । वह भी आजीविका की तलाश में भोपाल आए और जल्‍दी ही उन्होंने माइथोलॉजिकल ट्रेल में एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में आईजीआरएमएस में कार्यभार ग्रहण किया। उसके बाद वह अपनी पत्‍नी तथा बच्‍चों को भोपाल ले गए और अपने कई दोस्‍तों की तरह पेंटिंग करने लगे।

चूंकि प्रसाद कुसराम की पेंटिंग की मुख्‍य विषय-वस्‍तु देवकुल थी, इसलिए उनके बच्‍चों तथा इलाके के अन्‍य बच्‍चों को बगाईसुर देव, कुसराम के देवता, मेहेरेलिन दाई जो गांव की पश्चिमी दिशा में खड़ी होती है और लोगों को बुरी आत्‍माओं और रोगों से बचाती हैं-तथा कई अन्‍य देवों और देवताओं के बारे में जानकारी मिली। उनके बच्चों ने पतनगढ़ को जाना जिसके बारे में उनके पिता बात करते ही रहते हैं और वह अपने पिता के रिश्तेदारों के साथ ही रहना पसंद करते हैं जो उनका मन पुरानी कहानियाँ सुनाकर बहलाते थे।

प्रसाद की पत्‍नी शकुंतला जल्‍दी ही पेंटिंग की दुनिया की ओर आकर्षित हो गईं और कैनवासों अथवा कागजों पर प्रसाद द्वारा बनाए गए चित्रों में रंग भरने  लगीं। जब प्रसाद उन्‍हें अपने चित्र को रंगने के लिए कहते थे तो वह यह सोचकर ऐसा करने से इनकार कर देती थी कि इससे वह कैनवास खराब हो सकता है जो उनके पति ने इतनी मेहनत से खरीदा है। किंतु धीरे-धीरे उन्‍हें पूरा विश्‍वास हो गया कि वह अपने चित्रों को रंग सकती हैं। अपने चित्रों के माध्‍यम से वह अपने बच्‍चों को गोंड लोगों के जीवन के बारे में भी बता रही हैं।

प्रसाद और शकुंतला कुसराम गोंड समुदाय से ताल्‍लुक रखते हैं जबकि अधिकांश दूसरे कलाकार गोंड परधान समुदाय से आते हैं।