जापानी – मध्य प्रदेश के गोंड कलाकार

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जंगढ सिंह श्‍याम ने अपने जापान दौरे के बाद अपनी पुत्री का नाम जापानी रख दिया था, जापान उनके मनपसंद देशों में से एक था।

जापानी ने काफी कम उम्र में ही चित्रकारी करना शुरू कर दिया था और उनका कहना है कि उनके पिता उसे चित्र बनाने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते थे और उन्‍होंने कभी भी उनकी कृति की आलोचना नहीं की। वह महसूस करती हैं कि यही कारण है कि वह आत्मविश्‍वास के साथ चित्र बनाने लगीं और 1999 में ग्‍यारह वर्ष की आयु में उन्‍हें कमला देवी पुरस्‍कार प्राप्‍त हुआ।

जापानी की मुख्‍य विषय-वस्‍तु जंतु और पक्षी जगत, भोजन के लिए उनका संघर्ष, उनकी सौहार्द की भावना, उनकी भिन्‍न-भिन्‍न मनोदशाएं थीं। अन्य विषय हैं परम्पराएं और गोंडों में प्रचलित मत जिनकी जानकारी उन्‍हें पतनगढ़ तथा सोनपुर गांव जाने पर प्राप्त हुई जिनसे उनके माता-पिता जंगढ श्‍याम और ननकुसिया श्‍याम का ताल्‍लुक था। शहर में जन्‍मी लड़की होने के कारण वह  उनसे दूरी बनाए रखती हैं और साथ ही यह महसूस करती हैं कि वह उसका हिस्‍सा हैं। अपने भाई मयंक  की तरह उन्‍होंने बैगस जगत; जो अभी भी प्रकृति का अभिन्‍न भाग है, के चित्र बनाएं।


कैनवास पर एक्रिलिक 5’x3′ विषय:हिरण के भीतर बाघ
चित्रकारी जंगढ सिंह श्‍याम द्वारा